फूलों की आस बांधे बैठे हो
तो
दामन में कांटों के लिए भी
जगह बना कर रखना
फूलों को रौंदने की
मन में घर कर जाए
तो
कांटों की चुभन का
भी अहसास रखना
आकाश में उड़ने की चाहत रखने वालो
एक गुजारिश है
एक पांव
धरा पर भी जमाए रखना
क्योंकि
आकाश शिव का प्रतिनिधितत्व है
और
धरा मॉं गोरजां का
दोनों का संतुलन
हर हाल में बनाए रखना
मॉं
गोरजां ने ही बचाया है
सदैव हमें
शिव के प्रकोप से
वही रूष्ठ हुई तो
कौन?
बचा सकेगा हमें
उसे रूष्ठ करने के
दोष से
बचना है
यदि
शिव के क्रोध से
तो
सुगमता बनाए रखना
शालीनता काे ओढ़े रखना
व्यक्तित्व में दया
अंहिसा काे जागृत रखना
सृष्टि के नियम
सदां—सदां
याद रखना
वो
जब
बिगड़ती है
तो
तबाही ही तबाही मचाती है
और
दरख्ताें तक की जड़ें
भी
ऊखाड़ती है
मोतियों से सजाना है
गर आशियाना
ताे
समुद्र के जलजले
काे भी स्वीकारे रखना
अपने लिए जीना
ताे
निशां है विष को
गैरों के लिए
छोड़ना
शिव की तरह
मंथा विष की जगह भी
अपने लिए बचाए रखना
अमृत पी कर इतराने वालो
संमुद्र मंथन का श्रम भी याद रखना
— रोशन