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एस्ट्रोलॉजी

22 जनवरी को करें ऋतुराज बसंत का स्वागत और करें मां सरस्वती का पूजन

January 19, 2018 07:38 PM

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषविद्, 98156-19620
उत्तर भारत में छः ऋतुएं पूरे वर्ष को मौसम के हिसाब से बांटती हैं । हर मौसम का अपना आनंद है। परंतु  पुरानी कहावत है- आया वसंत जाड़ा उड़ंत। यह दिन ऋतु परिवर्तन का परिचायक  भी है। भगवान कृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता भी हैं। पक्षियों में कलरव,भौरांे की गुंजन,, पुष्पों की मादकता  से युक्त वातावरण वसंत ऋतु की विशेषता है। पशु-पक्षियों तक में कामक्रीड़ा की अनुभूति होने लगती है। वस्तुतः यह मदनोत्सव का आरंभ है। इसी दिन , कामदेव के साथ साथ रति व सरस्वती का पूजन भी होता है। होली का प्रारंभ भी इस दिन से होता है और समापन फाल्गुन की पूर्णिमा पर होलिका दहन पर होता है।
  
प्रकृति पूर्ण यौवन पर होती है। दूर दूर तक पीली सरसों के खेत, आम के पेड़ अंबियों से झुके , मादक मौसम, नीला अंबर, लोहड़ी के बाद की गुलाबी ठंड ....अज्ञान के .तमस से निकल कर ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना , नीरस वातावरण में संगीत की लहरियां ......यह सब वसंत के मौसम की एक आहट है जो माघ की पंचमी से दस्तक देना आरंभ कर देती है।
इस बार बसंत पंचमी जिसे श्री पंचमी भी कहा जाता है, सोमवार के दिन 22 जनवरी को  महादेव एवं कामदेव के साथ आ रही है। इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र तथा मीन राशि होगी। इस दिन भगवान विष्णु, मां सरस्वती तथा कामदेव की भी पूजा की जाती है। प्राकृतिक वातावरण तो वासंती होता ही है परंतु इस दिन पीले वस्त्र पहनने के साथ साथ पीले मीठे चावल बनाने एवं पतंग उड़ाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। वास्तव में यह नई ऋतु के  आगमन का स्वागत है। छात्र पुस्तकों व लेखन सामग्री की भी पूजा करवाते हैं।  
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथिः 21 जनवरी , रविवार को 15ः 33 बजे आरंभ होगी और 22 जनवरी, सोमवार सायं 16ः 24 तक रहेगी।
पूजन का शुभ समय - प्रातः 7 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 12ः 30 दोपहर तक 
यह अत्यंत शुभ मुहूर्त है। यदि आप किसी प्रकार की शिक्षा, कोर्स आरंभ करना चाहते हैं या कंपीटीशन के लिए कोई फार्म भरना चाहते हैं तो यह ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अबूझ मुहूर्तों में से एक है। नया व्यवसाय, आरंभ करने , गृह प्रवेश या नींव खोदने आदि के लिए विशेष फलदायी मुहूर्त है। आज आप कलम पूजन भी करवा सकते हैं।
मंा सरस्वती वाणी की देवी हैं, अतः पत्रकारिता, मीडिया, लेखा , लेखन, छात्र ,न्यूजरीडर, टी वी कलाकार, गायक, संगीत , वाद्य यंत्र , अध्यापन, ज्योतिष आदि से संबंधित लोगों को आज के दिन सरस्वती पूजन अवश्य करना चाहिए। यह योग विद्या एवं विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। शिक्षा में कमजोर छात्र इस बार मां सरस्वती की आराधना अवश्य करें ताकि उन्हें परीक्षा में आशा से अधिक सफलता प्राप्त हो । सेना, पुलिस, या सैन्य बल में जाने के इच्छुक युवा - युवतियां बसंत पंचमी पर आवेदन करें तो सफल रहेंगे।
विवाह के लिए भी यह अबूझ मुहूर्त है। इस दिन अधिकांश विवाहों का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन संपन्न पाणि ग्रहण संस्कार करने से वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती । 

