‘राखी’ यह त्योहार एक शुभ धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है । अगर इसको आध्यात्मिक दृष्टिकोण से पालन करेंगे तो सभी मनुष्य जातियों को प्रेम और बंधुत्व की भावना में बांधकर सूक्ष्म विकार और बाहर के धोखे से बचाव किया जाता है। स्थुल रूप में रक्षा-बंधन यह ब्राह्मण से अपने यजमान को और बहन से अपने भाई को पवित्र धागा बांधकर एक साधारण रूप से मनाया जाता है, लेकिन इस त्योहार का आध्यात्मिक रहस्य अलग ही है। इसको सही रीति से जानने से मनुष्य के संबंध में जो बाधाएं है वह और समस्याएं दूर हो सकता है।राखी बांधने का रिवाज हिंदुओं में केवल नही बल्कि अकबर और हुमायूं ऐसे मुगल सम्राट ने भी हिंदु नारी के साथ बहन का संबंध कायम रखने का दृढ़ संकल्प किया । मुगल बादशाह ने रक्षाबंधन के बंधन में बंधे हुए नागरिकों का दुश्मन से बचाव किया। समय और परिस्थितियों के प्रमाण रक्षाबंधन यह त्योहार वर्तमान समय केवल साधारण रूप में बहन भाई को राखी बांधकर, तिलक लगाकर मुख मीठा करने का रिवाज बना है, लेकिन रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य अलग ही है। रक्षाबंधन से सभी को यही संदेश है कि अपना जीवन श्रेष्ठ शक्तिशाली, शांतमय सुखमय और सुरक्षित बनाने के लिए मन्सा, वाचा, और कर्मणा से पवित्र बनो।
जिस समय बाहर के शत्रु ने भारत पर आक्रमण किया और संपत्ति लूटना शुरू किया तो उस समय हिंदु नागरिकों ने शत्रु से बचकर रहने के लिए पवित्रता का प्रतीक राखी का त्योहार अपने भाई के साथ मनाया कि आपातकालीन समय में भाई-बहन की रक्षा करेगा। लेकिन राखी बांधने का रिवाज हिंदुओं में केवल नही बल्कि अकबर और हुमायूं ऐसे मुगल सम्राट ने भी हिंदु नारी के साथ बहन का संबंध कायम रखने का दृढ़ संकल्प किया । मुगल बादशाह ने रक्षाबंधन के बंधन में बंधे हुए नागरिकों का दुश्मन से बचाव किया। समय और परिस्थितियों के प्रमाण रक्षाबंधन यह त्योहार वर्तमान समय केवल साधारण रूप में बहन भाई को राखी बांधकर, तिलक लगाकर मुख मीठा करने का रिवाज बना है, लेकिन रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य अलग ही है। रक्षाबंधन से सभी को यही संदेश है कि अपना जीवन श्रेष्ठ शक्तिशाली, शांतमय सुखमय और सुरक्षित बनाने के लिए मन्सा, वाचा, और कर्मणा से पवित्र बनो।
पवित्रता की धारणा करते हैं तो ही जीवन में, परिवार में, समाज में, विश्व में सच्ची सुख शांति मिलती है क्योंकि पवित्रता ही सुख शांति की जननी है। भाई को राखी बांधने से जीवन में शुद्ध, श्रेष्ठ विचार नियम पर चलना इसकी प्रेरणा मिलती है। भाई को भी सभी नारियों के प्रति बहन का नाता, स्नेह, प्रेम, निर्माण होगा वास्तव में रक्षाबंधन हम सबके रक्षा का प्रतीक है। हम सबका अंतिम समय तक का रक्षक सर्वशक्तिवान परमपिता, निराकार ज्योतिबिंदु शिव परमात्मा है, जिसको याद करने से स्वयं के कर्म पवित्र, श्रेष्ठ सहज बनेगी। रक्षाबंधन के समय चंदन और सिंदुर का टीका लगाया जाता है। यह टीका आत्मिक स्वरूप और गुण शक्ति की याद देता है। हम सब अजर अमर अविनाशी आत्मा है । सभी आत्माएं भाई-भाई हैं। पवित्रता शांति प्रेम आनंद यह हमारा धर्म है। सभी से आत्मिक दृष्टि से भाई-भाई के संबंध से देखो यही प्रेरणादायक है।
मुख मीठा करना माना अपनी भाषा मधुर, श्रेष्ठ, दिव्य बनाना। रक्षाबंधन के दिन भाई बहन को उपहार (खर्ची) देता है। इसका आध्यात्मिक अर्थ है अपने में जो, विकारी स्वभाव संस्कार है, ऐसे 5 विकारों का दान (खर्ची) परमात्मा को देना । इन 5 विकारों का दान जब देंगे तब ही दु:ख, अशांति अपवित्रता इस ग्रहण से छूट जायेंगे । इसलिए कहावत भी है दे दान तो छूटे ग्रहण। इन 5 विकारों के विष को खत्म करने की शक्ति केवल परमात्मा के पास ही है।- अब वर्तमान समय ऐसे विकारी तमो प्रधान दुनिया में स्वयं परमात्मा सर्व आत्माओं की इन 5 विकार रूपी दुश्मन से रक्षा करने आए हैं। इसके लिए परमात्मा पवित्र बनने का आदेश और संदेश सबको दे रहे हैं। यह त्योहार केवल एक दिन का नहीं बल्कि जब तक जीना है तब तक यह पवित्रता की धारणा पक्की रखनी है।
अब स्वयं परमात्मा सभी को यह पवित्रता की सुचक राखी बाँध रहे हैं। क्योंकि सृष्टि परिवर्तन के समय सभी के सामने महाभयंकर समस्याएं, प्राकृतिक आपदाएं, विकारों का प्रकोप, विज्ञान की विध्वंसक शक्ति आदि आदि द्वारा समस्याएं आएंगी। उस समय स्वयं की तथा दूसरों की रक्षा करने के लिए पवित्रता का बल होना आवश्यक है। इसलिए इस वर्ष हम सबको मिलकर सुक्ष्म पवित्रता की राखी परमात्मा, पवित्रता की प्रतिज्ञा रूपी धागे को बांधना है। अपने में सुक्ष्म और स्थुल जो भी विकार है वह खर्ची के रूप में परमात्मा को दान देना है। तो ही आसुरी वृत्ति से अपनी रक्षा होगी तथा विश्व में, समाज में शांति जायेगी। यही पवित्रता की याद दिलाती है राखी।
-प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय,604,टॉवर 12, रॉयल एस्टेट, जीरकपुर