ENGLISH HINDI Thursday, March 28, 2024
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
वर्ष 2025 से विनाशकारी आपदाएं अपना तीव्रतम रूप धारण करने लगेंगी : पं. काशीनाथ मिश्रवरिष्ठ पत्रकार जगीर सिंह जगतार का निधन गतका खेल लड़कियों के लिए आत्मरक्षा का बेहतर, आसान और सस्ता विकल्प - हरजीत सिंह ग्रेवालश्री सांई पालकी शोभा यात्रा पहुंची चण्डीगढ़-पंचकूला में बाबा भक्तों के द्वारखास खबरः चुनावों संबंधित हर नई अपडेट के लिए बरनाला प्रशासन ने तैयार किया सोशल मीडिया हैंडलमेडिकल स्टोर ने 40 रूपये के इंजेक्शन का बिल नहीं दिया, उपभोक्ता आयोग ने 7000 रुपया का जुर्माना ठोकाशिकंजाः किसी भी धार्मिक स्थल पर राजनीतिक रैली नहीं कर सकेंगी राजनीतिक पार्टियांबागी विधायकों पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला लोकतंत्र की बड़ी जीत: नरेश चौहान
जीवन शैली

बदलते खान-पान से हो रहे है अनेकानेक बीमारियों से ग्रस्त: डॉ. कौशल

September 13, 2019 09:20 PM

सिरसा, सतीश बंसल:

वर्तमान दौर में बदलते खान-पान की वजह से हम अनेकानेक बीमारियों जैसे कि हार्मोनल प्रॉब्लम, पीसीओडी, लीवर, थाईरायड, शूगर, गुर्दे व फेफडे की बीमारियां, मानसिक अवसाद, याददाश्त का कमजोर होना, ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का खोखला होना), स्त्रियों में माहवारी के रोग, हाई ब्लडप्रेशर इत्यादि से ग्रस्त हो रहे है। इसलिए हमें इस संदर्भ में स्वयं को बदलना होगा, तभी हम एक स्वस्थ जीवन जी सकते है।

उक्त जानकारी देते हुए शुभम अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालक सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत रत्न अवार्ड से अलंकृत प्रौफेसर डॉ. संजीव कौशल ने बताया कि हम चकाचौंध को देखते हुए किचन में नॉन स्टिक बर्तनों का प्रयोग कर रहे है जोकि हमारे लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है। इन बर्तनों पर लगी टफ्लोन की परत की वजह से इन बर्तनों में पकने वाले खाने में कई प्रकार के घातक कैमिकल शामिल हो जाते है जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते है। इसके अतिरिक्त एलमुनियम बर्तनों में खाना पकाना व एलमुनियम के फाइल में खाना पैक करना भी हमारे लिए अत्यंत घातक है।

डॉ. कौशल ने संक्षेप में बताते हुए कहा कि देश की आजादी से पूर्व अंग्रेजों के शासनकाल में कैदियों को एलमुनियम बर्तनों में खाना परोसा जाता था, ताकि कैदी अनेकों बीमारियों से ग्रस्त हो जाए। इसी को आज हमने अपना लिया है जो गलत है। इसलिए एलमुनियम बर्तनों व फाइल का प्रयोग कतई न करें। इसके अतिरिक्त प्लास्टिक बॉक्स व प्लॉस्टिक बोतल का प्रयोग भी हमारे स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है, क्योंकि इससे घातक प्लास्टिक हमारे भोजन व पानी में मिक्स हो जाता है।

इस कड़ी में काबिलेगौर है कि रिफाईंड ऑयल का प्रयोग भी काफी घातक है। हमें इसका प्रयोग न करके सरसों का तेल प्रयोग करना चाहिए क्योंकि रिफाईंड ऑयल हमारे स्वास्थ्य के लिए जहर है जबकि सरसों का तेल व छोटी मात्रा में देसी घी हमारे लिए अमृत है। डॉ. कौशल ने कहा कि अगर हम उक्त जानकारियों का जीवन में अनुसरण करते है तो यकीनन एक स्वस्थ जीवन जी सकते है।

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें
 
और जीवन शैली ख़बरें