ENGLISH HINDI Friday, April 19, 2024
Follow us on
 
एस्ट्रोलॉजी

क्यों रखें व्रत?कौन रखे- कौन न रखे?कैसे रखें? क्या खाएं , क्या न खाएं , क्या है धार्मिक और वेैज्ञानिकमान्यताएं

October 09, 2018 07:49 PM

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्

 व्रत क्यों करते हैं? 

लोग इसे धार्मिक प्रथा मानकर अपनाते हैं, वर्षों से देवी-देवता को पूजने का एक तरीका व्रत भी है, शायदइसलिए इस रिवाज़ को आज भी निभाया जाता है। मनुष्य किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दिनभर के लिएअन्न या जल का त्याग करते हैं, वे भोजन का एक दाना भी ग्रहण नहीं करते। इसी त्याग को व्रत का नामदिया गया है। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर व्रत के तीन प्रकार होते हैं – नित्य, नैमित्तिक और काम्य।नित्य व्रत उसे कहते हैं जिसमें ईश्वर भक्ति या आचरणों पर बल दिया जाता है। जैसे सत्य बोलना, पवित्ररहना, क्रोध न करना, अश्लील विचारों से दूर रहना, प्रतिदिन ईश्वर भक्ति का संकल्प लेना आदि नित्य व्रतहैं।

नैमिक्तिक व्रत, हैं जिसमें किसी प्रकार के पाप हो जाने या दुखों से छुटकारा पाने का विधान होता है। धार्मिकदिशा-निर्देश के साथ व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले व्रत इस श्रेणी में भी आ सकते हैं।

तीसरे प्रकार का व्रत है काम्य व्रत, जो किसी कामना की पूर्ति के लिए किए जाते हैं। यह इच्छा संसारिक होसकती है, जैसे पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत, धन-समृद्धि के लिए व्रत या फिर अन्य मानवीय सुखों की प्राप्ति केलिए किए जाने वाले व्रत काम्य व्रत हैं।

बायोलॉजिकल कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि व्यक्ति के शरीर में धीरे-धीरे कई प्रकार के जहरीले पदार्थ इकट्ठे होते रहते हैं, जोकि आगे चलकर रोगों का कारण बनते हैं। लेकिन उपवास धारण करने से मन तथा शरीर का शोधन हो जाताहै जिसके बाद सभी विषैले, विजातीय तत्व बाहर निकल जाते हैं। अंत में व्यक्ति को एक निरोग शरीर प्राप्तहोता है।

हिन्दू धर्म में अनगिनत व्रत हैं, जिनके रिवाज़ भी भिन्न-भिन्न हैं। किसी व्रत में अन्न-जल का पूर्ण त्यागकरना पड़ता है तो किसी में जल तो ग्रहण कर सकते हैं लेकिन अन्न नहीं। परन्तु कुछ व्रत के अनुसार जल केसाथ अन्न के रूप में केवल फलाहार ग्रहण किया जाता है।

व्रत के अनुसार तामसिक भोजन करने की इजाज़त नहीं दी जाती है। तामसिक खाद्य पदार्थ यानी कि मांस,मछली, अंडा, इत्यादि वह चीज़ें जो किसी जीव के प्रयोग से बनाई जाती हैं। इसके अलावा नशीले पदार्थ जैसेकि शराब एवं धूम्रपान के लिए भी मना किया जाता है। सात्विक भोजन ही करना चाहिए। धार्मिक कारणों केअलावा वैज्ञानिक रूप से भी व्रत के दौरान तामसिक की बजाय सात्विक भोजन करने के कई फायदे हैं।जिसमें से पहले फायदा है सात्विक भोजन करने से शरीर में पैदा होने वाले विषैले पदार्थों के प्रभाव को समाप्तकरना, या फिर धीरे-धीरे कम करना।

शास्त्रों के अनुसार सात्विक भोजन की श्रेणी में दूध, घी, फल और मेवे आते हैं। उपवास में ये आहार इसलिएमान्य हैं कि ये भगवान को अर्पित की जाने वाली वस्तुएं हैं।दूध से बनी चीज़ें शरीर में सात्विकता बढ़ाने केलिए सहायक सिद्ध होते हैं। इसलिए इन्हें ग्रहण करना सही समझा जाता है।

