शनि देव को हिन्दू धर्म तथा ज्योतिषीय दृष्टि से न्याय का देवता माना जाता है। इन्हें इसलिए भी कठोर माना जाता है क्योंकि ये दण्डाधिकारी हैं और गलत कर्म करने वालों को ये बख्शते नहीं चाहे वह रावण हो या कलयुग का कोई महाबली। इनके प्रकोप से राजा रंक बन जाता है और प्रसन्न हो तो रंक से राजा बन जाता है। सतयुग के राजा हरिशचंद्र हों या आज का कोई नेता। राजपाट जाते और सड़क पर आते देर नहीं लगती। शनि का न्याय निष्पक्ष होता है और न्याय में दंड तो मिलेगा ही।
आज के संदर्भ में चाहे वह काला धन हो या इससे जुड़े लोग हों, आतंकवाद हो या आतंकियों को सजा मिले, यह सब शनि के अधिकार क्षेत्र में आता है।
छह नवंबर 2014 से लेकर 26 जनवरी 2017 तक शनि वृश्चिक राशि में हैं और विभिन्न अवसरों पर वक्री, मार्गी, उदय अस्त होते रहे और उनके परिणाम भी बदलते रहे।
जब से शनि अपने शत्रु मंगल की राशि में विचर रहे हैं, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाओं, राजनीतिक परिवर्तन, आर्थिक उथल पुथल की घटनाएं बढ़ गई हैं। हाल ही में विशेषतः दो एक दूसरे के विरोधी ग्रह, सूर्य व शनि 16 नवंबर को वृश्चिक राशि में एक साथ हो इकटठे हो गए और 23 नवंबर से शनि अस्त हो गए। अब यह स्थिति सरकार और जनता दोनों के लिए अत्यंत गंभीर हो गई है। सूर्य सरकार का प्रतिनिधित्व करता है तो शनि जनता का। दो बड़े विरोधी ग्रह एक ही घर में साथ साथ बैठ जाएं तो अंजामें गुलिस्तां क्या होगा, इसका अंदाजा बड़ी आसानी से कोई भी लगा सकता है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय 26 जनवरी,2017 तक दोनों पक्षों अर्थात सरकार व जनता के लिए कष्टकारी रहेगा ही। हालांकि 16 दिसंबर को सूर्य - शनि अलग हो जाएंगे और 27 दिसंबर को शनि महाराज उदित तो हो जाएंगे तो बैंकीय हालात कुछ काबू में आ जाएंगे।
परंतु देश को सांस पहली अप्रैल 2017 के बाद ही आएगा जब नव संवत 2074 आरंभ होगा जिसमें राजा मंगल और मंत्री गुरु होगा।
गुरु यहां बैंकिंग, अर्थ व्यवस्था, सोना, विकास आदि का प्रतिनिधि है और अप्रैल 2017 के बाद भारत में नई बैंकिंग व्यवस्था एवं आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। मंगल युद्ध का देवता भी है तो 2017 में पाकिस्तान को मजा चखाने का पूर्ण अवसर मिलेगा जिसके लिए भारत को तैयार रहना चाहिए।
मदन गुप्ता सपाटू, ज्यार्तिविद्, चंडीगढ़