ENGLISH HINDI Saturday, November 23, 2024
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
पंचकूला में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह की तैयारियां तेज, बन रहा भव्य पंडालमुख्यमंत्री ने मंच पर बिराज गौमाता को अपने हाथों से दूध पिलाया, गायक बी प्राक ने अपने भजनों से भगतों को निहाल कियाहिमाचल भवन मामले में प्रदेश सरकार उचित कानूनी उपाय करेगी सुनिश्चितः मुख्यमंत्रीहार्ट डिजीज और कैंसर के बाद सीओपीडी दुनिया भर में तीसरा सबसे बड़ा घातक रोग : डॉ सोनलहर काम में धार्मिक जागरुकता जरूरी : श्री मन्माधव गौड़ेश्वर वैष्णव आचार्य श्री पुण्डरीक गोस्वामी चंडीगढ़ -अंबाला हाइवे पर लोगों से हथियार की नोक पर लूटपाट करने में वांटेड सत्ती मुठभेड़ में काबूअब पत्रकारिता में व्यापार हावी हो गया है : अजय भारद्वाज मुख्यमंत्री ने धुंध के मौसम में सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर सफेद पट्टी लगाने के दिए निर्देश
संपादकीय

हमारे जीवन, जीवनशैली और रोज़गार से कम-से-कम संसाधनों का दोहन हो

July 26, 2020 08:39 PM

 ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित होकर अनेक युवाओं ने एक नया अभियान आरंभ किया- 'एक बेहतर दुनिया की ओर'। प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने इस अभियान को जारी करते हुए देश-विदेश के युवाओं को याद दिलाया कि महात्मा गाँधी ने कहा था कि प्रकृति में इतने संसाधन तो हैं कि हर एक की ज़रूरतें पूरी हो सके परन्तु इतने नहीं कि एक का भी लालच पूरा हो सके. सबके सतत विकास के लिए यह ज़रूरी है कि हमारा जीवन, जीवनशैली और रोज़गार ऐसे हों कि कम-से-कम संसाधनों का दोहन और उपयोग हो.

मेगसेसे पुरूस्कार से सम्मानित कार्यकर्ता और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि हर एक व्यक्ति को कम-से-कम एक संकल्प लेना होगा जिससे वह दुनिया को बेहतर बनाने के लिए अपना योगदान दे सके. इस कार्यक्रम में ग्रेटा थुनबर्ग के वैश्विक अभियान, फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर, से भी अनेक युवाओं ने भाग लिया.

पाकिस्तान के फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर अभियान से जुड़ीं 16 वर्षीय आयेशा इम्तिआज़ ने कहा कि अनेक स्थानीय लोगों को, विशेषकर बच्चों को, प्रदूषण के कारण कुप्रभावित होते देखकर ही उन्होंने पर्यावरण के मुद्दे उठाने का संकल्प लिया. प्रदूषण के कारण अनेक रोग भी होते हैं. हर इंसान बदलाव लाने की शक्ति रखती है और जलवायु परिवर्तन पर हम सब को एकजुट हो कर कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें, देश के भीतर ही नहीं वरन मानवता के नाते वैश्विक रूप से एकजुट होकर कार्य करना होगा.

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के भारतीय प्रोद्योगिकी संसथान से स्नातक अभय जैन ने इस अभियान के बारे में बताया कि इसका प्रमुख मकसद है युवाओं को प्रेरित करना कि वह व्यक्तिगत तौर पर अपने जीवन में बदलाव लाने का दृढ़ संकल्प लें जिससे कि यह दुनिया बेहतर बन सके. स्वयं संकल्प लेने से बदलाव का हमारा इरादा पक्का होता है. यह अभियान इसीलिए आरंभ किया जा रहा है.

जाने-माने समाजवादी विचारक और 'द पब्लिक' के संस्थापक-संपादक आनंद वर्धन सिंह ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी को तो सरकारें खतरा मान रही हैं और उसके नियंत्रण के लिए यथासंभव कदम उठा रही हैं परन्तु जलवायु परिवर्तन की आपदा जो अनेक सालों से मंडरा रही है और अधिक विकराल चुनौती बनती जा रही है, सरकारें उससे अनभिज्ञ प्रतीत होती हैं. उन्होंने महात्मा गाँधी की बात दोहराई कि प्रकृति निरंतर अपने नियमानुसार कार्य करती रहती है परन्तु इंसान इन नियमों का उल्लंघन करता है जिसके कारणवश संतुलन बिगड़ता है.

