— संजय मिश्रा
पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी बोलते थे और अब शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए सोमवार को सोलापुर जिले के पंढरपुर में बहुप्रतीक्षित रैली को संबोधित करते हुए कहा कि देश में कई घोटाले चल रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि चौकीदार चोर बन गए हैं। उन्होंने रक्षा (राफेल डील) और कृषि क्षेत्र में घोटाले के जिक्र के साथ-साथ प्रत्येक भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये लाने जैसी एवं प्रत्येक वर्ष एक लाख सरकारी नौकरियों के वादे को एक जुमला करार दिया।
दो परिदृश्य जो सामने है:
पहला:
मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही दिल्ली के लुटियंस जोन में नियम-विरुद्ध रह रहे नेताओं-रसूखदारों से बंगले खाली कराए। देखने मे तो ये एक अच्छी पहल थी लेकिन इंडिया टुडे को केन्द्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय से एक आरटीआई के जवाब में जो जानकारी मिली है वो बेहद चौंकाने वाली है। लुटियंस जोन में इस समय 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बंगला मिला हुआ है। खास बात ये है कि ये सभी मुख्यमंत्री या तो सत्तारूढ़ पार्टी से हैं, या बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के घटक दल से।
लुटियंस जोन में अतिरिक्त बंगला पाने वालों में बिहार, असम, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं। इन मुख्यमंत्रियों ने अलग-अलग कारण बताकर अपने लिए लुटियंस जोन में सस्ती दरों पर बंगला आवंटित करा लिया है। एक मुख्यमंत्री ने कारण बताया कि उनकी धर्मपत्नी दिल्ली मे ही रहना चाहती है, बच्चे भी दिल्ली मे ही पढ़ाई करना चाहते है एवं सुरक्षा के लिहाज से भी दिल्ली सही जगह है।
खास बात है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में किसी ऐसे मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली के इस खास जोन में बंगला एलॉट कराने के लिए एप्लीकेशन नहीं दी, जिसकी पार्टी एनडीए में नहीं है। यानी न तो किसी कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने यहां बंगला बना और न ही यूपीए के किसी अन्य घटक दल के सीएम ने।
दूसरा परिदृश्य:
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने अदानी, टाटा और एस्सर ग्रूप के लगभग 35 हज़ार करोड़ रुपए के ऋण माफ़ करने के लिए देश की सर्वोच्च अदालत में शपथ पत्र दाख़िल कर अनुमति दिए जाने की अर्ज़ी लगाई है। यह शानदार ख़बर आप सभी आर्थिक समाचार पत्रों में पढ़ सकते हैं। बैंक ने अपने हलफनामे मे कहा है कि एक मीटिंग में देश के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उपरोक्त कर्ज माफ़ी की इजाजत दे दी है। अब सोचिए पहले आधारभूत विद्युत उत्पादन का कार्य इन निजी कम्पनियों को देना, फिर इस काम के लिए देश की सबसे बड़ी बैंक से धन मुहैया करवा देना और अब उस लिए गए धन की अदायगी को माफ़ करवाने का जुगाड़ फिट करना, उपरोक्त आरोप की सच्चाई को बताने के लिए काफी है। नौवें और दसवें वेतन समझौते की कुल सम्मिलित लागत 12 हज़ार करोड़ रुपए और इन दोनों के बराबर वेतन बढ़ोत्तरी करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास भुगतान क्षमता नहीं है, लेकिन इससे तीन गुणी ज्यादा राशि को माफ़ करने की क्षमता अकेले स्टेट बैंक के पास है, हो भी क्यों नहीं, कौन सा वो अपने पल्ले से देंगे, ये तो ब्यापार है उद्योगपतियों को लोन माफी देकर आप जैसे जनता जनार्दन की जेब से तरह—तरह के बैंक चार्जेस लगाकर वसूली कर ही लेंगे।
इसके पहले भी देश की सबसे बड़ी और जहाज बनाने की अनुभवी सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड को नजरंदाज करके, एक गैर अनुभवी कंपनी रिलायंस को राफेल डील का सौदा देना, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या कितनों ने देश के सजग चौकीदार के होते हुए घोटाले किए और निकल लिए। यूपीए 2 के घोटाले के बारे मे 2014 मे जितना हल्ला हंगामा हुआ उसके तो अब दूर—दूर तक कोई दर्शन भी नहीं होते।
ऐसी बात नहीं है कि देश का चौकीदार अक्षम है, उन्होंने अपनी क्षमता विश्वपटल पर अपनी अमित छाप देकर दुनिया को कायल कर दिया है। डोकलाम विवाद मे मित्रदेश भूटान को अपना अभयदान देकर चीन से भी टकराने का माद्दा भी इसी चौकीदार ने दिखाया। लेकिन जनता तो जनता है वो सब जानती है और अपने पत्ते 5 साल बाद ही खोलती है।