मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़, 9815619620
वसंत पंचमी या श्री पंचमी हिन्दुओं के पवित्र त्यौहारों में से एक है। जिसे पुरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती जी की पूजा की जाती है। इसे पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और और कई राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां पीले वस्त्र पहनती है।
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छः मौसमों में बांटा जाता है उनमे सबसे मनचाहा मौसम बसंत ही था। इस मौसम में फूल खिलने लगते है, खेतों में सरसो लहलहा उठती है, जाऊ और गेहूं की बालियां खिलने लगती है, आमों के पेड़ पर बौछारें आ जाती है और हर तरफ रंग बिरंगी तितलियाँ मजंदराने लगती है। वसंत ऋतू का स्वागत करने के लिए पांचवे दिन बड़ा उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन विद्यार्थी अपनी आराध्य यानी देवी सरस्वती का पूजन करते है।
वसंत पंचमी कब ?
इस साल बसंत पंचमी को लेकर पंचाग भेद भी है। इसलिए कुछ जगहों पर ये पर्व में 29 अौर कई जगह 30 जनवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। पंचमी तिथि बुधवार सुबह 10.46 से शुरू होगी जो गुरूवार दोपहर 1.20 तक रहेगी। दोनों दिन पूर्वाह्न व्यापिनी तिथि रहेगी। धर्मसिंधु आदि ग्रंथों के अनुसार यदि चतुर्थी तिथि विद्धा पंचमी होने से शास्त्रोक्त रूप से 29 जनवरी बुधवार को वसंत पंचमी मनाना श्रेष्ठ रहेगा।प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छः मौसमों में बांटा जाता है उनमे सबसे मनचाहा मौसम बसंत ही था। इस मौसम में फूल खिलने लगते है, खेतों में सरसो लहलहा उठती है, जाऊ और गेहूं की बालियां खिलने लगती है, आमों के पेड़ पर बौछारें आ जाती है और हर तरफ रंग बिरंगी तितलियाँ मजंदराने लगती है। वसंत ऋतू का स्वागत करने के लिए पांचवे दिन बड़ा उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन विद्यार्थी अपनी आराध्य यानी देवी सरस्वती का पूजन करते है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की वसंत पंचमी यानी 29 जनवरी को है। वसंत पंचमी के दिन सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग भी बन रहा है। इस कारण इसे वाग्दान, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत अादि संस्कारों व अन्य शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी रहेंगे।
ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति
इस बार बसंत पंचमी इसलिए भी श्रेष्ठ है,क्योंकि सालों बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति इस दिन को और खास बना रही है। इस बार तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे। मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए ये स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है।
वसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वों की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन गुरुवार व उतराभाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। दोनों योग रहने से वसंत पंचमी की शुभता में और अधिक वृद्धि होगी।
कुछ क्षेत्रों में देवी की पूजा कर प्रतिमा को विसर्जित भी किया जाता है।
वसंत पंचमी मुहूर्त
पञ्चमी तिथि का प्रारम्भ – 29 जनवरी 2020 को 10:45 AM बजे से होगा।
पञ्चमी तिथि की समाप्ति – 30 जनवरी 2020 को 01:19 PM बजे पर होगी।
वसन्त पञ्चमी मध्याह्न का क्षण (पूजा मुहूर्त) – 10:47 AM से 12:34 PM तक रहेगा।
पूजा के मुहूर्त की कुल अवधि – 01 घण्टा 49 मिनट्स की है।
क्यों खास है बसंत पंचमी
बसंत पंचमी के दिन को माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार तो इस दिन बच्चे की जिह्वा पर शहद से ए बनाना चाहिए इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है।
बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है।
चूंकि बसंत ऋतु प्रेम की रुत मानी जाती है और कामदेव अपने बाण इस ऋतु में चलाते हैं इस लिहाज से अपने परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है व बहुत से युगल इस दिन अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत करते हैं।
गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है।
इस दिन कई लोग पीले वस्त्र धारण कर पतंगबाजी भी करते हैं।
पेन, काॅपी, किताबों की भी पूजा
बसंत पंचमी के दिन पेन, काॅपी, किताबों की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से देवी सरस्वती वरदान प्रदान करती हैं। भारत देश के सरस्वती, विष्णु और शिव मंदिरों में इस त्योहार का उत्साह सर्वाधिक होता है। अधिकांश स्थानों पर मेले आयोजित किए जाते हैं, जो मुख्यतः संबंधित देवी-देवता को ही समर्पित होते हैं।
कैसे करें बसंत पंचमी पूजा
प्रात:काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात क्लश स्थापित कर भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें। फिर मां सरस्वती की पूजा करें। मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं। फिर माता का श्रंगार कराएं माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। प्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढा सकते हैं। श्वेत फूल माता को अर्पण किये जा सकते हैं। विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें।
संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना कर सकते हैं व मां को बांसुरी भेंट कर सकते हैं।
देवी सरस्वती के इस मन्त्र का जाप करने से ‘‘श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा'' असीम पुण्य मिलता है।
राशियों पर असर: क्या करें खास...
