सेराजिम ने ईजाद किया है एक ऐसा स्टोन जो लाल मिट्टी और खनिज पदार्थों के मिश्रण से पैदा करता है चढ़ते सूरज की किरणेः डा. को-सुक्बॉंग
अखिलेश बंसल/ बरनाला
भले ही किसी दुर्घटना या हादसे के शिकार व्यक्ति को बड़े से बड़े अस्पतालों का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, लेकिन यदि हर व्यक्ति अपनी रीढ़ की हड्डी को सेराजिम थेरेपी देता रहे तो कैंसर तक की दिक्कतें दूर सकेंगी। उसके लिए व्यक्ति को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं।
यह बात डा. को सुक्बॉंग ने बरनाला स्थित सेराजिम सेंटर कही। गौरतलब है कि डा. को-सुक्बॉंग साऊथ कोरिया से संबंधित हैं, सेराजिम भारत के सीईओ हैं। वह पूरे विश्व के हर परिवार को सेहतमंद करने के 12वें अभियान को लक्ष्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से भारत देश के दौरे पर हैं। इस मौके पर उनके साथ बरनाला केंन्द्र की संचालिका आरुषि बंसल और मुख्य शिक्षक अमृत पाल बंसल भी थे।
पूरे शरीर को दिक्कतों से परे करने में सक्षम सेराजिम थेरेपीः
डा. को-सुक्बॉंग ने बताया कि यदि आम फीजियो थेरेपी सेंटरों द्वारा किए जाते उपचार की बात करें तो वह एक्यूप्रैशर, एक्य़ू पंचर, कपिंग जैसी थेरेपी के आधार पर सिर्फ एक अंग की ही मालिश या मसाज कर सकते हैं। जबकि सेराजिम थेरेपी दीमाग से लेकर रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले मोहरे (ढुंडरी) कर पहुंचती है। पूरे शरीर के नर्बस सिस्टम को ठीक करती है। इससे सिर, ब्रेन, आंख, नाक, मूंह, कान, स्वर यंत्र, जबड़ा, गला, प्लाटिन टौंसिल, थायरॉड ग्लांड, बड़ी आंत छोटी आंत, फेफड़े, बाहें, टैस्टिस यूट्रिस ब्लाडर, प्रोस्टेट, काल्वज एंकल्ज, सैक्रम हिप्प बोन्ज, छाती, दिल, लंग्ज, पैन्क्रीज, किडनी, टांगों समेत सभी अंगों का रक्त साफ होता है, नाड़ियों में पैदा होती ब्लॉकेज व गंदगी दूर होती है।
डा. को-सुक्बॉंग ने बताया कि यदि आम फीजियो थेरेपी सेंटरों द्वारा किए जाते उपचार की बात करें तो वह एक्यूप्रैशर, एक्य़ू पंचर, कपिंग जैसी थेरेपी के आधार पर सिर्फ एक अंग की ही मालिश या मसाज कर सकते हैं। जबकि सेराजिम थेरेपी दीमाग से लेकर रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले मोहरे (ढुंडरी) कर पहुंचती है। पूरे शरीर के नर्बस सिस्टम को ठीक करती है। इससे सिर, ब्रेन, आंख, नाक, मूंह, कान, स्वर यंत्र, जबड़ा, गला, प्लाटिन टौंसिल, थायरॉड ग्लांड, बड़ी आंत छोटी आंत, फेफड़े, बाहें, टैस्टिस यूट्रिस ब्लाडर, प्रोस्टेट, काल्वज एंकल्ज, सैक्रम हिप्प बोन्ज, छाती, दिल, लंग्ज, पैन्क्रीज, किडनी, टांगों समेत सभी अंगों का रक्त साफ होता है, नाड़ियों में पैदा होती ब्लॉकेज व गंदगी दूर होती है।
उन्होंने कहा कि खाने-पीने, बैठने-उठने, चलने-फिरने का सिस्टम ठीक नहीं होने और खाद्य पदार्थों व पानी में शुद्धता नहीं होने से ब्लड प्रैशर, शुगर, कैंसर, ट्यूमर, हार्ट अटैक, हर किस्म का दर्द, सरवायकल जैसी दिक्कतें लगातार बढ़ रही हैं। जिन्हें केवल और केवल सेराजिम थेरेपी से दूर किया जा सकता है। सेराजिम थेरेपी को विश्वभर के 35 डाक्टरों, विज्ञानिकों, माहिर थेरेपिस्टों ने सही ठहराया है, जिसके चलते सेराजिम को सरकारों से मान्यता मिल सकी है।
जेडास्टोन से बनाई गई सेराजिम मशीनः
सेराजिम ने एक ऐसा स्टोन ईजाद किया है, जिसमें लाल मिट्टी और खनिज पदार्थों के मिश्रण है, जो चढ़ते सूरज की किरणें हर वक्त पैदा करता है। यह जेडास्टोन पत्थर 1200 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर तैयार होता है, जो इन्सानी शरीर के अन्दर पैदा होती अनेक दिक्कतों को जड़ से खत्म करने वाला पारस बन जाता है।
लोगों ने किया भव्य अभिनंदनः
बरनाला सेंटर में 9 साल से थेरेपी लेते आ रहे लोगों ने साऊथ कोरिया से बरनाला पहुंचे सेराजिम सीईओ डा. को-सुक्बॉंग का भव्य स्वागत किया। उन्हें आश्वासन दिया कि सेराजिम थेरेपी का प्रभाव विश्वभर के अस्पतालों में भीड़ को कम करेगा। लोग घर बैठे भी सेराजिम थेरेपी ले रहे हैं। लोगों ने बरनाला केंन्द्र की संचालिका आरुषि बंसल और मुख्य शिक्षक अमृत पाल बंसल का धन्यवाद किया जो पटियाला से आकर लोगों को निःशुल्क सेहतमंद बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।