मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़- 9815619620
30 मई की सायंकाल ही क्यों चुना गया शपथ ग्रहण का समय, इसके पीछे कई ज्योतिशीय कारण हैं।यों तो मोदी जी का हर कार्य 8 या 5 अंक वाले संयोग पर ही होता है परंतु इस बार विवशताओं के कारण 26 मई को यह कार्य नहीं हो सका।
23 मई जिसका अंक 5 बनता है, को प्रचंड बहुमत के बाद वे दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार हैं जिसमें वे 30 मई, गुरुवार की सायं गोधूलि मुहूर्त ,जो 7 बजकर 20 मिनट तक रहेगा और 8 अंक वाली बृश्चिक लग्न 6 बजे से 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगी, में प्रधानमंत्री पद की औपचारिक शपथ लेंगे।
यह शपथ बृश्चिक लग्न जो मोदी जी की अपनी लग्न भी है, और वर्तमान में इस में गुरु विराजमान हैं, एक आयुष्मान योग और अपरा एकादशी वाले दिन शुभ समय में ली जा रही है। गुरुवार को 3 बजे दोपहर तक राहु काल है, 6 बजे तक अशुभ चौघड़िया है। शुभ चौघड़िया 7 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
गोचर में बृश्चिक लग्न में वक्री गुरु, और पंचम में चंद्र पर दृष्टि विशेष शुभ योग दर्शा रहे हैं। परंतु दूसरे भाव में शनि केतु और उसके ठीक सामने अष्टम भाव में राहु मंगल तथा गंडमूल रेवती नक्षत्र बहुत चैलेंजिंग स्थितियां दिखा रही हैं। चूंकि इस समय भारत और मोदी जी की कुंडली में चंद्रमा की दशा चल रही है जो नेता और देश के मध्य अद्भुत समन्वय बनाकर अनुकूल योग बनाती हैं और सफलता पूर्वक नई नई योजनाओं का चलन दर्शाती हैं ।
फिर भी दूसरी पारी में मोदी 303 का आंकड़ा और अन्य सहयोगी दलों की अधिक संख्या होने के बावजूद वह करिश्मा नहीं दिखा सकेंगे जो 2014 से 2019 के मध्य दिखाया था। जनता की अपेक्षाएं बढें़गी जिन्हें पूरा कर पाना कठिन होगा। शपथ ग्रहण का मुहूर्त उतना अच्छा नहीं है अतः परिणाम भी उतने अच्छे नहीं होंगेे। इस कार्यकाल में उन्हें विरोधी दलों के अलावा अपनी पार्टी के लोगों से ही काफी तरह के विरोधों का सामना करना पड़़ेगा जिसकी बानगी इस कार्यक्रम के दौरान भी परिलक्षित हो सकती है। यह मोदी जी की अंतिम पारी होगी।
जबकि दूसरी ओर ,इस समय कांग्रेस और कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष दोनों की राहु की दशा चल रही है जिसके कारण पार्टी में अभी अव्यवस्था का वातावरण रहेगा।