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एस्ट्रोलॉजी

होलिका दहन पर करें विशेष उपाय

March 07, 2017 08:12 PM

मदन गुप्ता ‘सपाटू’, ज्योतिषाचार्य, 098156-19620
सद्मिलन, मित्रता, एकता, द्वेष भाव त्याग कर गले मिलने का रंगारंग पर्व होली,सोमवार 13 मार्च, को आ रहा है। विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोगों को एक सूत्र में बांधने तथा राष्ट्र्ीय भावना जागृत करने की दृष्टि से हमारे देश में यह पर्व आरंभ किया गया था ताकि सभी वर्गों, समुदायों के लोग विविध रंगों और उत्साह में रंग कर सारे गिले शिकवे भूल जाएं और आने वाले नए वर्ष का स्वागत करें। प्रकृति भी अपने पूर्ण यौवन पर होती है।फाल्गुन का मास नवजीवन का संदेश देता है। यह उत्सव वसंतागमन तथा अन्न समृद्धि का मेघदूत है। जहां गुझिया की मिठास है, वहीं रंगों की बौछारों से तन मन भी खिल उठते हैं। जहां शुद्ध प्रेम व स्नेह के प्रतीक, कृष्ण की रास का अवसर है वहीं होलिका दहन, अच्छाई की विजय का भी परिचायक भी है। सामूहिक गानों, रासरंग, उन्मुकत वातावरण का एक राष्ट्र्ीय, धार्मिक व सांस्कृतिक त्योहार है। इस त्योहार पर न चैत्र सी गर्मी है, न पौष की ठिठुरन, न आषाढ़ का भीगापन, न सावन का गीलापन ...बस वसंत की विदाई और मदमाता मौसम है। हमारे देश में यह सद्भावना का पर्व है जिसमें वर्ष भर का वैमनस्य, विरोध, वर्गीकरण आदि गुलाल के बादलों से छंट जाता है जिसे शालीनता से मनाया जाना चाहिए न कि अभद्रता से।
होलिका- दहन का ज्योतिषीय मुहूर्त
रविवार 12 मार्च को होलिका दहन का विशेष शुभ समय सायंकाल 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 23 मिनट तक होगा ।
पंचांग के अनुसार ,इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा, 11 मार्च शनिवार रात्रि को 8 बज कर 23 मिनट से आरंभ होकर रविवार 12 मार्च की रात्रि 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगी । इसी लिए होलिका दहन का मुहूर्त रविवार की सायं 6 बजकर 30 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 23 मिनट के मध्य होगा। भद्रा का पुच्छ काल 11 मार्च को 4 बजकर 11 मिनट से 5 बजकर 23 मिनट है तथा मुखकाल 5 बजकर 23 मिनट से लेकर 7 बजकर 23 मिनट तक है।
होलिका दहन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
होली के आयोजन में अग्नि प्रज्जवलित कर वायुमंडल से संक्रामक जम्र्स दूर करने प्रयास होता है। इस दहन में वातावरणशुद्धि हेतु हवन सामग्री के अलावा गूलर की लकड़ी,गोबर के उपले, नारियल,अधपके अन्न आदि के अलावा बहुत सी अन्य निरोधात्मक सामग्री का प्रयोग किया जाता है जिससे आने वाले रोगों के कीटाणु मर जाते हैं। जब लोग 150 डिग्री तापमान वाली होलिका के गिर्द परिक्रमा करते हैं तो उनमें रोगोत्पादक जीवाणुओं को समाप्त करने की प्रतिरोधात्मक क्षमता में वृद्धि होती है और वे कई रोगों से बच जाते है। ऐसी दूरदृष्टि भारत के हर पर्व में विद्यमान है जिसे समझने और समझाने की आवश्यकता है। देश भर में एक साथ एक विशिष्ट रात में होने वाले होलिका दहन, इस सर्दी और गर्मी की ऋतु -संधि में फूटने वाले मलेरिया ,वायरल, फलू और वर्तमान स्वाइन फलू आदि तथा अनेक संक्रामक रोग-कीटाणुओं के विरुद्ध यह एक धार्मिक सामूहिक अभियान है जैसे सरकार आज पोलियो अभियान पूरे देश में एक खास दिन चलाती है।

 