वसंत पंचमी का पर्व भगवान विष्णु व सरस्वती जी की आराधना का पावन दिवस है।प्रातः काल स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन कर  धूप दीप, नैवेद्य , व लाल रोली से दोनों की पूजा अर्चना की जानी चाहिए परंतु इससे पूर्व गणेश जी का पूजन अवश्य होना चाहिए।पीले व मीठे चावलों का भोग लगाना चाहिए।

किसकी करें पूजा ? 
वाणी , शिक्षा एवं अन्य कलाओं की अधिष्ठात्री देवी मां की आराधना छात्रों को अवश्य करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती सिद्ध करके मंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करनी चाहिए। कण्ठ में सरस्वती को स्थापित किया जाता है। स्वर,संगीत, ललित कलाओं गायन वादन,लेखन  यदि इस दिन आरंभ किया जाए तो जीवन में सफलता अवश्य मिलती है। सरस्वती की आराधना में श्वेत वर्ण का अत्यंत महत्व होता हैै । अतः इनको अर्पित करने वाला नैवेद्य भी सफेद ही होना चाहिए।
पौराणिक कथा
विष्णु की आज्ञा से जब ब्रहमा ने सृष्टि की रचना की तो सबसे पहले मनुष्य को उत्पन्न किया तत्पश्चात अन्य जीवों का प्रादुर्भाव हुआ है। लेकिन सृष्टि की रचना करने के बाद भी ब्रहमा जी पूर्णतयः सन्तुष्ट नहीं हुये और चारों तरफ मौन का सन्नाटा छाया हुआ था। विष्णु जी की पुनः आज्ञा लेकर ब्रहमा ने अपने कमण्डल से जल लेकर पृथ्वी पर छिड़का जिससे पृथ्वी में कंपन उत्पन्न हुआ। कुछ क्षण पश्चात एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। ब्रहमा जी ने सौन्दर्य की देवी से वीणा बजाने का आग्रह किया
यह प्राकट्य एक सुन्दर चतुर्भज देवी का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था एंव अन्य दोनों में हाथों में पुस्तक व माला थी। ब्रहमा जी ने सौन्दर्य की देवी से वीणा बजाने का आग्रह किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद कियाए संसार के समस्त जीव.जन्तुओं की वाणी से एक मधुर ध्वनि प्रस्फुटित हुयी। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गई। पवन चलने से सरसराहट की अवाजा आने लगी। उसी समय ब्रहमा ने उस देवी का नामकरण वाणी की देवी सरस्वती के रूप में कर दिया। तभी से वसंत पंचमी के दिन मॉ सरस्वती का जन्मोत्सव मनाया जाने लगा।
मां सरस्वती की पूजा विधि
देवी भागवत के अनुसार देवी सरस्वती की पूजा सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण ने की थी। प्रातःकाल समस्त दैनिक कार्यो से निवृत होकर स्नानए ध्यान करके मां सरस्वती की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद कलश स्थापित गणेश जी तथा नवग्रहों की विधिवत पूजा करें। सरस्वती जी का पूजन करते समय सबसे पहले उनको स्नान करायें। तत्पश्चात माता को सिन्दूर व अन्य श्रंगार की वस्तुये चढ़ायें फिर फूल माला चढ़ाये। मीठे का भोगलगार सरस्वती कवच का पाठ करें।माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएंप्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढा सकते हैं। श्वेत फूल माता को अर्पण किये जा सकते हैं।देवी सरस्वती के मन्त्र का जाप करने से  असीम पुण्य मिलता है। 
कौन सा करें पाठ या मंत्र ?
*यह मंत्र शिक्षा में कमजोर विद्यार्थी या उनके अभिभावक भी मां सरस्वती के चित्र को सम्मुख रख के 5 या 11 माला कर सकते हैं।
ओम् ऐं सरस्वत्यै नमः
*वाक् सिद्धि हेतु ,यह मंत्र जाप करें-
ओम् हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नमः
*आत्म ज्ञान प्राप्ति के लिए-
ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्!!
*रोजगार प्राप्ति व प्रोमोशन के लिए-
ओम् वद वद वाग्वादिनी स्वाहा !
*परीक्षा में सफलता के लिए आज से ही इस मंत्र का जाप मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख करते रहें-
ओम् एकदंत महा बुद्धि, सर्व सौभाग्य दायक:!
सर्व सिद्धि करो देव गौरी पुत्रों विनायकः !!
कमजोर छात्र क्या करें उपाय 

