मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़। मो- 98156-19620
13 दिसंबर से मलमास यानी खरमास शुरू होने जा रहा है जो 14 जनवरी 2020 को समाप्त होगा. मलमास के दौरान शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, नए कारोबार का शुभारंभ, मुंडन जैसे धार्मिक संस्कार वर्जित माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह के लिए बृहस्पति की स्थिति का मजबूत होना बेहद जरूरी माना जाता है, लेकिन जब सूर्य मीन या धनु राशि में चला जाता है तो इसकी स्थिति कमजोर हो जाती है. ऐसे में शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.
मलमास को मलिन मास भी कहा जाता है और मलिन मास होने के कारण ही इसे मलमास या अधिक मास कहा जाता है. हिंदू धर्म में मलमास के दौरान सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और कोई भी धार्मिक संस्कार को करना अशुभ माना जाता है.
मलमास से जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, हर राशि, नक्षत्र, करण और बारह मासों का कोई न कोई स्वामी है, लेकिन मलमास का कोई स्वामी नहीं है. इस महीने का कोई स्वामी नहीं है, इसलिए इसे अधिक मास या मलमास कहा जाता है. यही वजह है कि इस महीने मांगलिक कार्य, देव कार्य और पितृ कार्य वर्जित माने जाते हैं.
इस महीने भले ही मांगलिक कार्यों को करना वर्जित होता है, लेकिन इस महीने में जप, तप, तीर्थ यात्रा करने का विशेष महत्व बताया जाता है. मलमास में भागवत कथा सुनने और दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
मलमास 14 जनवरी तक रहेगा। 22 जनवरी तक विवाह के मुहूर्त नहीं होने के कारण 23 जनवरी से वैवाहिक आयोजनों का सिलसिला पुनः शुरू होगा।
2020 में मार्च तक विवाह के निम्न शुभ मुहूर्तो में आप सुविधानुसार चयन कर सकते हैं।
जनवरी में 23, 25, 26, 27, 28, 29।
फरवरी में 6, 7, 8, 12, 17, 18, 19, 20, 22, 23, 24, 25।
मार्च में 5, 6, 7, 11, 12 को विवाह के दिन है।
15 मार्च से वैवाहिक आयोजन पर फिर ज्योतिषीय प्रतिबंध लग जाएगा।
-मदन गुप्ता सपाटू, 196 सैक्टर 20ए चंडीगढ़