संजय कुमार मिश्रा /चंडीगढ़
पूर्व आइएएस अधिकारी व केएस राजू लीगल ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. राजू ने कहा की सूचना अधिकार अधिनियम के तहत बताया गया है कि सरकार की ओर से चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी घोषित करने संबंधी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है और उनके पास ऐसा कोई भी अधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है जो साफ करता हो कि चंडीगढ़ ही पंजाब की राजधानी है।
डॉ. राजू बताते हैं कि इस समस्या का मूल कारण 1966 में कांग्रेस सरकार की ओर से लागू किया गया भेदभावपूर्ण कानून है। ज्ञात हो कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पंजाब राज्य के लिए राजधानी का कोई प्रावधान ही नहीं किया। यही नहीं इस अधिनियम के मुताबिक चंडीगढ़ पंजाब राज्य का हिस्सा नहीं होगा ।
उदाहरण के तौर पर बताया गया कि साल 2014 में कांग्रेस सरकार की ओर से लाया गया आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनयम में यह स्पष्ट रूप से प्रावधान दिया गया कि हैदराबाद अगली दस साल के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनो राज्यों की आम राजधानी होगी। लेकिन 1966 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम में पंजाब के राजधानी के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया।
केंद्र सरकार की तरफ से एडीशनल सोलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने चंडीगढ़ उच्च न्यायालय को बताया था कि, चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा का हिस्सा नहीं है बल्कि यह दोनों की राजधानी है। जैन ने कहा कि वर्ष 1966 से पहले यह पंजाब का हिस्सा था लेकिन 1966 में विभाजन के बाद चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश बन गया।
केंद्र सरकार की तरफ से एडीशनल सोलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने चंडीगढ़ उच्च न्यायालय को बताया था कि, चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा का हिस्सा नहीं है बल्कि यह दोनों की राजधानी है। जैन ने कहा कि वर्ष 1966 से पहले यह पंजाब का हिस्सा था लेकिन 1966 में विभाजन के बाद चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश बन गया।
डॉ. राजू ने बताया कि पंजाब विधानसभा ने इस संबंध में एक अप्रैल 2022 को एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें सिफारिश की गई थी कि राज्य सरकार चंडीगढ़ को तुंरत पंजाब को ट्रांसफर करने के लिए केंद्र सरकार के समक्ष मुद्दत उठाए। लेकिन आजतक इसका कोई फोलोअप कार्यवाही नहीं की गई। न तो किसी मुख्यमंत्री ने आज तक यह फाइल दोबारा मंगवाई और न ही कोई रिमांडर जारी किया।