*जो विद्यार्थी शिक्षा में कमजोर हैं, आज के दिन 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इससे उनकी एकाग्रता बढ़ेगी।
*प्राण प्रतिष्ठायुक्त सरस्वती माता का चित्र अपने अध्ययन कक्ष या टेबल पर रखें 
*यदि किसी नवजात बच्चे के जन्म पर सोने की सलाई को शहद में डुबो कर उसकी जीभ पर ओम् लिख दिया जाए तो वह विद्या में प्रवीण होता है और उसकी एवं स्मरण शक्ति प्रखर रहती है। 
*अपनी टेबल पर क्रिस्टल या स्फटिक का ग्लोब रखें और उसे दिन में  कम से कम 3 बार घुमाएं ।
*परीक्षा से एक सप्ताह पूर्व छात्र को दही और मीठा खिलाना आरंभ कर दें।
*पढ़ाई सदा टेबल कुर्सी पर बैठ कर ही करें और मुख पूर्व या उत्तर या उत्त्र -पूर्व की ओर रखें।पीठ के पीछे ठोस दीवार हो खिड़की नहीं।
*कंप्यूटर आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण- पूर्व दिशा और पुस्तकों की आल्मारी, दक्षिण - पश्चिम में रखें।
*जहां बैठते हैं वहां क्रिस्टल बॉल लटका लें या टेबल पर अभिमंत्रित  एजूकेशन टॉवर रखें। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
*पढ़ने वाले स्थान के पर्दे, कुर्सी के कवर आदि हल्के हरे रखें, काले या गहरे नीले न हों।
*पढ़ने बैठने से पहले - ओम् ऐं हृीं सरस्वत्यैै नम: का 5,11 या 21 बार मंत्र जाप करें।
*तुलसी के 11 पत्ते, मिश्री के साथ गटक जाएं, उसे चबाएं नहीं।

विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें।

संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना कर सकते हैं व मां को बांसुरी भेंट करसकते हैं। 

*यदि इन दिनों परीक्षा आरंभ हो रही हो या हो तो ये उपाय करें -
सोमवार- परीक्षा में जाने से पूर्व दर्पण देखें और कमरे से पहले दाहिना पैर पहले निकालें।
* म्ंागलवार- हनुमान जी के मंदिर में गुड़ या बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं और प्रतिमा पर  सिंधूर लगा कर जाएं
*ब्ुाधवार- घर से मीठा धनिया खाकर जाएं और गणेश जी का मंत्र - ओम् गं गणपत्यै नमः पढ़ कर जाएं।
*ग्ुारुवार- माथे पर केसर का तिलक लगाएं। पाकेट में पीला रुमाल या हल्दी का एक छोटा टुकड़ा रख कर जाएं।
*शुक्रवार- सफेद चंदन का तिलक लगाएं, दही मीठा खाकर और दही  दान करके जाएं।
*शनिवार- शनिदेव की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाएं और जेब में थोड़ी सी काली सरसों या राई रख लें ।
* रविवार- सूर्य को जल अर्पित करें और हलुवा खाकर व बांट कर जाएं।

बसंत पंचमी के दिन को माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानतेहैं।  

*बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।

*6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है।

*चूंकि बसंत ऋतु प्रेम की रुत मानी जाती है और कामदेव अपने बाण इस ऋतु में चलाते हैं इस लिहाज से अपने 

परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है व बहुत से युगल इस दिन अपने दांपत्य जीवन की 

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषविद्, 98156-19620

 
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