मदन गुप्ता सपाटू , ज्योतिर्विद् ,98156-19620
7 अगस्त, सावन के अंतिम सोमवार को रक्षा बंधन का पर्व इस बार चंद्र ग्रहण के साए में रहेगा और वह भी मात्र दो घंटे तक ही। राखी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन ही आती है और चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा पर ही लगता है। संयोगवश 9 साल पहले भी , 16 अगस्त ,2008 के दिन रक्षा बंधन का पर्व एवं ग्रहण एक ही दिन थे।
रक्षा बंधन मुहूर्त, पर क्यों है आवश्यक ? क्या है अपवाद ?
वैज्ञानिक युग में अधिकांश लोग मुहूर्त जैसे विशेष समय को महत्व नहीं देते , उल्टा इसे मजाक में ब्राहम्णवाद ,रुढ़िवाद, ढकोसला ,वहम , अवैज्ञानिक आदि कहते है। उनका कहना है कि रब्ब ने सारे दिन एक जैसे बनाए हैं और हर समय ठीक है तथा जब ठीक लगे तभी वह काम कर लेना चाहिए। परंतु शुभ मुहूर्त के महत्व को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।ज्योतिषीय मान्यता है कि शुभ समय में आरंभ किये गए कार्य में सफलता अधिक रहती है तथा उस कार्य में शुभता की वृद्धि की संभावना अधिक होती है।
राखी वाले दिन खंडग्रास चंद्र ग्रहण ,रात्रि 10.52 पर आरंभ होकर 12.22 तक रहेगा। इस ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले लग जाएगा । भद्राकाल और सूतक में शुभकार्य नहीं करने चाहिए।
परंतु एक ग्रंथ, निर्णय सिंधु के अनुसार रक्षा बंधन नियत काल में होने से भद्रा काल को छोड़कर ग्रहण के दिन भी होली के समान करना चाहिए। ग्रहण का सूतक अनियतकाल के कर्माें से लगता है जबकि राखी का पर्व श्रावण सुदी पूर्णिमा पर पूर्व निश्चित है। अर्थात राखी का त्योहार तो इसी दिन ही मनाया जाएगा। अतः रक्षा बंधन का पर्व पूरा दिन अपनी सुविधानुसार मनाया जा सकता है।
इस दिन संक्रान्ति या ग्रहण निषेध का विचार नहीं किया जाएगा। यानी भद्रा समाप्ति , सुबह 11 बजकर 05 मिनट के बाद से लेकर सायं तक बहनें राखी बांध सकती हैं।
भाई-बहन को स्नेह, प्रेम ,कर्तव्य एवं दायित्व में बांधने वाला राखी का पर्व जब भाई का मुंह मीठा करा के और कलाई पर धागा बांध कर मनाया जाता है तो रिश्तों की खुशबू सदा के लिए बनी रहती है और संबंधों की डोर में मिठास का एहसास आजीवन परिलक्षित होता रहता है। फिर इन संबंधों को ताजा करने का अवसर आता है भईया दूज पर । राखी पर बहन ,भाई के घर राखी बांधने जाती है और भैया दूज पर भाई ,बहन के घर तिलक करवाने जाता है। ये दोनों त्योहार ,भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं जो आधुनिक युग में और भी महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हो गए हैं जब भाई और बहन, पैतृक संपत्ति जैसे विवादों या अन्य कारणों से अदालत के चककर काटते नजर आते हैं।
बहनें भाई को लाल रोली या केसर या कुमकुम से तिलक करें , ज्योति से आरती उतारते हुए उसकी दीर्घायु की कामना करे और मिठाई खिलाए। भाई उपहार स्वरुप बहन को शगुन या उपहार अवश्य दे। पुलिस, सैनिक बल तथा सैनिकों को भी रक्षार्थ राखी बांधी जाती है।
पुरोहित अपने जजमानों के रक्षा सूत्र बांधते हैं और उनके पालन पोशण का वचन लेते हैं। पुरोहित वर्ग को कलाई पर रक्षासूत्र की मौली के तीन लपेटे देते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
! येन वद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः!
तेन त्वामबुध्नामि रक्षे मा चल मा चल !!
