चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री।
आयरिश महिला नोरा रिचर्ड्स, जिन्हें पंजाबी नाटक और रंगमंच की महान दादी के रूप में जाना जाता है, के जीवन पर आधारित अंगे्रजी नाटक दाइ वर्क इज डन का टैगोर थिएटर में मंचन किया गया। दाइ वर्क इज डन नोरा रिचर्ड्स (1876 - 3 मार्च 1971) की कब्र पर दर्ज शब्दों पर आधारित है। यह नाटक अंग्रेजी में था, यानी अपनी तरह का पहला प्रयास। इससे पहले नोरा पर सभी नाटकों का मंचन पंजाबी भाषा में किया गया था। उल्लेखनीय है कि नोरा रिचर्ड्स को पंजाब की लेडी ग्रेगरी भी कहा जाता है। नोरा 60 साल (1911-1971) तक भारत में रहीं और उनकी कब्र हिमाचल प्रदेश के अंद्रेता में मौजूद है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे पंजाब के राज्यपाल वी पी सिंह बदनोर, जबकि गेस्ट ऑफ ऑनर थे मार्टिन क्रोनिन, सेकेंड सेकेट्री -कल्चर, आइरलैंड दूतावास।
अन्य सम्मानित अतिथि थे, डॉ. बी एस घुमन, वाइस चांसलर, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला, जहां नोरा रिचर्ड्स के काम को मान्यता मिली थी और जहां उन्हें डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की उपाधि मिली।नाटक का आयोजन द नैरेटर्स के तत्वावधान में किया गया, जो चंडीगढ़ स्थित एक युवा रंगमंच संस्था है, और जो अंग्रेजी थिएटर और ड्रामा के मंचन के लिए जानी जाती है। मंचन से पहले एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया, जिसे मार्टिन क्रोनिन और दीपक लूथरा, सह-संस्थापक, द नेरेटर्स, ने संबोधित किया। इस अवसर पर द नेरेटर्स का अनावरण किया गया, प्रोडक्शन का विवरण दिया गया और भारत-आइरलैंड के संबंधों के बारे में बात की गयी। सेकेंड सेके्रट्री की उपस्थिति से न सिर्फ नाटक को आइरलैंड का समर्थन जाहिर हुआ, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों को भी बल मिला।
नोरा रिचर्ड्स के जीवन पर आधारित नाटक दाइ वर्क इज डन दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को एकीकृत करता है। यह दोनों देशों को एक मंच पर लाने का द नेरेटर्स परफॉर्मिंग आटर््स कंपनी का पहला प्रयास है। दीपक लूथरा ने कहाआइरिश और पंजाबी लोगों में काफी समानताएं होती हैं, जैसे कि दोनों ही मिलनसार, मेहमाननवाज, खुश होकर मिलने वाले और दोस्ताना होते हैं। नोरा की भूमिका निशा लूथरा ने निभायी, जिन्होंने वकालत की पढ़ाई की है और जो जुनून से एक कलाकार हैं। वे दि नेरेटर्स की संस्थापक भी हैं। निशा ने इस नाटक में नोरा का रोल अदा किया। निशा और दीपक दोनों ही पिछले 12 वर्षों से आइरिश शिक्षा प्रणाली पर काम कर रहे हैं और इन्हें भारतीय व आइरिश संस्कृति की गहरी समझ है। नोरा रिचर्ड्स भारत और आइरलैंड दोनों स्थानों पर एक लीडर की तरह रही हैं और वे इस नाटक के केंद्र में हैं। यह आयोजन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एकीकरण के एक नये युग की शुरुआत होगी और यह आगे बढ़ेगा। यह प्रक्रिया भारत और आइरलैंड के विभिन्न शहरों में दोहरायी जायेगी। नोरा रिचर्ड्स के नाटक का अंतिम शो डबलिन के एब्बे थिएटर में होगा, जहां नोरा ने व्यक्तिगत रूप से लेडी ग्रेगरी के साथ काम किया था।मैं दृढ़ता से मानता हूं कि अंग्रेजी नाटक और थिएटर संगठन की ट्राइसिटी में बहुत जरूरत है।
हमारे पास अंग्रेजी में हमारे महान भारतीय नाटकों का अनुवाद करने और उन्हें उन देशों के स्थानीय नागरिकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की महत्वाकांक्षी योजना है, क्योंकि अंग्रेजी में मंचन नहीं होने पर उन्हें यह सब देखने का मौका नहीं मिलेगा, दीपक लुथरा ने कहा।इस नाटक को, दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके, डॉ. आत्मजीत, जो साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और पंजाब के एक दिग्गज नाटककार हैं, ने लिखा है और उन्होंने ही इसे निर्देशित किया। नाटक में सहायक कलाकारों के रूप में साहिब सिंह (आई सी नंदा), गौतम (शांति स्वरूप भटनागर) और वैभव (जयशील) हैं।