फेस2न्यूज:
अपने आपको जितना खाली करते जाओगे उतना ही परमात्मा के नजदक पाओगे उतना ही आनन्द से भरते चले जाओगे।बहुत ही साधारण तरीका है, अपने आपको शून्य करने का। जो कुछ भी है वह सब उसी का ही तो है जब सब कुछ उसी का है तो फिर क्या रह जाता है, आपके पास! केवल शून्य। तो सबसे पहले अपने आप को पहचानना है कि आप कौन हैं। मतलब मैं कौन हूं? आप शरीर नहीं हैं केवल आत्मा हैं जो चेतन शक्ति है। यदि आपका शरीर भी नहीं है तो बाकी सब चीजें आपकी कैसे हुई? न आपने किसी को कुछ दिया और न ही लिया तो बाकी क्या बचा? केवल मात्र शून्य। शून्य और केवल मात्र शून्य। मतलब केवल परमात्मा। जितना अपने आप को खाली करते जाओगे, उतना ही आप भरते जाओगे आनन्द से। बिलकुल खाली कर दो अपने आपको। सब कूड़ा करकट बाहर फेंक दो। आप कुछ भी तो नहीं हैं फिर क्यों इतना बोझा लिए फिरते हो। सब कुछ उसी परमात्मा के हवाले करदो। सिर से बोझ रूपी गठड़ी उतार दो। क्यों व्यर्थ में इतना बोझा लादे हो। दिल और दिमाग को बोझ से मुक्त कर दो। खाली कर दो बिलकुल। फिर देखो आप खुद महसूस करोगे कि नाहक ही इतना बोझा लादे थे। क्यों जिन्दगी के इतने बहुमूल्य क्षण व्यर्थ खो दिए। क्यों मैं आनन्द से इतने समय से वंचित था। एक ही चीज समाएगी। आपके अन्दर या तो मैं और मेरा (कूड़ा करकट) या फिर आनन्द। दोनों चीजें कभी भी एक साथ नहीं समा सकती। तो ये आपके उपर निर्भर करता है कि आप को किस की आवश्यकता है। बड़े मजे की बात है। जैसे ही आप आनन्द की इच्छा करेंगे तो वह भी गायब हो जाएगा। किसी वस्तु की इच्छा न करके बिल्कुल शून्य हो जाओ तो आनन्द स्वतः ही आएगा। जब किसी भी चीज की इच्छा नहीं होगी। दरअसल हम स्वयं जिम्मेवार है आनन्द को खोने के। जैसे ही हम इच्छा करते किसी चीज की वह लुप्त हो जाता है। सो शून्य शून्य और केवल शून्य हो जाना है।