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एस्ट्रोलॉजी

अब के सावन कितना पावन?

July 01, 2020 10:24 AM

द्मदन गुप्ता सपाटू,ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़, 9815619620

  भारत में वसंत मास की तरह श्रावण मास का भी संपूर्ण जनमानस को बेसब्री से इंतजार रहता है जब चारों ओर मानसून के दौरान प्रकृति के साथ साथ तथा मानस पटल पर भी हरियाली छाने लगती है।
श्रावण कृष्ण प्रतिपदा, 5 जुलाई की प्रातः 10 बजकर 15 मिनट पर आरंभ होकर सोमवार की सुबह 9ः 25 तक रहेगी, इसी लिए सावन का आरंभ 5 की बजाय 6 जुलाई से हो रहा है।
5 जुलाई रविवार को ही प्रातः चंद्र ग्रहण भी लग रहा है जो भारत में दृश्य नहीं होगा।
गुरु पूर्णिमा तथा आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन, 6 जुलाई से उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और वैधृति योग लिए, सावन के सोमवार आरंभ हो रहे हैं जो 3 अगस्त को समाप्त होंगे। चंद्र मकर राशि में तथा गुरु अपनी ही धनु राशि में होने से यह महीना और विशेष हो जाएगा। इस बार सावन के महीने का आरंभ और समापन दोनों ही भगवान शिव के प्रिय वार सोमवार से हो रहा है जिसे एक शुभ संयोग माना जाता है। शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि का क्षय होने से पूरा मास 29 दिन का है जिसमें 5 सोमवार के अलावा कई विशेष पर्व व त्योहार इसी श्रावण मास में पड़ेंगे। ज्योतिषीय दृष्टि से भी इस बार सावन का महीना कुछ विशिष्ट माना जा रहा है क्योंकि इस अवधि में काफी अंतराल के बाद 11 स्र्वार्थ सिद्धि, 10 सिद्धि, 12 अमृत तथा 3 अमृत सिद्धि जैसे विशेष संयोग बन रहे हैं।
कोरोना ग्रहण:
इन सुयोगों के बावजूद, मंदिरों में पहले जैसी भीड़ नहीं हो सकेगी। कांवड़ या शोभा यात्राएं नहीं हो सकेंगी। संक्रमण फैलने के डर से शिवलिंग को हाथ लगाने, जल या दूध चढ़ाने तथा लंगर लगाने की प्रथा या मान्यताएं आदि , दूरी बनाए रखने के कारण फीकी रह सकती हैं। मंदिरों में भीड़ जुटाने की बजाय, घर में ही छोटे शिवलिंग पर अभिषेक करना अधिक उपयुक्त रहेगा।

श्रावण के सोमवार की तालिका
6 जुलाई- पहला सोमवार
13 जुलाई- दूसरा सोमवार
20 जुलाई- तीसरा सोमवार
27 जुलाई- चौथा सोमवार
03 अगस्त- पांचवां व अंतिम सोमवार
इसके अलावा ये त्योहार, व्रत, एवं पर्व भी सावन को विशेष बना रहे हैं-
7 जुलाई को मंगला गौरी व्रत,16 को कामिका एकादशी, 2र्0 को सोमवती व हरियाली अमावस, 23 को हरियाली तीज, 25 को नाग पंचमी, 30 जुलाई को पवित्रा एकादशी व्रत और 3 अगस्त को रक्षा बंधन।
सावन के सोमवार पंश्चिम एवं दक्षिण भारत के अनुसार:
सोमवार 20 जुलाई
27 जुलाई
03 अगस्त
10 अगस्त
17 अगस्त
भारत में हर महीने का एक अलग महत्व है. लेकिन सावन के महीने को भगवान शंकर से जोड़कर देखा जाता है. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. ये दिन भगवान शिव की अराधना के लिए सबसे खास माने जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करने से या हर सोमवार नियमपूर्वक शिवलिंग पर जल अर्पित करने से हर मनोकामना पूरी होती है और कई लाभ मिलते हैं. जिस काम को पूरा करने की आप लंबे समय से प्रयासरत हैं और वह होते-होते रह जाता है तो सावन के महीने में शिव की अराधना से वह पूरी हो जाती है।
प्रकृति के लिहाज से भी श्रावन मास का खास महत्व है। प्रकृति हरी-भरी रहती है और यह माना जाता है कि इस महीने जो जातक खुद को प्रकृति के करीब महसूस करता है, उसे प्रकृति की देवी से भी आर्शीवाद प्राप्त होता है।
सावन के महीने में भक्त तीन प्रकार के व्रत रखते हैं:
1. सावन सोमवार व्रत
2. सोलह सोमवार व्रत
3. प्रदोष व्रत
श्रावण महीने में सोमवार को जो व्रत रखा जाता है, उसे सावन का सोमवार व्रत कहते हैं. वहीं सावन के पहले सोमवार से 16 सोमवार तक व्रत रखने को सोलह सोमवार व्रत कहते हैं और प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के प्रदोष के दिन किया जाता है.
व्रत और पूजन विधि
– सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें.
– पूजा स्थान की सफाई करें.
– आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें.
– भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें.
– दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें.
– भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें.
– ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं.
– सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं.
– पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें.
सोमवार शाम पढ़ें शिव चालीसा, भोलेनाथ प्रसन्न होकर देंगे यह वरदान
अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
विशेषः कोरोना काल के दृष्टिगत आप यह पूजा अपने घर बैठ कर भी कर सकते हैं। मंदिरों में सामाजिक दूरी तथा सफाई आदि का सख्ती से पालन करें। हिुंदू धर्म के अनुयायियों ने पहले भी इतिहास में देश काल पात्र के अनुसार स्वयं को बखूबी ढाला है और इस काल में भी ढाल सकते हैं।

 
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