ENGLISH HINDI Wednesday, February 05, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
शिव महापुराण कथा पर निकाली जाने वाली ऐतिहासिक कलश यात्रा के लिए अब तक आठ हजार भक्तों ने टोकन लिया : नरेश गर्गपाले का हुआ अंत, दुल्हा बनकर आया बसंत...पुलिस ने घग्गर में छापा मारकर अवैध खनन करने वालों को पकड़ा, 5 ट्रैक्टर ट्रॉलियां बरामद , एक चालक गिरफ्तारयूटीसीए पहली बार फ्रेंचाइजी-आधारित चंद्रशेखर आज़ाद टी20 टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए तैयारस्वर्गीय श्री पन्ना लाल मेमोरियल बॉयज अंडर -19 लीग क्रिकेट टूर्नामेंट का 5 वां संस्करण 10 फरवरी से प्यार में धोखा खाए युवक ने अपनी जीवन लीला खत्म कीसामूहिक विवाह समारोह में 93 जोड़े परिणय सूत्र में बंधेबसंत पंचमी मुशायरा 2 फरवरी को
कविताएँ

तेरी औकात — मशीनी दौर

September 25, 2019 12:32 PM


तेरी बुराइयों को हर अखबार कहता है
और तू मेरे गाँव को गँवार कहता है।

ऐ शहर मुझे तेरी औकात पता है,
चुल्लूभर पानी को तू वाटर पार्क कहता है।

थक गया है हर शख्स काम करते—करते,
तू इसे अमीरी का बाजार कहता है?

गाँव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास,
तेरी सारी फुर्सत तेरा इतवार कहता है।

मौन होकर फोन से रिश्ते निभाए जा रहा है,
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है?

जिनकी सेवा में बिता देते सारा जीवन,
तू उन माँ-बाप को खुद पर बोझ कहता है।

वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे,
तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदारियां कहता है।

बड़े—बड़े मसले हल करती यहां पंचायतें,
तू अँधी भष्ट दलीलों को दरबार कहता है।

बैठ जाते हैं अपने पराये साथ बैलगाड़ी में,
पूरा परिवार ना बैठ पाये उसे तू कार कहता है।

अब बच्चे भी बडों का आदर भूल बैठे हैं,
तू इस नये दौर को संस्कार कहता है?

जिंदा है आज भी गाँव में देश की संस्कृति,
भूल के अपनी सभ्यता खुद को तू शहर कहता है ।।

— आर के मिश्रा

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें