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एस्ट्रोलॉजी

सावन में करें मंगला गौरी पूजन एवं व्रत भी

July 25, 2018 06:40 PM

मदन गुप्ता सपाटू, 98156 19620

  सावन का महीना जहां श‍िव भक्‍त‍ि और पूजन से जुड़ा है वहीं इस महीने में देवी पार्वती की भी व‍िध‍िवत पूजा की जाती है। सावन माह के हर मंगलवार को देवी पार्वती का पूजन मंगला गौरी व्रत के तौर पर किया जाता है। मान्‍यता है कि अगर ये व्रत अव‍िवाहित कन्‍याएं पूरे योग के साथ करती हैं तो शादी के उनके योग तेज होते हैं। साथ ही भावी पति की उम्र बढ़ने के साथ तरक्‍की भी होती है। वहीं शादीशुदा औरतें इस व्रत को पति की लंबी उम्र व सेहत के लिए रखती हैं।

इस व्रत को रखने के ल‍िए सावन के हर मंगलवार को सुबह जल्‍दी उठकर नए कपड़े पहन कर मां मंगला गौरी यानी देवी पार्वती के च‍ित्र या मूर्ती की व‍िध‍िवत पूजा करनी चाहिए। चौकी पर सफेद या लाल साफ कपड़े पर इसे रखकर पूजन व‍िध‍ि पूरी करें। याद रखें क‍ि मंगला गौरी पूजा में 16 की संख्‍या का बहुत महत्‍व है। इसलिए पूजा में जहां दीपक 16 बत्‍त‍ियों वाला जलाना चाहिए तो वहीं मां को 16 चीजों का भोग लगाना चाहिए। साथ ही सुहाग की निशानी के लिए 16 चूड़‍ियां भी चढ़ानी चाह‍िए। पूजन की ये सामग्री बाद में किसी सुहागिन को दान की जा सकती है।

मंगला गौरी व्रत खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में प्रचल‍ित है। हालांकि देश के अन्‍य हिस्‍सों में भी इसे मनाया जाता है लेकिन वो तारीख इन राज्‍यों से अलग रहती है। 2018 के सावन के महीने में मंगला गौरी व्रत की शुरुआत इस माह 28 जुलाई से करें। इसके बाद 31 जुलाई, 7 अगस्‍त, 14 अगस्‍त और 21 अगस्‍त को लगातार मंगला गौरी व्रत रखें। सावन 2018 महीने का समापन 26 अगस्‍त को हो रहा है।

लिहजा इस महीने का अंतिम मंगला गौरी व्रत इस तारीख को रखा जाएगा। इस दिन व्रत रख कर श्रावण माहात्म्य , शिवमहापुराण तथा शिवस्तोत्रों का पाठ करना चाहिए। पाठ के बाद शिवलिंग पर दूध, गंगा जल, बिल्व पत्र, फलादि सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। ओम् नमः शिवाय की माला करें। जिन कन्याओं का विवाह लंबित है या विवाहोपरांत समस्याएं हैं, उन्हे यह व्रत रखना लाभदायक रहता है। अन्य महिलाएं संतान व पति सुख के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन गौरी जी की पूजा करनी चाहिए। गणेश जी की पूजा अर्चना के बाद ,गौरी जी की मूर्ति पर चंदन, सिंदूर, हल्दी ,चावल , मेंहदी, काजल , पुष्प चढ़ाएं।

इसके अलावा, 16 की संख्या में माला, आटे के लडडू, फल, पान , सुपारी, लौंग , इलायची, सुहाग सामग्री अर्पित करें । इसके बाद गौरी माता की कथा सुनें। कन्या मंत्र पढ़े:ओम् ह्ीं मन वांछित वरम देहि वरम देहि हिरीम ओम गौरा पार्वती नमः! ओम देहि सौभाग्यम, आरोगयम् देहि मम परम सुखम, रुपम देहि जयम देहि यशो देहि दिशो जहि!! एक बार यह व्रत प्रारंभ करने के पश्चात इस व्रत को लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है तत्पश्चात इस व्रत का विधि-विधान से उद्यापन कर देना चाहिए।

 
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