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एस्ट्रोलॉजी

26 दिसंबर , वीरवार , पौष अमावस पर वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण लाएगा अप्रत्याशित ठंड

December 23, 2019 10:42 AM

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़, Mobile-098156 19620; 

  सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन लगता है। सूर्य ग्रहण का अपना एक अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बताया जाता है, लेकिन वैज्ञानिक नजरिए से यह एक अनोखी खगोलीय घटना है. जब सूर्य का चक्कर लगाते हुए चंद्रमा और पृथ्वी एक साथ सूर्य की सीध में आ जाते हैं तो सूर्य को ग्रहण लगता है. सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है, जिससे सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती हैं और पृथ्वी से सूर्य दिखना बंद हो जाता है. इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

2019 का पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी को लगा था, जबकि दूसरा सूर्य ग्रहण 2 जुलाई 2019 लगा था, तीसरा सूर्यग्रहण 26 दिसंबर 2019 पौष कृष्ण अमावस्या गुरुवार को लगने वाला है, यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा जो कि संपूर्ण भारत में दिखाई देगा।

पौष माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। 26 दिसंबर को पौष अमावस्या है।

26 दिसंबर , गुरुवार की प्रातः 8 बजे इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण लगेगा जो दोपहर लगभग डेढ़ बजे पूर्ण रुप से समाप्त होगा।ज्योतिष के अनुसार यह धनु राशि व मूल नक्षत्र के अधीन लगेगा। अतः इस राशि व नक्षत्र के लोगों को लिए बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। मूल रुप से ऐसे योगों के प्रभाव 41 दिनों तक माने जाते हैं।

ग्रहण सूतक आरंभ - 25 दिसंबर , बुधवार ,रात्रि 8 बजे से

ग्रहण आरंभ - 8.00- 26 दिसंबर, गुरुवार

कंकण आरंभ -9.06

परमग्राास- 10.48

कंकण समाप्त- 12.29

ग्रहण समाप्त- 13.36

ग्रहण की कुल अवधि-5 घंटे-36 मिनट

कंकण की कुल अवधि- 3 घंटे -34 मिनट


सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले, 25 दिसंबर को शाम 08 बजकर 01 मिनट से लगेगा और ग्रहण खत्म होने पर समाप्त होगा। सूतक काल को किसी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 8.00 मिनट से शुरू होगा। सुबह 9.06 से चंद्रमा सूर्य के किनारे को ढकना शुरू कर देगा। इसके बाद 12-19 तक यह सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाएगा। कुल मिलाकर 3.34 मिनट का यह सूर्य ग्रहण होगा।

 

इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण एक आग की अंगूठी की तरह नजर आने वाला है, वैज्ञानिक इसे 'रिंग ऑफ फायर' का नाम दे रहे हैं।

भारत में अधिकतम स्थानों पर खंडग्रास सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा। दक्षिण भारत के कुछ स्थानों पर कंकणाकृति सूर्य ग्रहण दिखाई देगी। यह एशिया के कुछ देश, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया में भी ये ग्रहण दिखाई देगा।

इस बार सूर्य ग्रहण के पूर्व चंद्र ग्रहण नहीं हुआ है एवं आगे भी चंद्र ग्रहण नहीं होने से प्रकृति को बड़े नुकसान की संभावना नहीं है। ग्रहण का प्रभाव मूल नक्षत्र और धनु राशि वालों पर ज्यादा रहेगा। 

लोक भविष्य-

26 तारीख की प्रातः ग्रहण के समय 8 बजे, धनु राशि होगी और धनु लग्न में 5 ग्रह- चंद्र,सूर्य, गुरु,शनि, व केतु एक ही भाव में होंगेे। यह पंच ग्रहीय योग जिसमें परस्पर विरोधी ग्रह बैठे हैं, राजनीतिक उथल पुथल तथा अशांति की ओर इशारा कर रहे हैं।मुस्लिम बाहुल्य देशों व भारत के मुस्लिम क्षेत्रों में इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। किसी मुस्लिम देश में सत्ता परिवर्तन हो सकता है। भारत के कई प्रदेशों में दंगे, फसाद, आगजनी, र्क्फयु , सत्ता के विरुद्ध प्रदर्शन आदि में वृद्धि हो सकती है। शनि व सूर्य एक साथ होने से 24 जनवरी,2020 तक अधिक हिमपात तथा वर्षा, धरती का खिसकना और भूकंप आने जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इस अवधि में अधिक ठंड पड़ेगी । सोने के भावों में वृद्धि संभावित है।

सूर्य ग्रहण का चंद्र राशियों पर क्या रहेगा प्रभाव?