1. मेष राशि :
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती मां की पूजा के दौरान सरस्वती कवच पाठ जरूर करें। ऐसा करने से बुद्धि की प्राप्ति होगी. इसके अलावा एकाग्रता की कमी भी ठीक हो जाएगी.
2. वृषभ राशि :
मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उनको सफेद चंदन का तिलक लगाएं और फूल अर्पित करें. ऐसा करने से ज्ञान में बढ़ोतरी होने के साथ ही जो भी समस्याएं हैं, उनसे निजात मिलेगी.
3. मिथुन राशि :
मां सरस्वती को हरे रंग का पेन (कलम) अर्पित करें और उससे ही अपनी सभी कार्यों को पूरा करें। ये कार्य आपकी लिखने संबंधी समस्याएं को समाप्त करने में मददगार होगा।
4. कर्क राशि :
मां सरस्वती को खीर का भोग लगाना चाहिए. संगीत क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले छात्रों को ऐसा करने से बहुत अधिक फायदा होगा.
5. सिंह राशि :
मां सरस्वती की पूजा के दौरान गायत्री मंत्र का जाप जरूर करें. ऐसा करने से विदेश में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों की इच्छा पूरी हो जाएगी.
6. कन्या राशि :
गरीब बच्चों में पढ़ने की सामाग्री बांटे, जिसमें पेन, पेंसिल किताबें आदि शामिल हों. अगर आप ऐसा करते हैं तो पढ़ाई में आ रही आपकी परेशानी को दूर किया जा सकता है.
7. तुला राशि :
किसी ब्राह्मण को सफेद कपड़ें दान में दें. यदि छात्र ऐसा करते हैं तो उन्हें वाणी से जुड़ी किसी परेशानी से निजात मिल सकती है और आपकी वाणी में मधुरता आएगी.
8. वृश्चिक राशि :
अगर याद्दाश्त से संबंधित कोई परेशानी है तो इसे आप मां सरस्वती की आराधना करके इसे दूर कर सकते हैं. मां सरस्वती की पूजा के बाद लाल रंग का पेन उन्हें अर्पित करें.
9. धनु राशि :
पीले रंग की कोई मिठाई अर्पित करें. इससे आपकी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाएगी. साथ ही आपकी उच्च शिक्षा की इच्छा भी मां सरस्वती अवश्य पूरी करेंगी.
10. मकर राशि :
निर्धन व्यक्तियों को सफेद रंग का अनाज दान करें। ऐसा करने से मां सरस्वती आपके बुद्धिबल में विकास होगा.
11. कुंभ राशि :
गरीब बच्चों में स्कूल बैग और दूसरी जरूरी चीजें दान करें। मां सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहेगी और आपका आत्म विश्वास भी बढ़ेगा.
12. मीन राशि :
छोटी कन्याओं में पीले रंग के कपड़े दान करें। इससे आपके करियर में आने वाली समस्याओं का निवारण होगा। आपके ऊपर मां सरस्वती का आशीर्वाद बना रहेगा।