प्राचीन काल में होली
हिरण्यकश्यप जैसे राक्षस के यहां प्रहलाद जैसे भक्तपुत्र का जन्म हुआ। अपने ही पुत्र को पिता ने जलाने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती।इसलिए प्रहलाद को उसकी गोद में बिठाया गया। परंतु सद्वृति वाला ईश्वरनिश्ठ बालक अपनी बुआ की गोद से हंसता खेलता बाहर आ गया और होलिका भस्म हो गई। तभी से प्रतीकात्मक रुप से इस संस्कृति को उदाहरण के तौर पर कायम रखा गया है और उत्सव से एक रात्रि पूर्व, होलिका दहन की परंपरा पूरी श्रद्धा व धार्मिक हर्शोल्लास से मनाई जाती है।
भविष्य पुराण में नारद जी युधिश्ठर से फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सब लोगों को अभयदान देने की बात करते हैं ताकि सारी प्रजा उल्लासपूर्वक यह पर्व मनाए।।जैमिनी सूत्र में होलिकाधिकरण प्रकरण, इस पर्व की प्राचीनता दर्शाता है। विन्ध्य प्रदेश में 300 ईसवी पूर्व का एक शिलालेख पूर्णिमा की रात्रि मनाए जाने वाले उत्सव का उल्लेख है। वात्सयायन के कामसूत्र में होलाक नाम से इस उत्सव का वर्णन किया है। सातवीं शती के रत्नावली नाटिका में महाराजा हर्श ने होली का ज़िक्र किया है। ग्यारवीं शताब्दी में मुस्लिम पर्यटक अल्बरुली ने अपने इतिहास में भारत की होली का विशेष उल्लेख किया है।
होली के रंग किस राशि के संग?
होली आपसी मतभेद मिटाकर गले मिलने का सुअवसर है। परंतु कई बार खुशी का मौका गमी में बदल जाता है।प्रेम का प्रवाह नफरत में परिवर्तित हो जाता है। मानव शरीर पर रंगों का वैज्ञानिक और ज्योतिषीय प्रभाव दोनों ही पड़ता है। यह इंसान की मनोवृति प्रभावित करता है। अनुकूल रंग मूड को बढ़िया बना सकता हैं। वहीं गलत रंग आपको आपस में भिड़ा सकता है। अतः गलत रंगों से बचना चाहिए। आप यदि अपनी राशि के अनुसार रंग लगाएं और विशेश रंग से बचे ंतो होली का उत्सव और रंगीन हो जाएगा।
मेश व बृश्चिक: आप लाल,केसरिया व गुलाबी गुलाल का टीका लगाएं व लगवाएं और काले व नीले रंगों से बचंे ।
बृष व तुलाः आपको सफेद, सिल्वर, भूरे, मटमैले रंगों से होली क्रीड़ा भाएगी। हरे रंगों से बचें।
मिथुन व कन्या: हरा रंग आपके मनोकूल रहेगा। लाल ,संतरी रंगों से बचें।
कर्कः पानी के रंगों से इस होली पर बचें। आस्मानी या चंदन का तिलक करें या करवाएं। काले नीले रंगों से परहेज रखें।
सिंहः पीला ,नारंगी और गोल्डन रंगों का उपयोग करें। काला,ग्रे, सलेटी व नीला रंग आपकी मनोवृति खराब कर सकते हैं।
धनु व मीनः राशि वालों के लिए पीला लाल नारंगी रंग फिज़ा को और रंगीन बनाएगा। काला रंग न लगाएं न लगवाएं।
मकर व कुंभः आप चाहे काला , नीला ,ग्रे रंग जितना मर्जी लगाएं या लगवाएं, मस्ती रहेगी पर लाल ,गुलाबी गुलाल से बचें।
सिंथेटिक रंगों की बजाए प्राकृतिक रंगों का करें प्रयोग