मेष . परेशानियां बढ़ेंगी, साथ ही किसी अपने से धोखा भी मिल सकता है। संतान को कष्ट 

वृषभ . वाहन चलाते समय सावधानी बरतनी होगा, आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। याधारण लाभ रहेगा।

मिथुन . व्यापार में नुकसान होगा, पति.पत्नी को कष्ट भी उठाना पड़ सकता है।

कर्क . यह सूर्य ग्रहण शुभ रहेगा। इस राशि के जातक अपने शत्रुओं को परास्त करने में सफल होंगे और साथ ही उन्हें करियर में उन्नति भी मिलेगी।

सिंह . अपनी संतान से कष्ट हो सकता है, साथ ही कार्यस्थल पर तनाव का माहौल हो सकता है। अधिक व्यय।

कन्या . महिला पक्ष से नुकसान उठाना पड़ सकता है, कर्जों में बढ़ोतरी होगी। कार्य बनेंगे।

तुला . मान.प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होगी। सिरदर्द से परेशानी हो सकती है। धन आगमन रहेगा।

वृश्चिक . निवेश करने से बचें। नए काम की शुरुआत कर सकते हैं।

धनु . सेहत खराब हो सकती है। दुर्घटना की आशंका।

मकर . खर्चों में बढ़ोतरी होगी। अपव्यय।

कुंभ . पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ सकता है, मानसिक तनाव में भी बढ़ोतरी हो सकती है। धन लाभ

मीन . नौकरीपेशा जातक को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। मान हानि हो सकती है।

क्या करें?

सूतक काल के पहले तैयार भोजन को खाने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते डालकर शुद्ध करें.

ग्रहण काल में खान-पान, शोर, शुभ कार्य, पूजा-पाठ आदि करना निषेध होता है। गुरु मंत्र का जाप, किसी मंत्र की सिद्धी, रामायण, सूंदर कांड का पाठ, तंत्र सिद्धि ग्रहण काल में कर सकते हैं। ग्रहण के बाद पवित्र नदियों में स्नान, शुद्धिकरण आदि करके दान देना चाहिए। इस समय में गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर नही निकलना चाहिए। ग्रहण काल में सूर्य से पराबैंगनी किरणे निकलती हैं, जो गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक होती हैं। त्वचा, आंख और एलर्जी के रोगियों को भी ग्रहण के समय घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। अगर घर से बाहर निकलना जरूरी हो तो मोटे कपड़े पहनकर बाहर निकल सकते हैं। इससे ग्रहण की किरणों के बुरे असर से बच सकते हैं।ग्रहण समाप्ति के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.सूर्य ग्रहण लगने और खत्म होने के दौरान सूर्य मन्त्र ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ’ के अलावा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का धीमे-धीमे मगर शुद्ध जाप करें.संयम के साथ जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है. ग्रहण काल के दौरान कमाया गया पुण्य अक्षय होता है.

क्या न करें?

ग्रहण काल में किसी भी नए कार्य का शुभारंभ न करें.

सूतक के दौरान भोजन बनाना और भोजन करना वर्जित माना जाता है.

देवी-देवताओं की प्रतिमा और तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए.

सूर्य ग्रहण के दौरान फूल, पत्ते, लकड़ी आदि नहीं तोड़ने चाहिए.

इस दिन न बाल धोने चाहिए ना ही वस्त्र.

ग्रहण के समय सोना, शौच, खाना, पीना, किसी भी तरह के वस्तु की खरीदारी से बचना चाहिए.

सूर्यग्रहण में बाल अथवा दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए, ना ही बालों अथवा हाथों में मेहंदी लगवानी चाहिए.

उधार लेन-देन से बचना चाहिए. उधार लेने से दरिद्रता आती है और उधार देने से लक्ष्मी नाराज होती हैं.

 

 
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