मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़, 9815619620
चंद्र ग्रहण से पहले चंद्र यान -2 की उड़ान टेक्नीकल कारणों से स्थगित करनी पड़ी, इसके पीछे ज्योतिषीय कारण बहुत स्पष्ट हैं। इसे 15 तारीख की प्रातः 2 बजकर 51 मिनट पर श्री हरिकोटा से लांच किया जाना था।
इस यात्रा के मुहूर्त की यदि कुंडली का विवेचन करें तो पता चलता है कि एक बड़े महत्वपूर्ण प्रोजेैक्ट का आरंभ गंडमूल नक्षत्र ज्येष्ठा में किया जा रहा था । दूसरे लग्नेश शुक्र, राहु और सूर्य के साथ अर्थात ग्रहण योग में फंसा है। इसके अलावा कार्येश शनि अष्टम भाव में अपने शत्रु ग्रह केतु के साथ विराजमान है। यही नहीं चंद्रमा ग्रह ,जिस पर चंद्रयान भेेजना है, स्वयं बृश्चिक राशि में नीच है। इससे अधिक और चंद्र ग्रहण अगले दिन ही , 16 की रात को लग रहा है।ऐसा ग्रहण 149 साल पहले 12 जुलाई ,1870 को भी धनु राशि में लग चुका है। यों तो हर चंद्र ग्रहण पूर्णिमा पर ही लगेगा परंतु 1870 में ,उस दिन भी गुरु पूर्णिमा थी और 3 विपरीत ग्रह चंद्रमा, शनि और केतु ,धनु राशि में ही थे ।यह दुर्योग , ग्रहण केे 41 दिन पहले और 41 दिन केे अंदर, प्राकृतिक आपदा विशेषतः भूकंप, भू स्खलन, वर्षा से तबाही, धार्मिक फसाद आदि की आशंका देते हैं क्योंकि अभी 2/3 जुलाई को सूर्य ग्रहण भी लग के हटा है। कल दक्षिणी केलिफोर्निया में भूकंप आया, हिमाचल में भूस्खलन से जानमाल की हानि हुई। हमें अभी हिमालयन क्षेत्र में भूकंप से सावधानी बरतनी होगी और आपदा प्रबंधन को मुस्तैद रखना होगा।
कुल मिलाकर इतने बड़े अभिययान के लिए यह शुभ समय नहीं था अतः कार्य में विध्न पड़ गया। हमारे यहां छोेटी यात्राओं मेें भी मुहूर्त, दिशाशूल आदि की गणना की जाती है। हालांकि एक टी वी कार्यक्रम के अनुसार , ऐसे अभियानों से जुड़े वैज्ञानिक कोई न कोई टोटकेे अवश्य करते हैं। अमेरिकी मूंगफली खाते हैं, भारतीय चंद्र यान के मॉडल की मंदिर में पूजा करवाते हैं, परंतु मुहूर्त का भी विशेष महत्व है।
आशा है , हमारे वैज्ञानिक चंद्र यान -2 की यात्रा शुभ मुहूर्त में करेंगे और भारत के अनमोल ग्रंथों पर आधारित वैदिक ज्योतिष का अनुसरण कर सफल अभियान करेंगे। जिस देश में प्रधान मंत्री मुहूर्त देख कर ठीक शाम के 7 बजे शपथ लेता है, वहां इतनें बड़े अभियान में मुहूर्त से कार्य करने की प्रथा अब नहीं होगी तब कब होगी ?
16/ 17 की रात्रि लगने वाला चंद्र ग्रहण भी कोेई असाधारण नहीं है। इसके परिणाम भी 41 दिन के अंदर दिखने लग जाएंगेे। ऐसा ग्रहण 149 साल पहले 12 जुलाई ,1870 को भी धनु राशि में लग चुका है। यों तो हर चंद्र ग्रहण पूर्णिमा पर ही लगेगा परंतु 1870 में ,उस दिन भी गुरु पूर्णिमा थी और 3 विपरीत ग्रह चंद्रमा, शनि और केतु ,धनु राशि में ही थे ।
यह दुर्योग , ग्रहण केे 41 दिन पहले और 41 दिन केे अंदर, प्राकृतिक आपदा विशेषतः भूकंप, भू स्खलन, वर्षा से तबाही, धार्मिक फसाद आदि की आशंका देते हैं क्योंकि अभी 2/3 जुलाई को सूर्य ग्रहण भी लग के हटा है। कल दक्षिणी केलिफोर्निया में भूकंप आया, हिमाचल में भूस्खलन से जानमाल की हानि हुई। हमें अभी हिमालयन क्षेत्र में भूकंप से सावधानी बरतनी होगी और आपदा प्रबंधन को मुस्तैद रखना होगा।