मदन गुप्ता सपाटू , ज्योतिषाचार्य
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दशहरा 30 सितंबर यानी कि शनिवार के दिन है|
विजयदशमी पूजा का समय
शुभ मुहूर्त ०७:४८ - ०९:१६
विजय मुहूर्त = १४:४८ से १५:३४
अपराह्न पूजा का समय = १४:०१ से १६:२०
अवधि = २ घण्टे १८ मिनट्स
दशमी तिथि प्रारम्भ = २९/सितम्बर/२०१७ को १४:१९ बजे
दशमी तिथि समाप्त = ३०/सितम्बर/२०१७ को १६:०५ बजे
विजय दशमी 2017 पर ऐसे करें पूजन
दशहरे के दिन सुबह दैनिक कर्म से निवृत होने के पश्चात, स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें घर में जितने भी लोग हैं सबको सुबह पूजा करने के लिए तैयार हो जाना चाहि सर तथा कान पर यह जो रखकर पूजा की शुरूआत किया करते हैं ।
आश्विन शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाने वाला विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु के समापन तथा शरद के आरंभ का सूचक है। यह क्षत्रियों का भी बड़ा पर्व है। ब्राहमण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं।
वैसे अपराहंकाल में विजया यात्रा का मुहूर्त माना गया है।दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय प्रयाण , शमी पूजन तथा नवरात्रि समापन का दिन है दशहरा।
कैसे करें पूजा?
प्रातः 7.48 बजे से लेकर 9 बजकर 15 मिनट के मध्य , ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन ,कुमकुम आदि से अष्टदल बनाएं और पूर्ण शोडषोपचार सहित अपराजिता देवी के साथ साथ जया तथा विजया देवियों की भी पूजा करें ।अक्षत अर्पित करते हुए ओम् अपराजितायै नमः, ओम् क्रियाशक्तौ नमः तथा ओम् उमायै नमः मंत्रों की एक एक माला करें ।
प्रथम नवरात्रि पर बीजी गई जोै अर्थात खेतरी को तोड़कर पूजा के थाल में रखें और पूजा के बाद घर व दूकान के मंदिर तथा धन स्थान के अलावा पाठ्य पुस्तकों , एकाउंट्स बुक्स आदि में भी में रखें। इस दिन कलम पूजन भी किया जाता है।
दशहरे पर फलों में सेब, अनार तथा ईख - गन्ने घर में अवश्य लाने चाहिए। गन्ना प्राकृतिक मधुरता ,उंचापन तथा हरियाली दर्शाता है जो हर परिवार की आज आवश्यकता है। इसलिए पूजा सामग्री में ईख अवश्य रखनी चाहिए।
सूर्यास्त से पूर्व ही रावण दहन तथा सरस्वती विसर्जन किया जाना चाहिए ।
दशहरा के दिन कोई भी व्यापर की शुरुआत करना अति शुभ माना जाता है- दशहरे के दिन आप कोई भी नया व्यापार शुरू कर सकते हैं बिना किसी संकोच के। यह दिन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है तथा इस दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, स्वर्ण, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है। दशहरा का पर्व समस्त पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, अहंकार, हिंसा आदि के त्याग की प्रेरणा प्रदान करता है दशहरे के दिन शस्त्रपूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा महाराजा इस दिन विजय की प्रार्थना करके ही रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।