सूखे या गीले रंगों में प्राकृतिक वस्तुओं और फूलों का प्रयोग किया जा सकता है । भगवान कृष्ण होली पर टेसू के फूलों का प्रयोग करते थे । लाल रंग पवित्रता,हरा प्रकृति ,नीला शांति,पीला शुद्धता, गुलाबी उल्लास तथा काला क्रूरता का आभास देता है। मेंहदी,पालक, पुदीना पीस कर छान लें और प्राकृतिक हरा रंग तैयार है।टेसू, पलाश, गुलमोहर के फूलों से लाल रंग बनाएं। हल्दी तथा गंेदे के फूल आपको पीला रंग देंगे।अमलतास, अनार के छिल्कों,चुकंदर गहरा गुलाबी रंग देगा। कचनार से गुलाबी रंग मिलेगा। थोड़ा सा केसर बहुत सा नारंगी रंग बना देता है। चाय या काफी का प्रयोग भी आप ब्राउन रंग के लिए कर सकते हैं।
सूखे रंगों के लिए आप , लाल,पीला व सफेद चंदन मुल्तानी मिटट्ी या मैदे में मिलाकर प्राकृतिक गुलाल बना सकते हैं।यह त्वचा के लिए गुणकारी भी रहेगा।
होलिका दहन पर विभिन्न समस्याओं के लिए कर सकते हैं एक से अधिक विशेष उपाय
होली व दीवाली ऐसे विशेष अवसर हैं जब हर प्रकार की साधनाएं, तांत्रिक क्रियाएं तथा छोटे छोटे उपाय भी सार्थक हो जाते हैं।
— व्यापार वृद्धि तथा नजर उतारने के लिए, दुकान, आफिस या कार्यालय में सायंकाल एक सफेद कपड़े पर गेहूं और सरसों की 7- 7 ढेरियां रखें। इन पर एक एक काली मिर्च रखें। 7 निम्बू के 2-2 टुकड़े कर के इन ढेरियों पर रखें। निम्न मंत्र का 7 बार पाठ करें- ओम् कपालिनी स्वाहा! पाठ समाप्ति पर इस सारी सामग्री की पोटली बनाकर लाल मौली से गांठ लगाकर बांध लें और दूकान या घर में एक सिरे से आरंभ कर के चारों कोनों पर घुमा कर बाहर ले आएं। इस पोटली को होलिका में डाल दें।
— दुकान, आफिस, फैक्ट्र्ी या मकान में अक्सर होने वाली या अचानक चोरी या नुक्सान, के बचाव हेतु- सूखा नारियल और तांबे का पैसा घर या दूकान में सात बार चारों कोनों में घुमा कर होलिका में डालें।
— धनवृद्धि हेतु होलिका में यह मंत्र ‘ ओम् श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्मय नमः ’ 108 बार पढ़ते जाएं और शक्कर की आहुति देते जाएं।
— रोग निराकरण के लिए एक सूखा नारियल, एक लौंग, काले तिल, सरसों पीड़ित पर 7 बार उल्टा घुमा के होलिका में डालें।
— कार्यसिद्धि के लिए, खोपे के दो आधे - आधे कटोरे की शक्ल में टुकड़े कर लें। इस में कपूर, काले तिल, बर्फी ,सिंदूर, हरी इलायची, लौंग रख के इस मंत्र की एक माला करें- ओम् हृीं क्लीं फट् स्वाहा ! सामग्री को काले कपड़े में बांध कर होलिका में 7 परिक्रमा करके अर्पित कर दें।
- दांपत्य जीवन में मिठास लाने के लिए - रुई की 108 बत्त्यिां देसी घी में भिगो के होलिका में संबंध सुधार की अनुनय सहित एक एक करके परिक्रमा करते हुए डालें।
— यदि आपको लगता है कि किसी ने आपके उपर तांत्रिक अभिचार किया हुआ है जिसके कारण आपकी प्रगति ठप्प हो गई है तो देसी घी में भीगे दो लौंग ,एक बताशा,एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दूसरे दिन वहां की राख ला के शरीर पर मलें और नहा लें। तांत्रिक अभिचार दूर हो जाएगा
