प्रसिद्ध विद्वान, महामहोपाध्याय पूज्य भद्रेश स्वामी ने श्रीमद्भगवद गीता के श्लोक - = एशा ब्राह्मी स्थिति= का हवाला देते हुए चिंतन किया कि कैसे भौतिक इच्छाओं से परे जाने, समता को अपनाने और खुद को अक्षरब्रह्म के साथ संरेखित करने से ब्राह्मी स्थिति की प्राप्ति होती है।