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श्रावण मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व : स्वामी सुन्दर लाल भार्गव

July 17, 2022 10:15 PM

श्रावण मास में विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना करने से हो सकता है धनलाभ

SunderBhargav98112 13630
 आर के शर्मा/चण्डीगढ़ :

भृगु आश्रम व शनि मन्दिर, हरिद्वार के संस्थापक-संचालक व चण्डीगढ़ के जाने-माने ज्योतिषाचार्य स्वामी सुन्दर लाल भार्गव ने श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की महिमा का बखान करते हुए बताया कि श्रावण मास में विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना करने से धनलाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि सावन में नीम, पीपल, बरगद की त्रिवेणी लगाने वालों पर भी भगवान शिव की अति कृपा होती है। भगवान शिव का पवित्र श्रावण (सावन) मास 14 जुलाई गुरुवार से शुरू हो चुका है। श्रावण हिन्दू धर्म का पञ्चम महीना है।

श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है । भोलेनाथ ने स्वयं कहा है कि द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: । श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।।
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:। यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।। 

अर्थात मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है, इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके माहात्म्य के श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है।

“अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम्” श्रावण मास में अकालमृत्यु दूर कर दीर्घायु की प्राप्ति के लिए तथा सभी व्याधियों को दूर करने के लिए विशेष पूजा की जाती है। मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए श्रावण माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।

श्रावण मास में मनुष्य को नियमपूर्वक नक्त भोजन करना चाहिए । श्रावण मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व है
स्वस्य यद्रोचतेऽत्यन्तं भोज्यं वा भोग्यमेव वा। सङ्कल्पय द्विजवर्याय दत्वा मासे स्वयं त्यजेत् ।।”*
श्रावण में संकल्प लेकर अपनी सबसे प्रिय वस्तु (खाने का पदार्थ अथवा सुखोपभोग) का त्याग कर देना चाहिए और उसको ब्राह्मणों को दान देना चाहिए। "केवलं भूमिशायी तु कैलासे वा समाप्नुयात”

श्रावण मास में भूमि पर शयन का विशेष महत्व है। ऐसा करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है। शिवपुराण के अनुसार श्रावण में घी का दान पुष्टिदायक है।

 
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