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एस्ट्रोलॉजी

104 साल बाद लगेगा 27 व 28 जुलाई की रात्रि सबसे लंबा चंद्र ग्रहण

July 18, 2018 06:50 PM

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, 196 सैक्टर 20ए ,चंडीगढ़,मो- 98156 19620

Madan Gupta Sapatu
  27 और 28 जुलाई की मध्य रात्रि में लगने वाले चन्द्रग्रहण में करीब 1 घंटे 43 मिनट का खग्रास रहेगा।यह चन्द्रग्रहण शुरू होने से अंत होने तक करीब 4 घंटे का रहेगा। यह चंद्रग्रहण 104 साल बाद बेहद खास है - । यह 21वीं सदी का सबसे लंबा चन्द्रग्रहण होगा। इस चंद्रग्रहण को पूरे भारत में देखा जा सकता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया के मध्य हिस्से से होकर गुजरेगा। ग्रहण के दौरान चंद्रमा जब पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो वह चमकीले नारंगी रंग से लाल रंग का हो जाता है और एक दुर्लभ घटना के तहत गहरे भूरे रंग से और अधिक गहरा हो जाता है। यही कारण है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है और उस समय इसे ब्लड मून कहा जाता है।

- ग्रहण स्पर्श - 23ः54. -27 जुलाई की रात्रि -खग्रास आरंभ-‘ 25ः00.-27 /28 जुलाई की मध्य रात्रि - ग्रहण मध्य- 01ः52 .-28 जुलाई -खग्रास समाप्त- 02-43.-28 जुलाई - ग्रहण समाप्त -03ः49-28 जुलाई - ग्रहण की अवधि- 3 घंटे -ग्रहण का सूतक- 27 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से ग्रहण समापन तक।

ऐसे में लोगों को बेहद सावधानी बरतनी होगी। भारत के अलावा यह चन्द्रग्रहण संपूर्ण एशिया, यूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, हिंद और अटलांटिक महासागर क्षेत्र में देखा जा सकेगा।

ग्रहण का आरंभ 27 जुलाई की मध्य रात्रि में 11 बजकर 54 मिनट पर होगा और इसका मोक्ष काल यानी अंत 28 जुलाई की सुबह 3 बजकर 49 मिनट पर होगा। क्या है वैज्ञानिक मान्यता ? ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक शक्ति का संचार होता है. इसलिए इस समय को अशुभ माना जाता है. इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं. भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं, अतः ग्रहण काल के समय या उसके उपरांत ज्वार भाटा और भूकंप आने की सम्भावना रहती है. ज्योतिष ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस राशि में चन्द्रग्रहण होता है उस राशि के लोगों को कष्ट का सामना करना पड़ता है।

हण मकर राशि में होने के कारण इस राशि के लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह खग्रास चंद्रग्रहण उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में लग रहा है। इसलिए जिन लोगों का जन्म उत्तराषाढ़ा-श्रवण नक्षत्र और जन्म राशि मकर या लग्न मकर है उनके लिए ग्रहण अशुभ रहेगा।

मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण श्रेष्ठ, वृषभ, कर्क, कन्या और धनु राशि के लिए ग्रहण मध्यम फलदायी तथा मिथुन, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ रहेगा।

ग्रह गोचर में मकर राशि के केतु के साथ चंद्रमा का प्रभाव और राहु से उसका समसप्तक दृष्टि संबंध होना, युति कृत मान से कर्क राशि में राहु, सूर्य, बुध तथा मकर राशि में चंद्र, केतु, मंगल युति कृत दृष्टि संबंध होना, दो तरफा केंद्र योग का बनना और शनि व मंगल का वक्री होना अपने आप में विशेष घटना है। हालांकि यह अच्छा नहीं माना जाता है।

राशियों पर प्रभाव इस ग्रहण का प्रभाव राशि अनुसार इस प्रकार पड़ेगा

मेष - ग्रहण सुख कारी है नया व्यवसाय भी प्रारंभ करने के योग बनेंगे। वृष-अपमान का कारण बन सकता है -स्थानांतरण और नौकरी में परिवर्तन के योग भी हैं

मिथुन - कष्‍टकारी है ,चलते हुए कामों में अड़चन आएगी।

कर्क -- महिलाओं से संबंधित परेशानी हो सकती है। परिवार में कलह सिंह - ये ग्रहण सुख देने वाले होगा, विवाह में अब तक आ रही बाधा समाप्त होगी। कन्‍या -के लिए चिन्‍ताकारक, प्रसंग में असफल होंगे तुला - परेशानी देने वाला है - वाहन-मशीनरी का प्रयोग करते समय सावधानी रखें। वृश्‍चिक - धन प्राप्‍ति हो सकती है। जीवनसाथी से सब खटास दूर हो जाएगी। धनु - धन हानि हो सकती है, बड़ा निवेश करने से बचें।

मकर - चोट लगने का खतरा है रोग पर खर्च अधिक होगा। कुंभ राशि - क्षति हो सकती है। मानसिक रूप से काफी विचलित रहेंगे।

मीन राशि -ग्रहण लाभ देने वाला है। मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

राजनीतिक दृष्टि से यह ग्रहण ब्लूचिस्तान एवं कश्मीर में राजनीतिक अपद्रव को बढाने वाला है। इन क्षेत्रों में आतंकी घटनाएं हो सकती हैं। सफेद वस्तुओं और चांदी, के दाम बढ़ेंगे। उपाय ग्रहण के अशुभ प्रभाव कम करने और सर्वत्र रक्षा के लिए ग्रहणकाल के दौरान एक जगह बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें।

ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान आदि करके गरीबों को भरपेट भोजन करवाएं। ग्रहण काल के दौरान अपने साथ चांदी का चंद्र यंत्र रखें और ग्रहण के बाद इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें। पौराणिक मान्यता ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु अनिष्टकारक ग्रह माने गए हैं. चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है, इस कारण सृष्टि अपवित्र और दूषित हो जाती है. चंद्रमा अमृत रूपी किरणों से समस्त पृथ्वी पर वृक्षों, जल जीव जंतुओं एवं मनुष्यों को अपनी किरणों से सभी को जीवन दान देता है।

चन्द्र ग्रहण में चंद्रमा की अमृत रुपी किरणें कालिमा छाया से पृथ्वी पर आने से रुक जाती हैं, जिससे पृथ्वी पर विषैले तत्व बढ़ जाते हैैं. जिसके कारण सभी जीव प्रभावित होते हैं.

ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय सनातन धर्मानुसार ऋषि मुनियों ने इनके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय

 1.ग्रहण में सभी वस्तुओं में कुश डाल देनी चाहिए कुश से दूषित किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि कुश जड़ी- बूटी का काम करती है.

2. ग्रहण के समय तुलसी और शमी के पेड़ को नहीं छूना चाहिए. कैंची, चाकू या फिर किसी भी धारदार वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

3. ग्रहण में किसी भी भगवान की मूर्ति और तस्वीर को स्पर्श नहीं चाहिए. इतना ही नहीं सूतक के समय से ही मंदिर के दरवाजे बंद कर देने चाहिए.

4. ग्रहण के दिन सूतक लगने के बाद छोटे बच्चे, बुजुर्ग और रोगी के अलावा कोई व्यक्ति भोजन नहीं करे.

5. ग्रहण के समय खाना पकाने और खाना नहीं खाना चाहिए, इतना ही नहीं सोना से भी नहीं चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के वक्त सोने और खाने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है.

6. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक मानी जाती है.

7. गर्भावस्था की स्थिति में ग्रहण काल के समय अपने कमरे में बैठ कर के भगवान का भजन ध्यान मंत्र या जप करें.

8. ग्रहण काल के समय प्रभु भजन, पाठ , मंत्र, जप सभी धर्मों के व्यक्तियों को करना चाहिए, साथ ही ग्रहण के दौरान पूरी तन्मयता और संयम से मंत्र जाप करना विशेष फल पहुंचाता है. इस दौरान अर्जित किया गया पुण्य अक्षय होता है। कहा जाता है इस दौरान किया गया जाप और दान, सालभर में किए गए दान और जाप के बराबर होता है.

9. ग्रहण के दिन सभी धर्मों के व्यतियों को शुद्ध आचरण करना चाहिए

10. किसी को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं देना चाहिए, सब के साथ करना चाहिए.

11. सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें, और मीठा बोलें.

12. ग्रहण के समय जाप, मंत्रोच्चारण, पूजा-पाठ और दान तो फलदायी होता ही है.

13. ग्रहण मोक्ष के बाद घर में सभी वस्तुओं पर गंगा जल छिड़कना चाहिए, उसके बाद स्नान आदि कर के भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए और हवन करना चाहिए और भोजन दान करना चाहिए. धर्म सिंधु के अनुसार ग्रहण मोक्ष के उपरांत हवन करना, स्नान, स्वर्ण दान, तुला दान, गौ दान भी श्रेयस्कर है.

14. ग्रहण के समय वस्त्र, गेहूं, जौं, चना आदि का श्रद्धानुसार दान करें , जो कि श्रेष्ठकर होता है. ग्रहण के समय इस पाठ और मंत्र का करें जाप पाठ: दुर्गा सप्तशती कवच पाठ मंत्र: ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ( ग्रहण काल में ॐ का उच्चारण नहीं करना चाहिए ) ग्रहण के अशुभ प्रभाव कम करने और सर्वत्र रक्षा के लिए ग्रहणकाल के दौरान एक जगह बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान आदि करके गरीबों को भरपेट भोजन करवाएं। ग्रहण काल के दौरान अपने साथ चांदी का चंद्र यंत्र रखें और ग्रहण के बाद इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें

ग्रहण में क्या करें क्या नहीं ?

सूतक तथा ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना पीना, संसर्ग आदि से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाएं अधिक श्रम न करें । सामान्य रहें।ग्रहण काल में चंद्रमा को सीधे न देखा जाए। खुले में खाद्य सामग्री न रखें। संक्रमण व विकीरणों से बचने के लिए तुलसी का प्रयोग करें। ग्रहण लगने से पहले और दो दिन बाद तक के संक्रमण काल में कोई शुभकार्य, विवाह , निर्माण, नए व्यवसाय का आरंभ , सगाई, लंबी अवधि का निवेष, मकान का सौदा या एडवांस, आंदोलन, धरना- प्रदर्शन आदि नहीं करना चाहिए क्योंकि उनके सफल होने में संदेह रहता है।

 
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