मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़, 98156.19620
Madan Gupta Sapatu
इस महीने 11 तारीख से विवाह के मुहूर्त फिर से आरंभ हैं जो केवल 12 दिसंबर तक ही रहेंगे अर्थात केवलएक मास ही रह गया है 2017 का जब अविवाहित घोडी़ या डोली चढ़ने के अपने अरमान पूरे कर सकते हैं।पहले तो 10 अक्तूबर से 10 नवंबर तक गुरु अस्त रहा और अब 15 दिसंबर से 2 फरवरी 2018 तक शुक्र देवअस्त रहेंगे जिसे आंचलिक भाषा में तारा डूबना कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में गुरु एवं शुक्र का आकाश में प्रबलस्थिति में होना ऐसे मांगलिक कार्यों में आवश्यक माना गया है।
इसके अलावा आधुनिक युग की आपाधापी में कई लोगों को विवाह के शुभ मुहूर्त तक प्रतीक्षा करने कीफुर्सत ही नहीं है विशेषतः अनिवासी भारतीय जो रहते तो विदेशों में हैं और शादियां भारत में ही करना चाहतेहैं वह भी परंपराओं के अनुसार तो उनके लिए रविवार के दिन अभिजित् मुहूर्त होता है जो स्थानीय समय केठीक 12 बजे से 24 मिनट पहले आरंभ होता है और 24 मिनट बाद तक रहता है अर्थात आप लगभग पौनेबारह से सवा बारह बजे के मध्य अभिजीत मुहूर्त में विवाह कर सकते हैं।
अभिजित् का अर्थ है जिसे कोई जीत नहीं सकता अर्थात सर्वश्रेष्ठ समय । इस अवधि में संपन्न किया गयाकोई भी मांगलिक कार्य विजय प्राप्त करता है अर्थात शुभ रहता है। भगवान राम एवं भगवान कृष्ण का जन्मइसी मुहूर्त में हुआ है और यह दिन तथा रात्रि में इसी समय रहता है।
कई समुदायों में विवाह संस्कार रविवार के दिन ही ठीक दोपहर या 12 बजे संपन्न किए जाते हैं।
अक्सर जन साधारण को गलतफहमी है कि इस दिन विवाह अवकाश के कारण रखे जाते हैं ताकि सब फुर्सत के कारण शामिल हो सकें। बहुत कम लोग जानते हैं कि अंग्रेजी शासनकाल में मजदूरों की हालत अधिक कार्य के कारण दयनीय थी और उन्हें आराम का समय नहीं मिलता था। पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 के दौरान एक मजदूर नेता, नारायण मेघा जी लोहखंडे ने सरकार के आगे ,संडे की छुटट्ी का प्रस्ताव रखा। यह आन्दोलन लंबा चला और अंततः 1889 में रविवार को अवकाश देने का प्रस्ताव ,ब्रिटिश हकूमत ने मान लिया। इसके बाद कई अंतर्राष्ट्र्ीय संगठनों ने भी इतवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया।
इसके अलावा ज्योतिष में सूर्य को सबसे बड़ा ग्रह माना गया है जिसके प्रकाश से दुनिया चलती है। इस दिन का धार्मिक महत्व भी है। अंग्रेज रविवार को ’सैबथ डे’ कहते हैं जिसका अर्थ हेै - पवित्र दिन! रविवार का अवकाश तो अंग्रेजों ने मात्र 100 साल पूर्व ही आरंभ किया था परंतु भारत में ऐसे समुदायोंमें 300 सालों से इतवार को ही ठीक मध्यान्ह के समय विवाह किया जाता रहा है। इसके पीछे अभिजित्मुहूर्त ही है जिसे कई कारणों से स्वीकार नहीं किया जाता वरन् केवल रविवार को ही ठीक 12 बजे लावां फेरेन लिए जाते, या तो सुबह 8 बजे हो जाते या सायं 7 बजे भी तो हो सकते हैं। मूल में ज्योतिषीय गणना एवंमुहूर्त ही इसका आधार रहा है।
जिन परिवारों को किसी कारणवश ज्योतिषीय दृष्टि से दिये गए मुहूर्तोंं में विवाह करने में दुविधा हैतो वे रविवार के दिन स्थानीय समय के अनुसार ठीक 12 बजे दिन या ठीक 12 बजे रात्रि के समयपाणिग्रहण संस्कार अर्थात लावां फेरे कर के यह रस्म पूर्ण कर सकते हैं।
शुभ विवाह मुहूर्त-
नवंबर-,23,24,25,28,29,30
दिसंबर- 1,3,4,10,11,12