-यदि आपको लगता है कि बच्चे को किसी की नजर लग गई है तो - देसी घी में भीगे पांच लौंग, एक बताशा,एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। करें।दूसरे दिन वहां की राख ला के ताबीज में भर के बच्चे को पहनाएं
— यदि आपके घर को बुरी नजर लग गई है उसे उतारने का यह स्वर्णिम अवसर है। देसी घी में भीगे दो लौंग, एक बताशा, मिश्री, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दूसरे दिन वहां की राख ला के लाल कपड़े में बांध के घर में रखें।
- यदि कोई आपकी धन वापसी में बेईमानी कर रहा है और आप मुकदमे में नहीं पड़ना चाहते तो - होलिका दहन स्थल पर धन न लौटाने वाले का नाम जमीन पर अनार की लकड़ी से त्रिकोण के अन्दर लिखें और उस पर हरा गुलाल छिड़क दें। होलिका माता से धन वापसी की प्रार्थना करें।अगले दिन वहां से राख उठा के जल में उस व्यक्ति का नाम लेते हुए प्रवाहित कर दें।
- यदि सरकार से बाधा है तो - होलिका में उल्टे चक्क्र लगाते हुए आक की जड़ के 7 टुकड़े, विरोधी का नाम लेते हुए डालें।
-यदि व्यापार में लगातार घाटा या आर्थिक हानि हो रही है तो- होलिका दहन की सायं दूकान या मकान के मुख्य द्वार की चैखट पर गुलाल छिड़कें ,उस पर आटे का बना चार मुखी दीपक जलाएं।उस दीपक को जलती होलिका में डाल आएं।
-गंभीर रोग यदि मेडीकल उपचार से भी ठीक नहीं हो रहा तो - देसी घी में भीगे दो लौंग ,एक बताशा, मिश्री ,एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें।दाएं हाथ में 4 गोमती चक्र लेके रोग मुक्ति की प्रार्थना करें। चक्र रोगी की पलंग के चारों पायों में चांदी की तार से बांध दें।
- या - 11 गोमती चक्र पीड़ित के उपर से 21 बार विपरीत दिशा में घुमाएं और होलिका में फेंक दें।या दक्षिण दिशा में फेंकें। या दो लौग, काले तिल, सरसों,नारियल 21 बार उसार के अग्नि में डालें।
-यदि पति या पत्नि किसी के चंगुल मे है तो होली की 7 परिक्रमा करते हुए औरत या उस पुरुष का नाम लें 7 गोमती चक्र डालते जाएं।
-यदि राज्यप्रकोप- हो तो तेजफल और गेहूं की एक मुट्ठी होलिका में डालें ।
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— किसी प्रकार का विवाद, दोस्तों से मनमुटाव हो तो एक मुट्ठी चावल और 7 फूटी कौड़ियां होलिका में भस्मित करें।
- किसी प्रकार का भाइयों से मनमुटाव या भूमि विवाद हो तो 11 नीम की पत्तियां और लाल चंदन ,होलिका दहन में अर्पित करें ।
- गले या वाणी या त्वचा संबंधी रोग के लिए- हरी मूंग की एक मुट्ठी डालें।
- पिता या किसी बुजुर्ग से विवाद समाप्ति हेतु, हल्दी की 7 गांठें और एक मुटठी चने की दाल डालें ।
- खांसी, अस्थ्मा से पीड़ित व्यक्ति के उपर से सात बार उल्टा घुमा के- 48 बादाम होलिका में समर्पित करें।
- पु़त्र या पु़़त्री से परेशानी, हो या वह कहने में न हो तो सूखे प्याज लहसुन और हरा नींबू डालें।
ये अनुभूत पारंपरिक तथा आंचलिक उपाय हैं जिन्हें सदियों से हमारे देश में प्रयोग कर लाभ उठाया जा रहा है। आप भी आजमा सकते हैं।

 
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