मदन गुप्ता सपाटू,ज्योतिर्विद्,चंडीगढ़. मो -9815619620
अक्सर धर्मगुरुओं,ज्योतिषाचार्यों,पंचागकर्ताओं पर त्योहारों , पर्वों, उत्सवों की तिथियां बताने और हर उत्सव को दो दिन मनाने या उसके समय निर्धारण को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न करने के आरोप लगाए जा रहे हैं और ज्योतिषियों को एकमत होने की सलाह दी जा रही है ताकि जनसाधारण भ्रमित न हो और हिंदू धर्म का उपहास न हो।
कई बार रक्षाबंधन, जन्माष्टमी या कई उत्सवों की दो तारीखें या भिन्न भिन्न समय निर्धारित कर दिए जाते हैं। ऐसा क्यों होता है और समाधान क्या है?
भारतीय ज्योतिष आदिकाल से ,गणना के मामले में, पूरे विश्व में अग्रणीय रहा है। जब बाकी देशों को यह तक मालूम नहीं था कि पृथ्वी गोल है या चपटी, सूर्य घूमता है या धरती, आकाश में कितने नक्षत्र हैं,भारतीय गणित, उपसे कहीं आगे था। धरती से सूर्य की दूरी पश्चिमी देशों को मालूम नहीं थी, उत्तरायण दक्षिणायन का बोध नहीं था, महाभारत काल में, हमारे ज्योतिषाचार्याें ने यह बता दिया था कि किस दिन कुरुक्षेत्र में पूर्ण साूर्य ग्रहण लगेगा और दिन में घना अंधेरा छा जाएगा। इसी गणना के आधार पर भगवान कृष्ण ने अंधेरे का लाभ उठाकर, जयद्रथ का वध करवा दिया था।भारतीय ज्योतिष चंद्रमा की गति पर आधारित है और उसी के आधार पर कई युगों से पर्वों की तिथियां निकाली जाती हैं। होली पूर्णमासी पर ही मनाई जाएगी और दीवाली अमावस पर ही ,जैसे स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस,26 जनवरी को ही मनाए जाएंगे। घर घर तिरंगा 13 अगस्त से 15 अगस्त तक ही लहराया गया। ऐसे ही वैदिक ज्योतिष में गणनाओं के आधार हमारे प्रचीन ग्रंथ हैं जिनके नियमानुसार किसी भी त्योहार की तिथी, व समय निर्धारित किया जाता है।
भारतीय ज्योतिष चंद्रमा की गति पर आधारित है और उसी के आधार पर कई युगों से पर्वों की तिथियां निकाली जाती हैं। होली पूर्णमासी पर ही मनाई जाएगी और दीवाली अमावस पर ही ,जैसे स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त और गणतंत्र दिवस,26 जनवरी को ही मनाए जाएंगे। घर घर तिरंगा 13 अगस्त से 15 अगस्त तक ही लहराया गया। ऐसे ही वैदिक ज्योतिष में गणनाओं के आधार हमारे प्रचीन ग्रंथ हैं जिनके नियमानुसार किसी भी त्योहार की तिथी, व समय निर्धारित किया जाता है।
ज्योतिषीय समय की गणना ,देश के कुछ भागों के अक्षांश व रेखांश पर भी निर्भर करती है जहां सूर्याेदय और चंद्रोदय के समय में भौगोलिक दृष्टि से अंतर रहेगा ही। पूर्वाेत्तर भारत में सूर्य सबसे पहले दिखेगा,पश्चिमी भारत में रात देर से होगी। इसी के आधार पर हर राज्य विशेष कर ,दक्षिणी भारत के पंचांगों में कुछ अंतर अवश्य आ जाता है जो मतभेद का कारण बन जाता है। मुस्लिम धर्म में भी चांद का सर्वाधिक महत्व है। ईद का समय चांद दिखने पर ही तय किया जाता है परंतु हमारे पंचांग तो इतना तक बता सकते हैं कि 100 साल बाद चांद ,दिल्ली में किस दिन, कब दिखेगा, केरल में कब दिखेगा!
