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जीवन शैली

तेरी_रश्क_ए_कमर_तेरी_पहली_नजर_जब_नजर_से_मिलायी_मजा_आ_गया

May 12, 2020 11:59 AM

   बायफोकल विजन/इंकलाब नागपाल

वर्ष 2016 में ऋतिक रोशन व सोनम कपूर की वीडियो के साथ अरिजीत द्वारा रिमेक गाना यूटयूब पर रिलीज हुआ तो एकाध दिन में हीं वायरल हो गया ... देखते ही देखते मिलीयन व्यू क्रास कर गया ...

खबर अरिजीत तक पहुंची तो उन्होंने इसे यू टयूब पर चैक किया ... अरिजीत ने तो इस रिमेक को गाया ही नहीं था, तो यह चल कैसे रहा था ... खोज शुरू हुई तो मालूम पड़ा कि पाकिस्तान के एक नवोदित जिसे हम हिन्दोस्तानी मामूली गायक भी कह सकते हैं, असगर जुनैद ने कुछ साल पहले रिकार्ड किया था व किसी ने सोनम कपूर की विडीयो के साथ यूट्यूब पर डाल दिया ...

यूटयूब पर वायरल होने की खबर उन्हें थी, लेकिन उन्होंने जानबूझ कर नहीं रोका क्योंकि जो जलवा अरिजीत के नाम से बिखर सकता था उनके नाम से नहीं ... देर सवेर सबको उसके बारे में पता लग ही जायेगा इसका जुनैद को आभास था ... अपने सीमित क्षेत्र से बाहर पहचान न रख पाने वाला जुनैद पाकिस्तान में ही नहीं हिन्दोस्तां में भी मशहूर हो गया था ... ऐसी खूबसूरत दुर्घटनाओं का स्वागत कौन नहीं करता।

फान बुलंद शहरी द्वारा रचित यह कव्वाली उस्ताद नुसरत फतेह अली खां ने पहली बार वर्ष 1988 में गाई थी ... उस्ताद नुसरत फतेह अली खां पटियाला घराने से संबंध रखने वाले सबसे मशहूर कव्वाल थे ... पटियाला घराना सूफिज्म के लिए जाना जाता है ... उस्ताद नुसरत फतेह अली खान वो ‘माइल स्टोन’ है जिसे अभी तक कोई ‘अचीव’ नहीं कर पाया था ...

फान बुलंद शहरी द्वारा रचित यह कव्वाली उस्ताद नुसरत फतेह अली खां ने पहली बार वर्ष 1988 में गाई थी ... उस्ताद नुसरत फतेह अली खां पटियाला घराने से संबंध रखने वाले सबसे मशहूर कव्वाल थे ... पटियाला घराना सूफिज्म के लिए जाना जाता है ... उस्ताद नुसरत फतेह अली खान वो ‘माइल स्टोन’ है जिसे अभी तक कोई ‘अचीव’ नहीं कर पाया था ... भारत में संगीत तो पहले ही पेशेवर था, लेकिन 80 का दशक आते आते पाकिस्तान में भी संगीत का बाज़ारीकरण होने लगा था ... नुसरत साहिब को पाकिस्तान से बाहर भी बहुत ज्यादा पसंद किया जाने लगा था 

भारत में संगीत तो पहले ही पेशेवर था, लेकिन 80 का दशक आते आते पाकिस्तान में भी संगीत का बाज़ारीकरण होने लगा था ... नुसरत साहिब को पाकिस्तान से बाहर भी बहुत ज्यादा पसंद किया जाने लगा था लेकिन नुसरत साब बाजार के पैमाने पर फिट नहीं बैठ रहे थे ... तवे वाले बड़े रिकार्ड की बजाए रेडियो टेप व कैसेट का चलन आ गया था ... पर नुसरत साब तो एक कव्वाली को लेकर बैठ जाते और आधा पौन घंटा और कभी कभी एक घंटा एक ही कव्वाली को बोलते रहते ... सूफियाना अंदाज में गाते गाते वलि के ऐसे हो जाते कि उन्हें होश ही न रहता ... बाजार वालों के लिए बड़ा संकट था ... कैसेट के एक तरफ पांच और दूसरी तरफ चार गानों का चलन हो चुका था ... नुसरत साब की तो दो या अढ़ाई कव्वालियां बामुश्किल से कैसेट में आ पानी थी ... उस पर भी आधी कव्वाली एक तरफ बाकी दूसरी तरफ की परंपरा थी ही नहीं ... बाजार बड़ी मुश्किल में था, लेकिन नुसरत साहब को कौन रोके या टोके ... अता उल्लाह खां ने उस वक्त खासा फायदा उठाया और बाजार के अनुकूल ढल गये ... नुसरत साहब तो और ही तरह के बंदे थे ... उनसे था जमाना जमाने से वो नहीं ... खैर बाजार ने आखिरकार नुसरत साहब के साथ कैसे सामंजस्य बिठाया वो ही जाने, लेकिन उनकी कव्वालियां बराबर चलन में रहती थी ... तेरी रश्क-ए-कमर कोई बहुत ज्यादा तवज्जो पा सकी हो ऐसा नहीं था ... लेकिन अरिजीत के नाम से वायरल ने तबाही मचा दी ... क्या समझ लिया जाये अरिजीत पापुलैरिटी के सारे रिकार्ड तोड़ चुके थे ... खैर अरिजीत के द्वारा न गाये जाने की बात सामने आने के बावजूद यह संगीत जगत में धूम मचाता गया ... 2017 में एक फिल्म में अजय देवगण और इलियाना डीक्रूज पर भी फिल्माया गया ... और भी छोटे बड़े कलाकारों ने नुसरत साहब की इस रचना का बेहतरी से इस्तेमाल किया ... यहां तक कि कई दूसरी भाषाओं में भी इसे गाया गया ... आज नुसरत साब के इस रिमेक की ऐसी धूम है कि कोई महफिल इसके बिना पूरी नहीं होती ... जाईये यूटयूब पर सर्च करिये तेरी रश्क-ए-कमर और सुनिए तेरी पहली नज़र.

 
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