गृह सुरक्षा हेतु करें उपाय
वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि मौली को गंगा जल से पवित्र करके गायत्री मंत्र की एक माला करके अपने प्रवेश द्वार पर तीन गांठों सहित बांधें तो घर की सुरक्षा पुख़्ता हो जाती है और चोरी, दरिद्रता तथा अन्य अनिश्ट से बचाव रहता है।
रुठे भाई को मनाने के लिए
यदि आपका भाई किसी कारणवश रुश्ट है तो शुभ मुहूर्त पर एक पीढ़ी पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं। भ्राता श्री की फोटो रखें। एक लाल वस्त्र में सवा किलो जौ, 125 ग्राम चने की दाल, 21 बताशे, 21 हरी इलायची, 21 हरी किशमिश,125 ग्राम मिश्री, 5 कपूर की टिक्कियां ,11 रुपये के सिक्के रखें और पोटली बांध लें । मन ही मन भाई की दीर्घायु की प्रार्थना करते तथा मन मुटाव समाप्त हो जाने कामना करते हुए पोटली को 11 बार फोटो पर उल्टा घुमाते हुए, पोटली को शिव मंदिर में रख आएं। भाई दूज पर आपका भाई स्वयं टीका लगाने आ जाएगा।
कौन से रंग का तिलक और राखी हो अपने भ्राता श्री के लिए ?
मानवीय जीवन में रंगों का विशेष महत्व होता है। आज ही रंगों का चुनाव कर लें बांधने और बंधवाने वाले भाई- बहन ।
मेष राशिः मंगल कामना करते हुए कुमकुम का तिलक लगाएं और लाल रंग की डोरी बांधें।संपूर्ण वर्ष स्वस्थ रहेंगे।
बृषभः सिर पर सफेद रुमाल रखें और चांदी की या सिलवर रंग की राखी बांधें।रोली में अक्षत मिला लें । मन शांत और प्रसन्न रहेगा।
मिथुनःहरे वस्त्र से भाई का सिर ढांकें, हरे घागे या हरे रंग की राखी आत्मविश्वास उत्पन्न करेगी।
कर्कःचंद्रमा जैसे रंग अर्थात सफेद, क्रीम धागों से बनी मोतियों वाली राखी भइया का मन सदा शांत रखेंगी।
सिंहः गोल्डन रंग या पीली, नारंगी राखी और माथे पर सिंदूर या केसर का तिलक आपके भाई का भाग्यवर्द्धन करेगा।
कन्याः हरा या चांदी जैसा धागा या रक्षासूत्र करेगा भाई की जीवन रक्षा।
तुलाः शुक्र का रंग फिरोज़ी, सफेद, क्रीम का प्रयोग रुमाल, राखी और तिलक में प्रयोग करें, जीवन में सुख समृद्धि बढ़ेगी।
बृश्चिकः यदि भाई इस राशि के हैं तो चुनिये लाल गुलाबी और चमकीली राखी या धागा और खिलाएं लाल मिठाई।
धनुः गुरु का पीताम्बरी रंग भाई की पढ़ाई में लगाएगा चार चांद। बांधिए उन्हें पीली रेशमी डोरी ।
मकरः ग्रे या नेवी ब्लू रुमाल से सिर ढकें , नीले रंग के मोतियों वाली राखी बचाएगी बुरी नजर से।
कुंभः आस्मानी या नीले रंग की डोरी से बनी राखी या डोरी भाग्यशाली रहेगी।
मीनः हल्दी का तिलक , लाल ,पीली या संतरी रंग की राखी या धागा शुभता लाएगा।
पुराणों तथा आधुनिक युग में रक्षा सूत्र
इंद्र की पत्नी ने इंद्र को ही राखी बांधी थी। यम को उनकी बहन यमुना ने । लक्ष्मी जी ने राजा बली को। द्रौपदी ने कृश्ण के हाथ में चोट लगने पर ं साड़ी का पल्लू बांधा था और इस पर्व पर वचन लिया।चीरहरण के समय भगवान कृश्ण ने द्रौपदी की रक्षा की । चित्तौड़ की महारानी करमावती ने हुमायूं को चांदी की राखी भेजी थी। सिकंदर को राजा पुरु की पत्नी ने राखी बांधी थी।सामाजिक संस्थाओं से संबद्ध महिलाएं , पुलिस कर्मियों, सैनिकों ,जवानों और राजनेताओं को आधुनिक युग में बांध रही हैं।
राखी इलैक्ट्र्ानिक हो या डिजाइनर ,या ई मेल हो या डाक द्वारा भेजे गए चार धागे..... मुख्य बात है उसके पीछे परस्पर विश्वास, दायित्व ,कर्तव्य, निश्ठा और स्नेह। इसी प्रकार भाई अपनी बहन को राखी के फलस्वरुप क्या उपहार देता है महत्वपूर्ण है रक्षासूत्र की भावना और उसकी लाज।
इतिहास साक्षी है कि भ्रातृ विरोध ने ही देश को विदेशियों के हाथ सौंप दिया। भक्त प्रहलाद, भक्त ध्रुव की रक्षा के लिए भगवान ने क्या कुछ नहीं किया ! उसी तरह रक्षा सूत्र के बंधन की मर्यादा का निर्वाह करना चाहिए तभी यह परंपरा सार्थक सिद्ध होगी।