हमारे ग्रंथों- श्रीमद्भागवत,श्री विष्णुपुराण,वायुपुराण,अग्नि पुराण,भविष्यपुराण,सकंदपुराण,धर्मसिन्धु,निर्णयसिंन्धु आदि में पर्वों के निर्धारण के लिए बहुत से नियम दिए हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर ही किसी त्योहार की बारीकी से तिथि तथा समय निर्धारित किए जाते हैं। जैसा कि हमारे प्रधान मंत्री ने अमृत महोत्सव पर अपनी विरासत पर गर्व करने का आवाहन किया है, हम सभी भारतीयों को अपने वैदिक ज्योतिष, प्राचीन ग्रंथों का सम्मान करना चाहिए,उन पर गर्व करना चाहिए क्योंकि भारत आदिकाल से विश्व का मार्गदर्शन , अपने उपनिषदों, रामायण एवं गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों से करता आ रहा है और आज भी कर रहा है। हमारा यह संपूर्ण साहित्य वैज्ञानिक है, कपोल कल्पित नहीं।
आज इन तथ्यों का वैज्ञानिक आधार, गणित ठीक से समझाया नहीं जा रहा जिससे भ्रम ,असमंजस, संशय और उपहास की स्थिति अक्सर बन जाती है। हिन्दू धर्म से अधिक लचीला कोई धर्म नहीं है। इसमें ग्रंथों के अनुसार नियम बताए जाते हैं और कोई भी व्यक्ति देश, काल ,पात्र ,सुविधानुसार, पर्व की भावना एवं आस्थानुसार त्योहार मनाने के लिए स्वतंत्र है।यदि किसी त्योहार के दो दिन हैं तो आप अपने हिसाब से मना लें।
हमारे यहां हर बात बहुत बारीकी से समझाई जाती है कि कौन सा उत्सव गृहस्थ मना सकते हैं कौन सा सन्यासी वर्ग मनाए। किस नवरात्र का क्या महत्व है? किस श्राद्ध पर किस दिवंगत को याद किया जाए? अक्षय तृतीया या धनतेरस पर गृहपयोगी वस्तुएं क्यों खरीदी जाएं? ग्रहण कब कब लगेंगे,कहां कहां दिखाई देंगे,ये तथ्य कंप्यूटर आने से कई सदियों पहले से बताए जा रहे हैं। मौसम , प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी ज्योतिषशास्त्र प्राचीनकाल से देता आ रहा है।
सोशल मीडिया के कारण हर व्यक्ति स्वयं को ज्योतिषी, ग्रथों का विद्वान,धर्मगुरु साबित करने पर तुला हुआ है और कापी पेस्ट करके भ्रमित कर रहा है। अपना आरीजनल कुछ नहीं होता। दूसरों के वास्तविक लेख चोरी करके अपने नाम से प्रचारित और प्रसारित करने में आजकल सब माहिर हैं। यदि मूल लेख में किसी ने तथ्यों की गलती करदी है तो वह गलत सूचना विश्व के कोने कोने में एक पल में पहुंच जाती है और गलती का सपष्टीकरण नहीं होता। इससे भी भ्रम फैल रहा है।
संशय की हालत तब पैदा होती है जब सरकार अपने हिसाब से कोई छुटट्ी घोषित कर देती है और वह दिन उपवास रखने या मनाने का नहीं होता। इस विषय में सरकारों को अच्छे ज्योतिषियों के पैनल को अपनी किसी समिति में अवश्य सम्मिलित करना चाहिए ताकि धर्म का उपहास न हो और जनसाधारण को परेशानी न हो।
(कार्यालयः196 सैक्टर 20ए, चंडीगढ़निवासः 458,सैक्टर -10,पंचकूला)