वास्तु सलाह
मदन गुप्ता सपाटू
कोरोना काल ने एक नया वर्क कल्चर दिया है- वर्क फ्रॅाम होम। घर बैठे ही ऑफिस का काम निपटाएं। आरंभ में तो काफी लोगों को यह सुनकर बहुत सुखद लगा और इस कालख्ंाड को बाल बच्चों के साथ एन्जॅवाय किया। यह बात अघ्यापकों और इस तरह के नौकरी पेशा लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुई। कपड़ों का खर्चा बचा, वाहन चालन में बचत हुई, दिनचर्या आसान हो गई।कंपनियों को यह लाभ हुआ कि कार्यालयों के रख रखाव का खर्चा आधे से भी कम हो गया। उन्हें लगा कि कम पैसे खर्च के भी पहले से अधिक काम लिया जा सकता है।
कार्यालय और घर से काम करने में काफी अंतर है। वहां पूरा सैट अप होता है, घर में बनाना पड़ता है। नो या पुअर कनेक्टिविटी जैसी इंटरनेट की समस्याएं आम रहती हैं क्योंकि बड़ी कंपनियों ,अखबारों तथा कई प्रतिष्ठानों के अधिकांश काम घरों से ही करवाए जा रहे हैं।अक्सर घर से काम करने में अनुशासन नहीं रहता और उससे कार्यक्षमता प्रभावित होती है। कुछ लोग बिस्तर पर ही औंधे पड़े पड़े लैपटॉप पर काम करते हैं। मीटिंग के दौरान उपरी हिस्से में शर्ट टाई तो दिखती है, नीचे केवल अंडरवियर ही होता है। घर छोटा होने से कभी कुकर की सीटी, कॉल बेल, हॉकर्स की आवाजें, बच्चों की अपनी क्लासें, आदि काम में व्यवधान उत्पन्न करती हैं जिससे एकाग्रता नहीं बन पाती और आप नियोक्ता को उसकी अपेक्षानुसार काम नहीं दे पाते।
अक्सर घर से काम करने में अनुशासन नहीं रहता और उससे कार्यक्षमता प्रभावित होती है। कुछ लोग बिस्तर पर ही औंधे पड़े पड़े लैपटॉप पर काम करते हैं। मीटिंग के दौरान उपरी हिस्से में शर्ट टाई तो दिखती है, नीचे केवल अंडरवियर ही होता है। घर छोटा होने से कभी कुकर की सीटी, कॉल बेल, हॉकर्स की आवाजें, बच्चों की अपनी क्लासें, आदि काम में व्यवधान उत्पन्न करती हैं जिससे एकाग्रता नहीं बन पाती और आप नियोक्ता को उसकी अपेक्षानुसार काम नहीं दे पाते।
कोरोना काल बढ़ने , तीसरी लहर आने की आशंका से वर्क फ्रॅाम होम के फायदों के साथ साथ लोग मानसिक अवसाद के शिकार भी हो रहे हैं। सबसे अधिक प्रभावित छोटे बच्चे हुए हैं जिन्हें पता ही नहीं स्कूल होता क्या है, सहपाठी कैसे होते हैं। एकल परिवारों में एक लंबे समय से एक ही चेहरे देख देख कर और बाहर का एक्सपोजर कम होने से पारिवारिक समस्याएं और बढ़ गई हैं।
ऐसी स्थिति में वास्तु बहुत सहायक रहता है जिसे आप अपना कर अवसाद दूर करने के साथ साथ अपनी कार्यक्षमता भी बढ़ा सकते हैं। अपने घर के एक भाग को आफिस जैसा बना लें जैसा तकरीबन प्रोफेशनल करते हैं। आपको घर में एक समन्वय बना कर चलना पड़ेगा। कुछ टिप्स अपनाएं ।
सुबह कुछ देर मेडिटेशन या योग करने से काम की क्षमता बढ़ती है.बिस्तर पर काम करने के बजाय अपने काम करने का एक स्थान नियत करें और टेबल-चेयर की व्यवस्था जरूर करें. अपने आस-पास का माहौल शांत रखें और ऑफिस की तरह तैयार होकर काम करें. इससे आपका ज्यादा मन लगेगा. - अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके काम करना सबसे अच्छा होता है. अपनी सीट के पीछे उगता हुआ सूरज लगाने से अच्छी उन्नति के विचार आते हैं और नई योजनाएं बनाने में मदद मिलती है. अगर प्राकृतिक रोशनी आ रही हो, तब तो अच्छी बात है वर्ना उगते सूरज का चित्र ही लगा लें.
- अपने काम करने की जगह के आसपास के माहौल को पॉजिटिव रखने के लिए वहां की पुरानी, बेकार चीजों को हटा दें. ऐसी चीजें न रखें जो उपयोग में न आती हों. - कम्यूटर-लेपटॉप को उत्तर दिशा की ओर रखना अच्छा होता है. - काम करने की जगह पर रोजाना साफ-सफाई करें. वहां फूलों वाले पौधे या अन्य इनडोर प्लांट रख सकते हैं. रोजाना धूप, अगरबत्ती का उपयोग करना बहुत फायदा दे सकता है. - अपने सामान को व्यवस्थित रखें. कभी भी टेबल पर या आसपास पेपर, फाइलें बिखेरकर न रखें. इससे उलझन, तनाव और अनिर्णय की स्थिति पैदा होती है.
- काम करने की जगह पर पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए. वरना इससे निगेटिविटी आने के साथ-साथ आंखों पर भी बुरा असर पड़ता है. - हो सके तो पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें, इससे काम में तरक्की मिलती है. अपने आस पास हिंसक पशु या निराशा पैदा करने वाली तस्वीरें न लगाएं, जैसे डूबता हुए सूरज की
- मदन गुप्ता सपाटू, मो- 9815619620, 458 सैक्टर 10, पंचकूला