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संपादकीय

क्या हरियाणा सरकार बादल से सबक लेगी

March 15, 2016 08:28 PM

92 साल की उम्र। दहाड़ ऐसी की पूरा सदन गूंज जाए। एसवाइएल पर जब वे बोलने के लिए उठे तो एक राज्य का सीएम कैसे अपनी जनता के हक सुरक्षित रखता है, सदन की हर दीवार इसका चश्मदीद बनी। उनके जवाब पर जब सत्ता पक्ष तालियां बजाने लगा तो उन्होंने तुरंत कहा, यह मौका तालियां बजाने का नहीं, बल्कि जेल में जाने की तैयारी करने का है। यानी उनका इशारा साफ, हम जेल में चले जाएंगे लेकिन हरियाणा के हिस्से का पानी नहीं देंगे। वाह क्या बात है, सीएम तो ऐसा ही होना चाहिए। मुझे लगता है हरियाणा सरकार को बादल से कम से कम यह गुर तो सीखना ही चाहिए। 

दो नहीं एसवाइएल पर दस कदम आगे बढ़ गया पंजाब

बादल कितने दबंग है, यह भी इस सत्र में देखने को मिला, एसवाइएल के मुद्दे पर पहले कैबिनेट में जमीन डी नोटिफाई कर दी। अब नहर के लिए अधिग्रहण की गई जमीन बिना कोई पैसा लिया किसानों को वापसी का ऐलान कर दिया। इस तरह से एक तीन से कई शिकार कर लिए। जिन किसानों के खेत से नहर गुजर रही उन्हें अपनी जमीन वापस मिल जाएगी। पैसा भी नहीं देना पड़ेगा। कांग्रेस के हाथ से मुद्दा ही छीन लिया। वह भी इस तरह से कि कांग्रेस को बादल सरकार की हा में हा मिलानी पड़ी। जबरदस्त राजनीति चाल चली बादल ने।

अब पानी मिलने की संभावना बेहद कम 
मैं भविष्य वक्ता नहीं। न ऐसा कुछ घोषणा कर रहा। लेकिन एक बात साफ कर रहा हूं कि अब एसवाइएल नहर का पानी हरियाणा को मिलने की संभावना बेहद कम है। नामात्र की उम्मीद है। जिस तरह से अकाली दल आगे बढ़ा, इससे साफ हो गया कि वे पानी नहीं देंगे।

हरियाणा की रणनीति बेहद फिसड्‌डी 
कांगेेस इस पर कोरी राजनीति कर रही है। उनके पल्ले अब कुछ नहीं है। बीजेपी को यह पता ही नहीं कि एसवाएल नहर का महत्व हरियाणा के लिए कितना है। क्योंकि बीजेपी नहर के म़ुद्दे से कभी सीधे सीधे जुड़ी ही नहीं। तुक्के से सत्ता मिल गई सो मजे ले रहे हैं। तकरीबन आठ माह पहले एक न्यूज सरकार ने लगवाई थी, जिसमें कहा गया बीजेपी सुप्रीम कोर्ट में एसवाइएल के इश्यू पर जल्दी सुनवाई की मांग करेगी। लेकिन ऐसा तब हुआ नहीं था। यह बीजेपी की पहली गलती है। दूसरी गलती यह है कि नहर के मुदद़े पर बीजेपी में आक्रमकता का अभाव है। तीसरी गलती यह है कि सोच रहे है जैसे घर की आग को फायर ब्रिगेड वाले आकर बूझाते हैं। इसी तरह से केंद्र उनकी मदद करेगा। जबकि हकीकत यह है कि केंद्र को पंजाब का विधानसभा चुनाव नजर आ रहा है। ऐसे में पें कुछ नहीं करेंगे बस इतना होगा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में होने का तुर्रा छोड़ते हुए इंतजार करने को कहा जाएगा। बीजेपी के नेता भी कुछ ऐसे ही बयान प्रदेश में देंगे। हम पानी लाकर रहेंगे। इसके लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हे। जबकि हकीकत यह है कि वे इसके कुर्बानी देना तो दूर थोडी सी मेहनत भी नहीं करेंगे। वे बादल सरकार से कोई सबक नहीं लेंगे। सीएम कह रहे है कि बादल से मिल कर नाराजगी जताएंगे। अब देखिए यह नाराजगी कैसी जो मिलने का इंतजार कर रही है। भई फोन उठाओ तुरंत पंजाब के सीए को लगाओ अपनी नाराजगी जताओ। क्या पता जब आप उनसे मिले तो आपकी नाराजगी ही खत्म हो जाए।                                                        -मनोज ठाकुर ने जैसा फेसबुक पर लिखा

 
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