ग्रीस देश के फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर अभियान से जुड़ीं 16 वर्षीय अरिआद्ने पापाथिओदोरोऊ ने कहा कि युवाओं को इसलिए आगे बढ़ कर अभियान को मज़बूत करना पड़ा क्योंकि बिगड़ते जलवायु परिवर्तन की आपदा के प्रति सरकारें चेत ही नहीं रही हैं. वह और उनके जैसे युवा एक ऐसी दुनिया चाहते हैं जहाँ हर एक के लिए लैंगिक बराबरी हो, मानवाधिकार हों और पर्यावरण का नाश न हो. उन्होंने शरणार्थियों से जुड़े मुद्दों के प्रति भी संवेदनशीलता व्यक्त की.

पाकिस्तान के फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर अभियान से जुड़ीं 16 वर्षीय आयेशा इम्तिआज़ ने कहा कि अनेक स्थानीय लोगों को, विशेषकर बच्चों को, प्रदूषण के कारण कुप्रभावित होते देखकर ही उन्होंने पर्यावरण के मुद्दे उठाने का संकल्प लिया. प्रदूषण के कारण अनेक रोग भी होते हैं. हर इंसान बदलाव लाने की शक्ति रखती है और जलवायु परिवर्तन पर हम सब को एकजुट हो कर कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें, देश के भीतर ही नहीं वरन मानवता के नाते वैश्विक रूप से एकजुट होकर कार्य करना होगा.

अफ्रीका के नाइजीरिया देश के फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर अभियान से जुड़े किंग्सले ओदोगवू ने कहा कि सरकार ने फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर की वेबसाइट को बंद करने का आदेश जारी किया था जिसको वापस ले लिया गया है. फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर अभियान हम सबके भविष्य के लिए समर्पित है.

फ्रांस के फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर अभियान से जुड़े जीनो ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी से निबटने के बाद जब अर्थव्यवस्था पुन: चालू हो तो उसमें सभी जलवायु परिवर्तन सम्बंधित ठोस कदम शामिल किये जाएँ. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं अमीर और अमीर देश परन्तु वह अपनी जिम्मेदारी लेने से कतरा रहे हैं. इसीलिए युवाओं को हम सबका भविष्य बचाने के लिए एकजुट होना पड़ रहा है.

श्री लंका की युवा शेलानी पालीहवादाना ने कहा कि वह लैंगिक गैर-बराबरी मिटाने के लिए कार्यरत हैं. विकलांगता के कारण अनेक लोगों को विशेषकर युवाओं को काफ़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है जिसके लिए वह समर्पित रही हैं. उन्होंने बताया कि हालाँकि श्री लंका में पॉलिथीन इतनी बनती ही नहीं है परन्तु समुद्र में पॉलिथीन प्रदूषण करने वाले दुनिया के सबसे बड़े देशों में वह एक है.

आत्मनिर्भर भारत के लिए ज़रूरी हैं स्वयं निर्भर गाँव

मेधा पाटकर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को बड़ा मुद्दा तो माना जाता है और अनेक संधियाँ, उच्च-स्तरीय बैठकें आदि होती हैं परन्तु सरकारें इस आपदा से बचने के लिए ज़रूरी कदम ही नहीं उठा रही हैं. सरकारों की जिम्मेदारी है कि वह पर्यावरण, सामाजिक-संस्कृतिक विविधता, एकता, बराबरी और न्याय के प्रति समर्पित हो कर कार्यरत रहें. यह मूल्य जो हमारे संविधान में भी निहित हैं, हमारे जीवन के लिए और सरकारों के शासन के लिए एक मार्गनिर्देशिका स्वरुप हैं.

