ENGLISH HINDI Wednesday, January 22, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
नच उठेया, नच उठेया, जिंदड़ी दा तुम्बा नच उठेया...हिमाचल के वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफर को यूएसए की यूनिवर्सिटी से मानद उपाधिसेवा भारती ने हरित कुम्भ अभियान के तहत हजारों थैले, थालियां और गिलास विधिवत पूजन करके प्रयागराज भेजे राष्ट्रीय पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी श्रीमती गीता अग्रवाल सर्वसम्मति से बनीं महासचिववनवासी कल्याण आश्रम पंजाब ने मनाया लोहड़ी उत्सव स्वर्गीय श्रीमती कृष्णा देवी मेमोरियल सीनियर महिला क्रिकेट टूर्नामेंट का चौथा संस्करण 23 जनवरी से डेराबस्सी में भारतीय जीवन बीमा निगम, सेक्टर-2, पंचकुला कार्यालय के नए एजेंट प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन करेंगे जे.पी.एस. बजाजपिंजौर की कामधेनु गौशाला में बायो गैस प्लांट के ट्रायल में हवन पूजन
कविताएँ

कितनी बुरी होती है.......

May 08, 2022 10:46 AM

कितनी बुरी होती है
वो नज़र
जो माँ के लाडले को
अपनों के प्रेम से निहारने से अचानक
लग जाती है
और
नमक या राई वारने से,
सात लाल मिर्च जलाने से
उतर भी जाती है।

कितनी हैरान होती है
विध माता भी
जब माँ
छठी रात को
अपने लाडले का
श्रेष्ठ भाग्य लिखने की
ज़िद करती है

कितनी स्वार्थी है माँ
जब दुःखों को
खुद पर लेकर
सुख की दुआएं देती है
सारी अलाएँ-बलाएँ
दो मुठियों में जकड़ कर
दूर झड़क देती है।

माँ फूंक मार कर
कर देती है ठीक
हर चोट का दर्द,
हथेलियां रगड़ कर
लाल दुखती आँख को
कर देती है तुरंत ठीक।

माँ कितनी बड़ी झूठी है
दर्द छुपा कर
खुद से अलग करके
भेज देती है कमाने परदेस बच्चों को
जबकि उसकी भूख
केवल बच्चे को सुकून से
भरपेट खिलाने में है
थपकी देकर सुलाने में है
डाँट कर सुबह उठाने में है।

माँ कितनी बड़ी ड्रामेबाज है
गुस्से का नाटक करती है,
हँसने के मौकों पर भी
पल्लू भिगोती है।

माँ बेमकसद रोती है
बेवजह झगड़ती है
बेइंतहा चिल्लाती है
कितनी बक बक करती है।

अंत में
जब बच्चों को अपनी बचपन की फ़ोटो
उसकी आखिरी सांस के बाद
उसके तकिये के नीचे मिलता है
तो उन्हें समझ आता है
माँ का होना क्या होता है
माँ का न होना क्या होता है!!!

- मीनाक्षी आहूजा

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें