आर एल गोयल
भारतीय राजनीति जिस तरह निरंतर गंदली व भ्रष्ट हो रही थी उसके लिए आम आदमी पार्टी का अस्तित्व में आना ही अच्छा संकेत नहीं बल्कि जिस तरह के हालत बने हुए हैं वे भी अच्छा संकेत ही दे रहे हैं। मसलन दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार का होना, केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी का पूर्ण बहुमत में होना, दिल्ली के राज्यपाल का केन्द्र सरकार का प्रतिनिधि होना व दिल्ली पुलिस का उपराज्यपाल के अधीन होना। यानि अरविंद केजरीवाल के लिए इन परिस्थितियों में काम करना बेशक कठिन है किन्तु देश के लिए ये संकेत अच्छे ही हैं। यदि ऐसा न होता तो शायद केजरीवाल भी निरंकुश शासक बन जाते। दूसरे दलों की तरह अपने दागी मंत्रियों को बचाने का हर हीला—वसीला करते ताकि पार्टी की बदनामी न हो। उन्हें भी डर सताने लगता कि मंत्रियों के दागी होने की खबरें आई तो लोगों का विश्वास उनकी पार्टी से उठ जाएगा। इस तरह गंदगी को छुपाने की गर्ज से उस पर मिट्टी डालने का प्रयास करते। फलस्वरूप वे भी ओरों की तरह गंदगी का पहाड़ बना बैठते। अब उनकी खुशकिस्मती यह है कि परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई है। अपराध छुपाने के लिए उनके हाथ पूरी तरह बंधे हुए हैं। वे चाह कर भी अपराधी को बचा नहीं सकते। 'निंदक नियरे राखिए' की कहावत उन पर पूरी तरह फिट बैठती है। एक तरफ तगड़ा प्रतिद्वन्दी नरेन्द्र मोदी, दूसरी तरफ एलजी नजीब जंग, पंजाब में बादल व उनकी ताकतवर टीम और सबसे दमदार दिल्ली पुलिस। अपराध करके बच कैसे जाओगे, फिर बच के जाओगे कहां। चारों तरफ कड़े पहरे। यही तो परीक्षा की घड़ी है। ऐसे दुरूह चक्रव्यूह को सिर्फ अर्जुन जैसा योद्धा बन कर ही तोड़ा जा सकता है। देखना रोचक होगा कि केजरीवाल में अर्जुन जैसी शक्ति, सामथ्र्य, स्फूर्ति, साहस व समझदारी है या नहीं। फिलहाल तो उन्होंने अपराध व अपराधी दोनों को दूर से सलाम की नीति अपना रखी है राजनीति की गंदगी साफ करनी है तो श्रीमान को कीचड़ में कमल की तरह रहना होगा। शायद इसको केजरीवाल अपने हिस्से में रखने में कामयाब होते हैं तो आने वाले समय में राजनीति के मायने बदल जाएंगे।
अब देखना रोचक होगा कि केजरीवाल में अर्जुन जैसी शक्ति, सामथ्र्य, स्फूर्ति, साहस व समझदारी है या नहीं। फिलहाल तो उन्होंने अपराध व अपराधी दोनों को दूर से सलाम की नीति अपना रखी है ताकि लोगों को यह कहने का मौका ही न मिले कि औरों को नसीहत—खुद मियां फजीयत। राजनीति की गंदगी साफ करनी है तो श्रीमान को कीचड़ में कमल की तरह रहना होगा। कमल का फूल यूं तो भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह है लेकिन कमल की भांति कीचड़ में रहकर भी उस कीचड़ को रंचमात्र भी खुद पर न लगने देना, शायद इसको अरविंद केजरीवाल अपने हिस्से में रखने में कामयाब होते हैं तो आने वाले समय में राजनीति के मायने बदल जाएंगे।