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संपादकीय

हवाई जहाज में उड़ने और डिज़ाइनर कपड़ों के लिए लोग पहले रिक्शे में चलते हैं

December 17, 2014 04:04 PM

मनीराम शर्मा
भाजपा सुशासन का दावा करते समय यह कहती है कि 60 वर्षों से देश के हालत बिगड़ते गए हैं जबकि भाजपा तो स्वयम रामराज्य करने का दावा करती है और अभी कांग्रेस को लगातार मात्र 10 साल हुए हैं| इससे पहले तो स्वयं भाजपा 5 साल शासन कर चुकी है| इस अवधि में इन्होंने कौनसा टिकाऊ या मौलिक सुधार किया? या यदि इन्होंने कोई ऐसा सुधार किया जो 10 साल भी नहीं टिक सका तो फिर ऐसे सुधार को क्या कोरी सस्ती लोकप्रियता की लिए कदम नहीं कहा जाए| गत चुनाव में दिल्ली में शत प्रतिशत सीटें जीतने वाली पार्टी विधानसभा चुनावों में क्या इसे बरकरार रख पाएगी? यदि अभी संसद के लिए पुन: मतदान तो भाजपा 10%  से अधिक सीटें खो देगी| यदि भाजपा अपने 5 साल के शासन में कुछ नहीं सुधर सकी तो कांग्रेस को 10 साल के शासन के लिए ज्यादा दोष नहीं दिया जा सकता|
जिस प्रकार पूर्व देश में (जहां कोई वृक्ष नहीं होता) वहां एरंड ही वृक्ष कहलाता है| देश की राजनीति तो एक दलदल है जो इसमें से निकालने के लिए जितना जोर लगाएगा उतना ही अंदर धंसता जाएगा| ये वही मोदीजी हैं जो सत्ता में आने से पहले शेर की तरह दहाड़ते थे और शशि थरूर की बीबी को करोड़ों की बीबी बताते थे।
देश में लगभग 70प्रतिशत लोग गरीब हैं 10प्रतिशत धनी और 20प्रतिशत मध्य वर्गीय हैं| ऊपरी उद्योगपतियों को सरकारी अनुदान दिया जाता है और निचले लोगों को भी अनुदान किन्तु मध्यम वर्ग को कोई लाभ उपलब्ध नहीं हैं है| गुजरात में 40प्रतिशत शहरी और व्यापारी हैं जिनका उन्हें समर्थन प्राप्त है| आदर्श ग्राम योजना भी एक छलावा मात्र है| एक सांसद के क्षेत्र में लगभग एक हजार गाँव हैं तो इतने गाँवों के विकास में कितनी पीढियां लगेंगी, अनुमान लगाया जा सकता है| स्वच्छ भारत अभियान भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है और प्रशासन की विफलता का द्योतक है कि वे नगर निकायों से काम नहीं ले सकते| दूसरी पार्टियों या राजनेताओं पर आरोप लगाने से भी भाजपा उज्जवल नहीं हो जाती है बल्कि यह तो इस बात की पुष्टि है कि हम भी उन जैसे ही हैं जबकि अलग  चाल, चरित्र और चेहरे का दावा खोखला है|
केंद्र सरकार के सचिवालयों में आज भी बात करें कि मोदीजी ने यह कहा है तो वे निर्भय होकर कहते हैं हम तो यों ही काम करेंगे आप मोदीजी से शिकायत कर दें या उनसे काम करवा लें| भारत में प्रधान मंत्री का तो पद खाली है और दो विदेश मंत्री कार्यरत   हैं| पी एम ओ (प्रधान मंत्री कार्यालय) पहले भी पोस्टमैन का कार्यालय था और अब भी यही है| जनता से प्राप्त शिकायतों को सम्बंधित मंत्रालय को डाकिये की भांति आगे भेज दिया जाता है और उस पर इस बात कोई निगरानी नहीं रखी जाती कि उसका समय पर व समुचित निपटान हो रहा है| दिन में 20 घंटे काम तो मोदीजी अवश्य करते होंगे किन्तु इस अवधि में राजनैतिक जोड़तोड़ पर चिंतन ही करते हैं और राकापा, शिव सेना, ओवैसी  आदि के साथ अपवित्र गठबंधन करने में अपना समय और ऊर्जा लगाते हैं किन्तु जन हित चिंतन उनके स्वभाव का अंग नहीं है| जो अम्बानी से हाथ मिलाएगा वह विकास तो अम्बानी का ही करेगा आम जनता का नहीं| अम्बानी तो व्यापारी हैं पहले इनके  पिता तात्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के ख़ास थे, फिर मुलायम के और अब मोदी के| ये पैसे के अतिरिक्त किसके ख़ास हो सकते  हैं| रेलवे स्टेशन पर खुम्चे वाले आज कई बड़े धनपति बने बैठे हैं –इससे क्या फर्क पड़ता है आम जनता की नियती तो वही रहती है| हवाई जहाज में उड़ने और डिज़ाइनर कपड़ों के लिए लोग पहले रिक्शे में चलते हैं|

 
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