मांस, अंडे, खट्टे और तले हुए मसालेदार और बासी या संरक्षित व ठंडे पदार्थ राजसी-तामसी प्रवृतियों कोबढ़ावा देते हैं। व्रत के अनुसार नमक का सेवन करने की भी मनाही है, क्योंकि यह शरीर में उत्तेजना उत्पन्नकरता है। इसलिए उपवास के दौरान इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए।

इसके साथ ही शारीरिक शुद्धि के लिए तुलसी जल, अदरक का पानी या फिर अंगूर भी इस दौरान ग्रहण कियाजा सकता है। जबकि मानसिक शुद्धि के लिए जप, ध्यान, सत्संग, दान और धार्मिक सभाओं में भाग लेनाचाहिए। इस दौरान सुबह-शाम ध्यान करना भी जरूरी है। इससे मन शांत होता है और अच्छाई के संस्कार बढ़ते हैं।  

व्रत रखने के पीछे अक्सर धार्मिक, आध्यात्मिक या संस्कृति वजहें होती हैं, लेकिन इसके साथ ही इससे जुड़ीएक और बात काफी अहम है और वह है सेहत। व्रत अगर ढंग से रखा जाए तो यह सेहत के लिहाज से काफीफायदेमंद साबित होता है, लेकिन अगर व्रत ठीक से ना रखा जाए तो यह सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।ऐसे में सही तरीके से व्रत रखना बहुत जरूरी है।

व्रत रखने के फायदे

वजन कम होना: व्रत रखने से शरीर में ऐसे हॉर्मोन निकलते हैं, जो फैटी टिश्यूज़ को तोड़ने में मदद करते हैं,यानी आपका वजन कम हो सकता है।

शरीर का शुद्धिकरण: व्रत रखने से शरीर शुद्ध होता है। शरीर से जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं, बशर्ते आप व्रतके दौरान फल और सब्जियों का सेवन ज्यादा करें।

पाचन बेहतर होना: आयुर्वेद के अनुसार, व्रत रखने से शरीर में जठराग्नि (डाइजेस्टिव फायर) बढ़ती है। इससेपाचन बेहतर होता है। इससे गैस की समस्या भी दूर होती है।

नर्वस सिस्टम बेहतर होना: व्रत हमारे शरीर को हल्का रखता है। हल्के शरीर से मन भी हल्का रहता है औरदिमाग बेहतर तरीके से काम करता है। व्रत पूरी सेहत पर सकारात्मक असर डालता है।

व्रत से हो सकते हैं नुकसान भी 

- अगर कोई चीज जरूरत से ज्यादा की जाए तो उससे नुकसान होना तय है। लंबे समय तक बिना कुछ खाए-पीए रहने से इम्यून सिस्टम को नुकसान हो सकता है।

- अगर व्रत के दौरान बहुत लंबे समय तक भूखे-प्यासे रहेंगे तो लिवर और किडनी को भी नुकसान हो सकताहै।

- डायबीटीज, किडनी, कैंसर और पेशाब की समस्या से पीड़ित मरीजों को व्रत रखने से ज्यादा दिक्कत होसकती है।

- व्रत के दौरान बहुत कम खाना खाने से पेट में एसिड बनना कम हो सकता है। यही एसिड खाना पचाने औरबुरे बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करता है।

- कई बार भूखा रहने की वजह से व्रत के दौरान खाना सूंघने या खाने के बारे में सोचने भर से दिमाग को खानाखाने का अहसास हो सकता है। ऐसे में दिमाग पेट को पाचन के लिए जरूरी एसिड बनाने के लिए कह सकताहै। इससे सीने में जलन की समस्या हो सकती है।

निर्जला व्रत: इसमें दिन भर न कुछ खाना होता है, न पीना। इस तरह के व्रत से कार्डिएक अरेस्ट (दिल का फेलहो जाना) या हाइपोग्लाइसीमिक (शुगर लेवल बहुत गिर जाना) अटैक होने की आशंका रहती है। इसके अलावाइस तरह के व्रत रखने वालों में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट या स्टार्च वाली चीजें खाने की तलब होती है क्योंकि येहमारे शरीर को चलाने के लिए ईंधन का काम करते हैं। दिन भर भूखा-प्यासा रहने से शरीर शाम में ज्यादारिच फूड की मांग करता है। अगर आप रिच फूड खाएंगे तो इससे डी-हाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी होसकती है।

जूस वाला व्रत: इस तरह का व्रत रखने वाले लोग जूस या दूसरी तरल चीजें जैसे कि शिकंजी, नारियल पानी,लस्सी, छाछ आदि लेते हैं, लेकिन दिन भर सॉलिड फूड नहीं खाते। इस तरह के व्रत से कई बार शॉर्ट-टर्मसाइड इफेक्ट्स सामने होते हैं जैसे कि सिरदर्द, चक्कर, भारीपन, लो ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन काऊपर-नीचे होना आदि। भरपूर खाना खाने के बाद ये समस्याएं खत्म हो जाती हैं।

अविराम व्रत: इसमें आमतौर पर एक तय वक्त (सुबह 11, 12 या 1 बजे तक) तक कुछ खाना या पीना नहींहोता। यह कुछ वैसा ही है जैसे कि ब्रेकफास्ट छोड़ देना। जिन लोगों को गैस्ट्रिक यानी पाचन संबंधी गड़बड़ीहोती है, उन्हें इस व्रत से समस्या हो सकती है। 

कौन न रखे व्रत

व्रत रखने की यों तो कोई खास उम्र नहीं होती, लेकिन 15 साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से ज्यादाउम्र के बुजुर्गों को व्रत नहीं रखना चाहिए। छोटे बच्चों में मेटाबॉलिक रेट काफी ज्यादा होता है और बुजुर्गों मेंकाफी कम। ऐसे में वक्त पर ढंग से खाना न खाने से इन लोगों में हाइपोग्लाइसिमिक अटैक हो सकता है।

- प्रेग्नेंट और दूध पिलाने वालीं मांएं व्रत न रखें। इन्हें थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद एक तय मात्रा में कैलरी कीजरूरत होती है, जिसके लिए पोषक खाना खाना जरूरी है।

- डायबीटीज के मरीज व्रत न रखें। व्रत रखने पर वे हाइपोग्लाइसीमिया का शिकार हो सकते हैं। अगर वक्तपर इस स्थिति से ना निपटा जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है।

- ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी व्रत रखने से परहेज करना चाहिए क्योंकि लंबे समय तक भूखे रहने से ब्लडप्रेशर में उतार-चढ़ाव हो सकता है और यह सेहत के लिए घातक होगा।

- जिन लोगों को किडनी या पेशाब संबंधी दिक्कत हो उन्हें भी व्रत से बचना चाहिए। ऐसे मरीजों को डेयरीप्रॉडक्ट्स और ज्यादा सब्जियां खाने पर फोकस करना चाहिए।

- एनोरेक्सिया (वजन घटाने की धुन में खाना न खाना), ब्लूमिया (खाना खाने के बाद उलटी कर देना) याबिहेवियर से जुड़े दूसरे डिसऑर्डर से पीड़ितों को भी व्रत नहीं रखना चाहिए।

- जिन्हें कमजोरी या अनीमिया है या जो अंडरवेट हैं, व्रत के दौरान कम कैलरी लेने से उनका वजन और कमहो सकता है।

- ट्यूमर, कैंसर, अल्सर आदि के मरीज व्रत न रखें।

- जिनका हाल में ऑपरेशन हुआ है, वे भी बचें। पूरा पोषक खाना न खाने से रिकवरी में दिक्कत होती है। 

व्रत के दौरान बरतें सावधानियां

- व्रत रखने से पहले अपने फैमिली डॉक्टर से सलाह कर लें। डॉक्टर से मिलकर फिजिकल जांच करा सकते हैंकि आप इसके लिए पूरी तरह फिट हैं या नहीं।

- व्रत के दौरान चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक ज्यादा न पिएं। कैफ़ीन से हमारे नर्वस सिस्टम को एक बूस्टमिलता है, यानी झटका-सा लगता है। जब पूरा खाना नहीं खाया होता तो यह झटका जोर से लगता है, जोहमारे नर्वस सिस्टम के लिए ठीक नहीं होता।

- अगर किसी ने निर्जला व्रत रखा है तो वह एक्सरसाइज बिल्कुल न करे। थोड़ा आसान या सामान्य व्रत रखनेवाले लोग हल्की एक्सरसाइज कर सकते हैं। हेवी एक्सरसाइज से बचें। ब्रिस्क वॉक कर सकते हैं, लेकिनरनिंग, स्वीमिंग, साइक्लिंग आदि न करें और बैडमिंटन, टेबल टेनिस जैसे खेलों से भी दूर रहें। इनके लिएकाफी एनर्जी की जरूरत होती है जबकि व्रत के दौरान शरीर में एनर्जी का लेवल थोड़ा कम होता है।

- अगर थकान लग रही है तो कोई फल या कुछ मीठा खा लें। यह न सोचें कि शाम को ही खाएंगे।

- अगर मुमकिन है तो दिन में एक नैप यानी छोटी नींद ले सकते हैं। इससे तन और मन, दोनों रिलैक्स होतेहैं।

- व्रत के दौरान भारी काम न करें, जैसे कि घर की शिफ्टिंग, भारी सामान उठाना, खूब सारे कपड़े धोना आदि।शॉपिंग के लिए भी ना जाएं क्योंकि इससे थकान हो सकती है।

डायबीटीज के मरीज रखें ध्यान

वैसे तो शुगर के मरीजों को व्रत रखना ही नहीं चाहिए, लेकिन अगर व्रत रखना ही चाहते हैं तो पहले अपनेडॉक्टर से सलाह जरूर कर लें। अगर मरीज की उम्र 60 साल से कम है या वह एक दवा पर है और उसे बाकीदिक्कतें नहीं हैं तो आमतौर पर डॉक्टर व्रत की इजाजत दे देते हैं। अगर मरीज की उम्र 60 साल से ज्यादा हैया वह इंसुलिन या कई दवाओं पर है या कुछ दूसरी गंभीर शारीरिक समस्याएं हैं तो उसे व्रत बिल्कुल नहींरखना चाहिए। सलाह करने पर कई बार डॉक्टर एक-दो दिन के लिए दवा की डोज़ कम कर देते हैं। डायबीटीज़के मरीजों को 2-3 घंटे में कुछ जरूर खाना चाहिए। पनीर, दही, छाछ, नारियल पानी के अलावा सेब, पपीता,जामुन, खीरा आदि खाएं। कुट्टू या सिंघाड़े की पूड़ी या पकौड़े के बजाय परांठे खा सकते हैं।

कितने अंतराल पर क्या खाएं

- व्रत के दौरान कितने अंतराल पर क्या खाएं, यह कहना बहुत मुश्किल है क्योंकि अलग-अलग लोगों कोअलग-अलग मात्रा में खाने की जरूरत होती है।

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें
 
और एस्ट्रोलॉजी ख़बरें
नामवर ज्योतिष सम्राट नवदीप मदान का सम्मान वास्तु विशेषज्ञ परामर्श के बिना भी अपने घर या कार्यक्षेत्र में कर सकते हैं वास्तु के कुछ खास बदलाव वास्तु के अभाव का प्रभाव हरमिटेज सेंट्रल के ज्योतिष शिविर में सैकड़ों ने दिखाई कुंडली करवा चौथ पर विशिष्ट संयोग,निसंकोच रखें व्रत, करें शुक्रास्त पर भी उद्यापन! हिन्दू त्योहार दो- दो दिन क्यों बताए जाते हैं ? इस वर्ष रक्षा बंधन, किस दिन मनाएं ? श्रावण मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व : स्वामी सुन्दर लाल भार्गव कैसे सुहाना और सुनहरा है सावन...बता रहे हैं जाने माने ज्योतिषी पंडित सुन्दर लाल भार्गव पूर्णिमा: कैसे करें सुबह की शुरुआत गुरु के दिन