एक राजनेता ने संसद में कहा कि लोग पर्यावरण या विकास के बीच एक चुन लें परन्तु यह सही नहीं है क्योंकि पर्यावरण और विकास दोनों अविभाज्य हैं. मेधा जी ने कहा कि पर्यावरण का मतलब सिर्फ कोयले या ओजोन से ही नहीं है बल्कि हमारे जीवन, रोज़गार के माध्यम, और जीवनशैली से भी जुड़ा हुआ है - और - पर्यावरण से जीवन पोषित और संचारित भी होता है. उन्होंने कहा कि लोग यह विचार करें कि प्राकृतिक संसाधन आखिर किसके हैं? यदि जल, जंगल, जमीन, खनिज, वायु आदि दुनिया के इंसान के हैं तो फिर लोगों को इसकी संरक्षा करने के लिए जिम्मेदारी तो लेनी पड़ेगी ही क्योंकि यह सर्वविदित है कि सिर्फ सरकारों के भरोसे इसको नहीं छोड़ा जा सकता है.
जो पर्यावरण का शोषण, दोहन और विनाश हो रहा है उसकी भरपाई नहीं हो सकती क्योंकि यह क्षति अपूरणीय है.

बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं बल्कि जनता द्वारा उत्पादन से हल होगी रोज़गार की समस्या
मेधा पाटकर ने कहा कि युवाओं को महात्मा गाँधी की बात हमेशा स्मरण रखनी चाहिए कि "मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है". उन्होंने कहा कि गांधीजी ने सादगी का रास्ता सुझाया था जो एक अलग प्रकार की समृधि लाता है - जो ज़रूरी है यदि हमें, सबके लिए बराबरी, न्यायपूर्ण और सतत विकास की व्यवस्था का सपना पूरा करना है. गाँधीवादी अर्थव्यवस्था ही सही मायने में समाजवादी, सतत, और न्यायपरस्त अर्थव्यवस्था है. उदाहरण के रूप में यदि रोज़गार की चुनौती हल करनी है तो वह बड़े पैमाने के उत्पादन से नहीं होगी बल्कि जनता द्वारा उत्पादन से होगी. हमें इसके लिए अपने जीवन, जीवनशैली और रोज़गार के माध्यम में भी बदलाव लाना होगा क्योंकि प्रकृति में हम सब की ज़रूरत के लिए संसाधन तो हैं परन्तु एक के भी लालच पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसीलिए यह हमें संकल्प लेना चाहिए कि हमारा जीवन, जीवनशैली और रोज़गार, कम-से-कम संसाधनों के दोहन पर निर्भर रहें.

मेधा पाटकर इस कार्यक्रम में नर्मदा घाटी से ऑनलाइन भाग ले रही थीं. उन्होंने कहा कि वहां के आदिवासी समुदाय जिस तरह से जीवन जीता है उसमें जल, जंगल और जमीन की रक्षा एवं अन्य जीवित प्राणियों की भी रक्षा निहित है. नर्मदा घाटी के आदिवासी समुदाय ने सिर्फ पुनर्वास के लिए संघर्ष नहीं किया बल्कि नदी और नदी से जुड़े प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए भी संघर्ष किया - क्योंकि बिना जंगल के नदी नहीं बहेगी और बिना नर्मदा नदी के बहाव के समुद्र को अन्दर आने से कैसे रोका जा सकेगा? पिछले सालों में नर्मदा नदी में 50-80 किलोमीटर समुद्र अन्दर आ गया है.

मेधा पाटकर ने कहा कि जन-आन्दोलन भी एक रचनात्मक कार्य है और जिन मूल्यों में हम आस्था रखते हैं वह उनकी सकारात्मक अभिव्यक्ति है.

प्रसिद्ध पर्यावरणविद और अर्थशास्त्री डॉ लुबना सर्वथ जो तेलंगाना में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) की महासचिव भी हैं, ने कहा कि युवाओं की अपेक्षा है कि सरकारें पर्यावरण-आपदा को संज्ञान में ले कर कार्यसाधकता के साथ कार्यरत हों पर ऐसा हो नहीं रहा है. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वह अपने पास के जल-स्त्रोत को प्रदूषित होने से रोकें. जल ही जीवन है और यह जिम्मेदारी हम सबको लेनी होगी कि सभी जल स्त्रोत प्रदूषित न हो पायें.                                 —बॉबी रमाकांत

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें
 
और संपादकीय ख़बरें