चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। ऊड़ा आड़ा फिल्म बहुत ही हास्यपूर्ण अंदाज़ में एक सवाल उठाती है आधुनिक समय के उन माँ-बाप पर जो अपने बच्चों को महंगे स्कूलों में पढ़ाने की दौड़ में लगे हैं जिसके कारण बच्चे अपनी जड़ों को समझने से असमर्थ रह जाते हैं। विदेशों में पंजाबी को लेकर क्रेज है, अपने देश में पिछड़ रही है फिल्म की कहानी पिता के इर्द-गिर्द घूमती है जो अपने बच्चे को एक महंगे स्कूल में पढऩे भेजते हैं पर जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है और हालात बदलते हैं बच्चा अपने आप को अपने साथी बच्चों और उनके माँ-बाप से कमतर समझने लगता है। ऊड़ा आड़ा की कहानी हमारी जि़ंदगी में हर भाषा की महत्ता को भी उजागर करती है। फिल्म कथा लेखक नरेश कथूरिया ने कहा कि मां के दूध की तरह मां बोली यानी पंजाबी भी जरूरी है। फिल्म का निर्देशन क्षितिज चौधरी ने किया है और सुरमीत मावी ने इसकी पटकथा लिखी है। इस फिल्म का संगीत वेहली जनता रिकाडर्स लेबल से रिलीज़ होगा। तरसेम जस्सर ने फिल्म के बारे में कहा, हमने इसको सफल बनाने के लिए बहुत ही मेहनत की है। जैसे अब फिल्म बिलकुल रिलीज़ होने वाली है मैं सिर्फ उम्मीद करता हूँ कि लोग हमारी इस फिल्म को बनाने की मंशा और भावना को समझें। नीरू बाजवा ने कहा, यह एक कॉन्सेप्ट है जिसके साथ हर एक पंजाबी जुड़ा महसूस करेगा। एक माँ के रूप में, मैं अपने आने वाली पीढ़ी के बच्चों के लिए अपनी मातृ भाषा की महत्ता समझती हूँ। मैं सिर्फ उम्मीद करती हूँ कि इस फिल्म के साथ एक बदलाव ला सकें वो भी बिना किसी को बोर किए। मैं फि़लहाल फिल्म की रिलीज़ को लेकर बहुत ही उत्सााहित हूँ।फिल्म के निर्देशक क्षितिज चौधरी ने कहा, मैंने हमेशा से क्वालिटी में भरोसा किया है। फिल्म ऊड़ा आड़ा एक इस तरह की फिल्म है जो पंजाबी सिनेमा में बदलाव लेकर आएगी। मैं अपने आप को बहुत ही खुशकिस्मत समझता हूँ कि मुझे इतने हुनरमंद लोगों के साथ काम करने का मौका मिला जिन्होनें मेरी सोच को समझा और उसे दर्शकों तक पहुंचाया। फिल्म के निर्माता रुपाली गुप्ता और दीपक गुप्ता ने कहा , जैसे कि फिल्म की रिलीज़ को लेकर बहुत ही उत्साहित हैं इस बार हम दर्शकों की प्रतिक्रिया को लेकर बेचैन नहीं हैं। बल्कि हम यह चाहते हैं कि दर्शक इस फिल्म को देखें और मनोरंजन और सीखने के इस सफर का आनंद लें। हम चाहते है कि माता पिता अपने बच्चों को भी साथ लेकर जाएं तो वो यह समझ सकें।