ENGLISH HINDI Wednesday, January 22, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
नच उठेया, नच उठेया, जिंदड़ी दा तुम्बा नच उठेया...हिमाचल के वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफर को यूएसए की यूनिवर्सिटी से मानद उपाधिसेवा भारती ने हरित कुम्भ अभियान के तहत हजारों थैले, थालियां और गिलास विधिवत पूजन करके प्रयागराज भेजे राष्ट्रीय पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी श्रीमती गीता अग्रवाल सर्वसम्मति से बनीं महासचिववनवासी कल्याण आश्रम पंजाब ने मनाया लोहड़ी उत्सव स्वर्गीय श्रीमती कृष्णा देवी मेमोरियल सीनियर महिला क्रिकेट टूर्नामेंट का चौथा संस्करण 23 जनवरी से डेराबस्सी में भारतीय जीवन बीमा निगम, सेक्टर-2, पंचकुला कार्यालय के नए एजेंट प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन करेंगे जे.पी.एस. बजाजपिंजौर की कामधेनु गौशाला में बायो गैस प्लांट के ट्रायल में हवन पूजन
कविताएँ

बच्चा हो गया हूं

May 29, 2017 10:48 PM

मैं बच्चा सा हो गया हूं

जबसे
बच्चे बड़े हो गए हैं
अपने फैंसले खुद से
करने लग गए हैं
अब करने लग गया हूं खुद से बातें
जबसे यौवन के दिन बीत गए है
उड़ रहा हूं सूखे पत्तों की मानिंद
मुसाफिर बनकर
इस सफ़र से तंग हो गया हूं
हवा के रुख में उलझकर
बेसफ़र, बेखबर सा हो गया हूं
बिन वजह जाग उठता हूं रातों को
बे—मोल हो गए जज्बातों को
अखरता है अब ये रूखापन
तन्हा सी है जिंदगी
बस! जरा थकने लग गया हूं
यूं तो की होगी हमने हजारों बातें
बातों में छिपी वो मधुर मुलाकातें
दर्द ऐसा चुभा सीने में
अब मैं लिखने भी लग गया हूं
बचपन में थे सच्चे शहंशाह
मां-बाप का साथ जब से छूटा
तब से गरीब सा जिया गया हूं
झूठी शहंशाही रास नहीं आती
फकीरी के आलम में खो गया हूं
नंगे पैर गरीब के कहीं
घायल न हो जाएं
यही सोच कर कांच के टुकड़े
उठाता जा रहा हूं
— रोशन

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें