राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर प्रेस का बदलता स्वरूप विषय पर विचार गोष्ठी समारोह का आयोजन
फेस2न्यूज /पंचकूला :
हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के महाराजा दाहिर सेन सभागार में राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर आयोजित प्रेस का बदलता स्वरूप विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, कार्यकारी उपाध्यक्ष अकादमी, डाॅ. चंद्र त्रिखा, निदेशक, उर्दू प्रकोष्ठ, स. हरपाल सिंह चीका, निदेशक, पंजाबी प्रकोष्ठ, मुख्य वक्ता अजय भारद्वाज, वरिष्ठ पत्रकार, चंडीगढ़ व विशिष्ट अतिथि नलिन आचार्य, अध्यक्ष, चंडीगढ़ प्रेस क्लब, चंडीगढ़ ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर की गई।
अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष, प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि पहले न्यूज सेक्शन वाले न्यूज तैयार करते थे, फिर विज्ञापन लगने के लिए विज्ञापन वालों की बारी आती थी, परन्तु अब इस बदलते युग में सब उलट हो गया है। अब पहले विज्ञापन लगाया जाता है, उसके बाद न्यूज वालों को बताया जाता है कि छोटी या बड़ी जितनी भी न्यूज यहाँ लगे वह लगा दी जाए और अब तो अखबारों में विज्ञापन को स्पोर्ट करने वाली खबरें ही लगाई जाती है।
अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष, प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि पहले न्यूज सेक्शन वाले न्यूज तैयार करते थे, फिर विज्ञापन लगने के लिए विज्ञापन वालों की बारी आती थी, परन्तु अब इस बदलते युग में सब उलट हो गया है। अब पहले विज्ञापन लगाया जाता है, उसके बाद न्यूज वालों को बताया जाता है कि छोटी या बड़ी जितनी भी न्यूज यहाँ लगे वह लगा दी जाए और अब तो अखबारों में विज्ञापन को स्पोर्ट करने वाली खबरें ही लगाई जाती है।
डाॅ. चंद्र त्रिखा ने इस अवसर पर पत्रकारिता की क्षेत्र में अपने अनुभवों को सांझा करते हुए पत्रकारिता की बदलते स्वरुप व पड़ावों पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता अजय भारद्वाज, वरिष्ठ पत्रकार, चंडीगढ़ ने अपने संबोधन में कहा कि उन्हें अपने पत्रकारिता के इस लम्बे सफर में बहुत अच्छे विचारक व पत्रकार जैसे कि धर्मवीर भारती, मृणाल पांडे, राजेन्द्र माथुर, अज्ञेय, प्रभाष जोशी, कुलदीप नैय्यर आदि मिले। उन्होंने बताया कि भारत में प्रकाशित होने वाला पहला अखबार द बंगाल गज़ेट था और यह एक अंग्रेजी भाषा का साप्ताहिक पत्र था और भारत का पहला हिन्दी अखबार उदन्त मार्तण्ड था जिसकी शुरुआत मई, 1826 को कलकता से हुई थी। भारत में स्वतन्त्रता का बीज बोना तथा उसको आगे ले जाने का काम भी पत्रकारिता ने किया है। उनके विचार से फिर पत्रकारिता का स्वरूप बदलता गया जो पहले मिशनरी की तरह से चल रही थी, अब पत्रकारिता में व्यापार हावी हो गया है।
विचार गोष्ठी में पधारे नलिन आचार्य ने कहा कि प्रेस वालों की रक्षा करने के लिए 1966 में प्रेस परिषद बनाई। उनका कहना है कि अब समय बदल चुका है इस युग में जिस भी व्यक्ति के पास मोबाइल है, वो भी पत्रकार है। कोई भी व्यक्ति कहीं भी कुछ घटित होते देख कर मोबाइल से फोटो खींच कर सोशल मीडिया में वायरल कर देता है। ऐसे में वायरल हुई वीडियो ही कई बार ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाती है।
अकादमी द्वारा आयोजित इस विचार गोष्ठी में पंचकूला एवं चण्डीगढ़ के लेखकों द्वारा भागीदारी की गई। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विजेन्द्र कुमार ने किया।