संजय कुमार मिश्रा
क्या सूचना अधिकार आवेदक उपभोक्ता है ? यूँ तो इस विषय पर नेशनल कमीशन के दोहरे फैसले से पुरे देश में संशय बना हुआ है और दोनों फैसलों में कौन फैसला सही है कौन गलत। कुल पांचमामले नेशनल कमीशन के लार्जर बेंच के पास लंबित है जिसपर अगली सुनवाई 20 नवम्बर 2014 को होनी है। कुछ फोरम एवं राज्य कमीशन, नेशनल कमीशन के फैसले का इंतजार कर रहे है, लेकिन कुछ फोरम अपने विवेकानुसार मामले का निस्तारण भी कर रहे है और फीस एवं लागत का भुगतान करके सूचना चाहने वाले आवेदक को सूचना नहीं मिलने पर मुआवजा भी दिलवा रहे है। ऐसे ही एक मामले में ओडिशा के रायगढ़ कंज्यूमर फोरम ने अपने एक फैसले में सूचना अधिकार आवेदक को सूचना अधिकार अधिनियम तहत सूचना नहीं मिलने पर लोक सूचना अफसर को रुपया 7000 जुर्माना किया है एवं प्रथम अपील अधिकारी को अपील निस्तारण नहीं करके सूचना नहीं दिलवाने पर 5000 रूपये का जुर्माना किया है। हालांकि लोक सूचना अफसर एवं प्रथम अपील अधिकारी ने फोरम समक्ष अपने प्रस्तुत नहीं किया जिस कारण फोरम ने दोनों पक्षों को एक्स पार्टी घोषित कर फैसला सुनाया। फोरम ने कहा पहले सूचना के लिए आवेदक को बार बार चक्कर लगवाना फिर फोरम में उपस्थित नहीं होना उनकी लापरवाही का एक जीता जागता उदहारण है। रायगढ़ के रविन्द्र पटखण्डाला ने 11 फरवरी 2013 को रायगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से सूचना अधिकार के तहत कुछ सूचना मांगी। इसके लिए आवेदक ने आवेदन के साथ 10 रूपये की फीस नकद जमा कराई। नियत समय 30 दिन में जब सूचना नहीं मिली तो क़ानून की धारा 19 के तहत प्रथम अपील अधिकारी को अपील दी गई। उक्त दोनों अधिकारियों ने आवेदक के कई चक्कर लगवाये लेकिन सूचना नहीं दी गई। फिर आवेदक ने कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया। फोरम के प्रेसीडेंट प्रदीप कुमार दास एवं मेंबर श्रीमती निर्मला कुमारी राजू ने शिकायत संख्या 315 ऑफ़ 2013 का निपटारा करते हुए शिकायत के विभिन्न कानूनी पहलुओं पर विचार किया। नेशनल कमीशन के कलावती केस एवं सर्वोच्च न्यायालय के एम ललिथा केस सहित लखनऊ विकास प्राधिकरण आदि के आदेशों के हवाले से इस नतीजे पर पहुंचे की - सूचना अधिकार आवेदक एक उपभोक्ता है। फीस एवं लागत लेकर सूचना की सप्लाई एक सेवा या सुविधा है जिसमें किसी भी तरह खामी की शिकायत कंज्यूमर फोरम में की जा सकती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम एक अतिरिक्त उपचार है और सूचना अधिकार अधिनियम में कंज्यूमर फोरम को शिकायत सुनने से मना नहीं किया गया है। इस कारण लोक सूचना अफसर एवं अपील अधिकारी दोनों को सूचना नहीं देने या नहीं दिलाने का दोषी मानती है। फोरम ने 30 दिन के भीतर सूचना के सप्प्लाई के साथ साथ लोक सूचना अफसर को 7000 का एवं अपील अधिकारी को 5000 का जुर्माना किया जो की शिकायतकर्ता को दिया जाएगा। आदेश के अनुपालना न होने पर धारा 25 एवं 27 के तहत अनुपालना करवाने के लिए भी शिकायतकर्ता को हिदायत दी गई।