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नवगठित 15वीं हरियाणा विधानसभा के प्रथम सत्र को राज्यपाल के अभिभाषण के बिना अनिश्चित काल के लिए स्थगित करना संसदीय परंपराओं के अनुकूल नहीं

November 03, 2024 03:02 PM

भारत के संविधान के अनुच्छेद 176 के अंतर्गत आम चुनाव के बाद प्रथम सत्र के आरम्भ में राज्यपाल का अभिभाषण अनिवार्य - एडवोकेट हेमंत कुमार  

 फेस2न्यूज/चंडीगढ़ 

हाल ही में 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए आम चुनाव सम्पन्न होने के बाद हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा शुक्रवार 25 अक्टूबर को नव-गठित प्रदेश विधानसभा का प्रथम सत्र बुलाया गया था जिसमें राज्यपाल द्वारा विशेष रूप से नियुक्त कार्यवाहक (प्रो-टेम) स्पीकर डॉ. रघुबीर सिंह कादयान द्वारा नव-निर्वाचित विधानसभा सदस्यों‌ को विधायक पद की दिलाई गई शपथ दिलाई गई एवं/अथवा प्रतिज्ञान कराया गया जिसके बाद जिसके बाद सदन द्वारा सर्वसम्मति से करनाल जिले के घरौंडा वि.स. हलके से लगातार तीसरी बार भाजपा से विधायक बने हरविंद्र कल्याण को विधानसभा अध्यक्ष अर्थात स्पीकर एवं जींद वि.स. सीट से निरंतर तीसरी बार भाजपा से टिकट पर निर्वाचित हुए डॉ. कृष्ण लाल मिड्डा को विधानसभा उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) चुन लिया गया.

उपरोक्त कार्यवाही सम्पन्न होने के उपरान्त स्पीकर हरविंद्र कल्याण द्वारा हरियाणा विधानसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया.

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और संसदीय मामलों के जानकार हेमंत कुमार (9416887788) ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण संवैधानिक पॉइंट उठाते हुए बताया कि वह इस बात से अत्यंत हैरान है कि नव-गठित मौजूदा 15वीं हरियाणा विधानसभा के प्रथम सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण क्यों नहीं हुआ जो कि न केवल वर्षो-दशकों से आज तक तक चली आ रही संसदीय परंपराओं के अनुसार अपरिहार्य है बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 176 के अनुसार भी अनिवार्य है.

इस अनुच्छेद 176 में स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि राज्यपाल द्वारा, विधानसभा के लिए प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात प्रथम सत्र के आरम्भ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में विधानसभा सदन ( अथवा विधानसभा परिषद होने की दशा में एक साथ समवेत दोनों सदनों) में अभिभाषण होगा और विधानसभा (या विधानमंडल) का सत्र बुलाने के कारण बताया जाएगा. गौरतलब है कि राज्यपाल का अभिभाषण वास्तव में प्रदेश सरकार द्वारा ही तैयार किया जाता है जिसे हालांकि विधानसभा सदन में राज्यपाल द्वारा पढ़ा जाता है जिसमें सरकार का एजेंडा शामिल होता है.

हेमंत ने बताया कि जब उन्होंने हरियाणा में पिछली निरंतर तीन विधानसभाओं के गठन के बाद बुलाये गये प्रथम सत्र दौरान सदन में संपन्न हुए विधायी कार्यों का अवलोकन लिया, तो उन्होंने पाया कि पांच वर्ष पूर्व जब 25 अक्टूबर 2019 को तत्कालीन 14वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के बाद सदन का प्रथम सत्र बुलाया गया था तो वह तीन दिनों अर्थात 4,5 और 6 नवम्बर 2019 का था जिसमें प्रथम दिन 4 नवम्बर को नव-निर्वाचित सदस्यों की शपथ अथवा प्रतिज्ञान के बाद स्पीकर का चुनाव और उसके अगले दिन 5 नवम्बर को राज्यपाल का अभिभाषण हुआ था.

इसी प्रकार 10 वर्ष पूर्व जब 21 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन 13वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के बाद सदन का प्रथम सत्र बुलाया गया था तो वह भी तीन दिनों अर्थात 3, 4 और 5 नवम्बर 2014 का था जिसमें प्रथम दिन 3 नवम्बर को नव-निर्वाचित सदस्यों की शपथ अथवा प्रतिज्ञान के बाद एवं तत्पश्चात स्पीकर के चुनाव के अगले दिन 4 नवम्बर को राज्यपाल का अभिभाषण हुआ था. वहीं 15 वर्ष पूर्व जब 24 अक्टूबर 2009 को तत्कालीन 12वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के बाद सदन का प्रथम सत्र बुलाया गया था तो वह हालांकि एक दिन अर्थात 28 अक्टूबर 2009 का ही था जिसमें सर्वप्रथम नव-निर्वाचित सदस्यों की शपथ अथवा प्रतिज्ञान के बाद एवं तत्पश्चात स्पीकर के चुनाव के बाद उसी दिन 28 अक्टूबर को राज्यपाल का अभिभाषण हुआ था जिसके बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा सदन में विश्वास मत (ट्रस्ट वोट) भी हासिल किया था एवं उसके बाद ही विधानसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित किया गया था.

अनुच्छेद 176 में स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि राज्यपाल द्वारा, विधानसभा के लिए प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात प्रथम सत्र के आरम्भ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में विधानसभा सदन ( अथवा विधानसभा परिषद होने की दशा में एक साथ समवेत दोनों सदनों) में अभिभाषण होगा और विधानसभा (या विधानमंडल) का सत्र बुलाने के कारण बताया जाएगा. गौरतलब है कि राज्यपाल का अभिभाषण वास्तव में प्रदेश सरकार द्वारा ही तैयार किया जाता है जिसे हालांकि विधानसभा सदन में राज्यपाल द्वारा पढ़ा जाता है जिसमें सरकार का एजेंडा शामिल होता है.

हेमंत ने यह भी बताया कि इसी वर्ष 6 जून 2024 को मौजूदा 18वीं लोकसभा के गठन के बाद भारत के राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों को एवं नव-गठित 18वीं लोकसभा का प्रथम सत्र बुलाया गया था जिसमें प्रथम तीन दिन 24,25 और 26 जून को सभी 543 नव-निर्वाचित लोकसभा सदस्यों की शपथ अथवा प्रतिज्ञान के बाद लोकसभा स्पीकर का चुनाव हुआ एवं उसके बाद 27 जून को संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिभाषण हुआ था.

बहरहाल, जहाँ तक नव-गठित मौजूदा 15वीं हरियाणा विधानसभा के प्रथम सत्र को नव -निर्वाचित सदस्यों की शपथ अथवा प्रतिज्ञान एवं तत्पश्चात स्पीकर एवं डिप्टी स्पीकर के निर्वाचन के बाद अनिश्चित काल के लिए स्थगित किये जाने का विषय है, हेमंत ने बताया कि यह भी आश्चर्यजनक है कि ऐसा करने से पूर्व न तो प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा द्वारा और न ही नव-निर्वाचित स्पीकर हरविंद्र कल्याण द्वारा सदन को सूचित किया गया कि नव-गठित प्रदेश विधानसभा के प्रथम सत्र में किस कारणों से राज्यपाल का अभिभाषण नहीं कराया जा रहा है और वह आगामी दिनों में किसी दिन या तारीख को कराया जाएगा.

हेमंत ने यह भी बताया कि हालांकि चूँकि राज्यपाल द्वारा आज तक हरियाणा विधानसभा का सत्रावसान नहीं किया गया है, इसलिए स्पीकर हरविंद्र कल्याण आगामी दिनों में किसी भी तारिख को सदन के नेता (मुख्यमंत्री) की अनुशंसा पर सभी मौजूदा विधायकों को नोटिस भेजकर सदन की अगली बैठक बुला सकते हैं जिसमें राज्यपाल का अभिभाषण कराया जा सकता है.

 
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