मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषविद।
खगोल शास्त्र के अनुसार चंद्र के विषय में कई धारणाएं हैं। जैसे सुपरमून तब दिखाई देता है जब यह धरती से लगभग 3:30 लाख किलोमीटर दूर होता है और सुपरमून वाले दिन चंद्रमा 14% बड़ा और 40% अधिक चमकीला नजर आता है। इसी प्रकार पूर्ण चंद्रमा जब धरती के बहुत समीप होकर अपने सामान्य आकार से बड़ा दिखाई देता है उसे बलू मून बोला जाता है और इस वर्ष यह 2 जनवरी को दिखाई दिया था।
इसी प्रकार ब्लड मून तब नजर आता है जब चंद्र ग्रहण लगा होता है। इससे धरती की ऊंचाई के कारण सूर्य की किरणें चांद पर बिल्कुल नहीं पड़ती और चंद्रमा पूरी तरह से काला पड़ जाता है जिससे पूर्ण चंद्रग्रहण भी कहा जाता है और चंद्र का जो रंग है वह तांबे के रंग जैसा हो जाता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से चंद्र ग्रहण लगने पर उसके परिणामों का एक अलग तरीके से विश्लेषण किया जाता है कि मानव जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा और इस प्रभाव को राशि तथा देश के अनुसार देखा जाता है।
इस साल का पहला चंद्रग्रहण बुधवार 31 जनवरी को दिखेगा।
प्रारंभ 17.18बजे,
मध्य 18.59बजे,
समाप्ति 20.38बजे,
यह खंडग्रास चंद्रग्रहण है।
यह ब्लू मून कहलायेगा, भारत मे दिखाई देगा।
सूतकः प्रातः08.16बजे से ही (अशुभ समय )सूतक लग जाएगा।
यह ग्रहण पुष्य एवं आश्लेषा नक्षत्र तथा कर्क राशि में घटित हो रहा है, इसलिए इन राशि वालों के लिए विशेष सावधानी की आवश्यकता होगी।
मेष राशि के लिए इस ग्रहण का फल लाभदायक रहेगा।
वृष राशि: इन्हें धन लाभ और उन्नति प्राप्त होगी।
मिथुन:इनकी धन हानि की संभावना और यात्रा हो सकती है ।
कर्क: इन्हें शारीरिक कष्ट या दुर्घटना की संभावना है ।
सिंह: यह हानि और चिंता का विषय होगा।
कन्या: यह ग्रहण शुभकारक रहेगा ।
तुला: कष्ट और संघर्ष।
वृश्चिक :चिंता और संतान के लिए कष्ट ।
धनु : यह खर्च करवा सकता है ।
मकर :दंपतियों के मध्य परेशानी हो सकती है।
कुंभ : चिंता बढ़ेगी
मीन : कार्य में विलंब हो सकता है ।
ग्रहण के सूतक काल में स्नान, दान, जप,पाठ मंत्र ,तीर्थ स्नान, ध्यान, हवन आदि करना कल्याणकारी रहेगा।
31 जनवरी को सूर्यास्त से पूर्व ही अपनी राशि के अनुसार अन्न, चावल, सफेद वस्त्र, फलों आदि का दान सुयोग्य लोगों को देने के लिए, संकल्प लेना चाहिए और ग्रहण के बाद अगले दिन 1 फरवरी को प्रातः सूर्योदय के समय पुनः स्नान करके संकल्प पूर्वक यह दान कर देना चाहिए।
सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना पीना और किसी भी प्रकार का संसर्ग नहीं करना चाहिए।
दवाई आदि लेने में कोई दोष नहीं रहता ।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में किसी भी प्रकार का शारीरिक श्रम नहीं करना चाहिए।
चंद्रग्रहण समाप्ति के बाद पूजा, दान-पुण्य करे, तब भोजन करें।
विशेषः ज्योतिष के अनुसार जब भी सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण लगते हैं उसके 41 दिन के अंदर भूकंप ,भूस्खलन ,सुनामी जैसी आपदाओं की संभावना रहती है ।
इस साल कुल पांच ग्रहण लगेंगे अतः बड़ी प्राकृतिक आपदाओं की सम्भावना से इन्कार नही किया जा सकता।
यह भूकंप उत्तराखंड, हिमाचल, उत्तर पूर्व तथा समुद्री तटों पर संभावित हैं।
आपदा प्रबंधन को फरवरी व मार्च के महीने में सतर्क रहना चाहिए ।
मदन गुप्ता सपाटू