जालंधर (रविंदर शर्मा)
अखिल भारतीय सरस्वती ज्योतिष मंच द्वारा आयोजित 56 वें अखिल भारतीय सरस्वती ज्योतिष सम्मेलन व प्रदर्शनी का विधिवत शुभारंभ पवित्र हवन यज्ञ व सरस्वती वंदना से किया गया। इस अवसर पर मंच के संस्थापक अध्यक्ष व संचालक पं. राजीव शर्मा, संरक्षक राजन ठुकराल, विक्रांत शर्मा, मोहन भाई पटेल (अहमदाबाद), डा. रविंदर शर्मा, सन्नी साहनी, एस.एल. मल्होत्रा, पं. ओम प्रकाश शास्री, पारितोष शर्मा, आशुतोष शर्मा, सौरभ ठुकराल व अन्य गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। वैदिक मंगलाचरण पं. कैलाश चमोली शास्री, पं. सुनील शर्मा, उमेश दत्त दुबे, गौतम द्विवेदी, पं. अवधेश, पं. रमेश त्रिपाठी, पं. दिनेश शास्री, आचार्या पवन कालिया, भोला नाथ द्विवेदी व सरस्वती ज्योतिष विद्यापीठ जालंधर के विद्यार्थियों द्वारा किया गया। हवन यज्ञ के पश्चात समारोह परिसर में स्थापित सर्व ईष्ट देवों व प्रथम पूज्य गणेश व मां चिंतपूर्णी माता की अर्चना कर सर्व मंगल कामना की गई। स्थानीय जलविलास पैलेस वर्कशाप चौंक जालंधर में आयोजित इस 3 दिवसीय सम्मेलन में राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैदिक ज्योतिष, वास्तु, प्रश्न ज्योतिष, लाल किताब, अंक, इत्र, पैंडुलम, रत्न, टैरोकार्ड विशेषज्ञ, ्रआचार्य, बुद्धिजीवी व ज्योतिष जिज्ञासु भाग लेंगे। स्टार लाईट ज्योतिष प्रदर्शनी का शुभारंभ श्री राजन ठुकराल (प्रसिद्ध उद्योगपति) द्वारा किया गया। इस प्रदर्शनी में ज्योतिष व आयुर्वेद से संबंधित विभिन्न वस्तुओं, सहायक सामग्री व ज्ञानवर्धक पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं। आज पहुंचने वाले विद्वानों में गोपाल भट्टाचार्य (कोलक त्ता), पं. अक्षय शर्मा (मोगा), पं. सियां कांत दुबे (अमृतसर), आचार्या विजया (दिल्ली), के.के. शर्मा (अजमेर), दयानंद साबरी (कैथल), विपन- किशनदेव (ज्वाली), पं. प्रीतम भारद्वाज (धर्मकोट), पं. राजन शर्मा व अन्य शामिल हैं। शुभ ऊर्जा के संचालक व प्राकृतिक ऊर्जा विशेषज्ञ डा. रविंदर शर्मा ने बताया कि संपूर्ण मानव जीवन के उत्थान व प्रकृति ऊर्जा का आपस में गहरा संबंध है। इन दोनों में उचित समन्वय का कार्य हमारे ऋषि मुनियों, संत महा पुरूषों द्वारा सतत: रूप से किया जा रहा है। जरूरत है इस विषय के प्रति और अधिक जागरूक होने की। वर्तमान में पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ यंत्र, मंत्र, अंक, रंग, रत्न, पिरामिंड, स्फटिक, प्रार्थना, ध्यान, संकल्प शक्ति का विशेष महत्व है। जब यह शक्तियां आपसी तालमेल से सामूहिक रूप से कार्य करती है तो वहां शुभ ऊर्जा पैदा होती है और उसका मानव व प्रकृति पर अच्छा प्रभाव होता है। जरूरत है इन शक्तियों को पहचानने की, उनके सदुपयोग की। इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के शोध कार्य निरंतर जारी है। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर जिज्ञासा निवारण, प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।
इस सम्मेलन के दूसरे चरण 19 दिसंबर शनिवार को पहला सत्र सुबह 11:30 बजे शुरू होगा। इस दौरान मानव जीवन से संबंधित विभिन्न विषयों की चर्चा के साथ-साथ भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध कैसे रहेंगे, टैरोकार्ड, रेकी, वास्तु, अंक विज्ञान और हस्तरेखा का प्रभाव, लाल किताब व मकान कुंडली के बारे में शोध पत्र विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किए जाएगें।
निशुल्क व शुल्क सहित कुंडलिया भी देखी जाएंगी
सम्मेलन के दौरान जनसाधारण की जिज्ञासाओं, शंकाओं का निशुल्क व शुल्क सहित समाधान भी सुझाया जाएगा। इस दौरान जिज्ञासुओं को अपनी जन्मकुंडली, टेवें साथ लाने का सुझाव दिया गया है। विद्वानों द्वारा वर्तमान में ज्योतिष के प्रति समाज मेंं व्याप्त भ्रांतियों के निवारण के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की अनुपम धरोहर ज्योतिष का सही पक्ष भी प्रस्तुत किया जाएगा।