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खास खबरः पूर्व प्रधानमंत्री श्री गुलज़ारीलाल नंदा के जीवन पर बनेगी फिल्म

January 14, 2025 05:42 PM

विशेष रिपोर्टः अखिलेश बंसल/ बरनाला

20वीं शताब्दी के सदाचार नायक और भारतरत्न से विभूषित पूर्व प्रधानमंत्री श्री गुलज़ारीलाल नंदा जी को देश की गांधीवादी श्रमिक राजनीती के जनक के रूप में जाना जाता है। जिन्हें हमेशा स्मरण रखने के लिए चेतना बिगुल में चर्चित गुलज़ारीलाल नंदा फाऊंडेशन (जीएनएफ) और न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एनएआई) दोनों संस्थाओं ने संयुक्त रूप से भारत के इस सपूत के जीवन पर आधारित फिल्मी धारावाहिक बनाने का निर्णय लिया है, उस फिल्म में नंदा जी के कार्य स्थलीय में खास अहमदाबाद, मध्य प्रदेश, इंदौर, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सहित कुछ अन्य प्रदेश का विशेष उल्लेख होगा।

उसके लिए नोयडा फिल्म सिटी संस्थापक, एशियन फिल्म एंड टेलीविजन एकेडमी के चेयरमैन डा. संदीप मारवाह व डा. विपिन गौड से संपर्क हो चुका है। वे एसोसिएट होने के नाते पूर्ण सहयोगी हैं।

यह जानकारी भारतरत्न नंदा जी के परमशिष्य एवं गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार श्री कृष्णराज अरुण ने दी है। उन्होंने कहा कि तैयार होने वाली फिल्म से भारतरत्न नंदा जी के ऐतिहासिक कार्यों की सुगंध भारतवर्ष में बिखर सकेगी, जो कि हर वर्ग के लिए प्रेरणाश्रोत होगी।

फिल्म में यह होंगे विषय

फाउंडेशन के चेयरमैन अरुण ने बताया कि फिल्म में भारतरत्न गुलज़ारीलाल नंदा जी के जीवन के संघर्षमयी पहलू 1922 से 1950 तक अहमदाबाद, बम्बई, इंदौर से संबंधित होंगे। जिसमें ब्रिटिश हुकूमत के दौरान श्रमिकों का दमन शोषण के विरुद्ध, श्रमिक आंदोलनों का इतिहास, भारत के आजाद होने के बाद तीन पंच वर्षीय योजनाओं (योजना आयोग के उपाध्यक्ष रूप) में उनका योजना प्रक्रिया निर्माता रूप में योगदान। तीन प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में 1963-1966 के मध्य केंद्रीय गृहमंत्री रूप में भ्रष्टाचार के विरुद्ध भागीदारी।

संयुक्त सदाचार मिशन चर्चित इतिहास कायम।

महाभारत रणभूमि कुरुक्षेत्र के विकास के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की नंदा जी द्वारा स्थापना विषय कहानी की संरचना प्रस्तुत होगी। इसके अतिरिक्त हरियाणा के कैथल-कुरुक्षेत्र से 2 बार लोकसभा में पहुंचना। बंसीलाल सरकार के अद्भ्य सहयोग से हरियाणा में नशाबंदी लागु कराने को लेकर उनके क्या साहसिक कदम रहे। नंदा जी केडीबी अध्यक्ष रूप में हरियाणा में पीपल वृक्ष की रक्षा के लिए बंसीलाल सरकार में एक बड़ा कदम उठाना। देश में उनकी राजनीतिक विदाई, दिल्ली के रामलीला मैदान में संतों के सम्मेलन एवं रामनवमी समारोह के नंदा जी का मुख्य अतिथि रूप में आना और इस मौके पर उनके द्वारा केंद्र सरकार से रामनवमी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करना, नंदा जी द्वारा श्रमिकों को उनके अधिकार दिलाना। उनके हकों के लिए कई संस्थाओं व नीतियों का निर्माण साफ नजर आएगा।

महाभारत रणभूमि कुरुक्षेत्र के विकास के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की नंदा जी द्वारा स्थापना विषय कहानी की संरचना प्रस्तुत होगी। इसके अतिरिक्त हरियाणा के कैथल-कुरुक्षेत्र से 2 बार लोकसभा में पहुंचना। बंसीलाल सरकार के अद्भ्य सहयोग से हरियाणा में नशाबंदी लागु कराने को लेकर उनके क्या साहसिक कदम रहे। नंदा जी केडीबी अध्यक्ष रूप में हरियाणा में पीपल वृक्ष की रक्षा के लिए बंसीलाल सरकार में एक बड़ा कदम उठाना। देश में उनकी राजनीतिक विदाई, दिल्ली के रामलीला मैदान में संतों के सम्मेलन एवं रामनवमी समारोह के नंदा जी का मुख्य अतिथि रूप में आना और इस मौके पर उनके द्वारा केंद्र सरकार से रामनवमी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करना, नंदा जी द्वारा श्रमिकों को उनके अधिकार दिलाना। 

मानव धर्म सम्मेलन, सनातन रक्षा महावीर दल सहित भारतीय संस्कृति की रक्षा संस्थान सहित संयुक्त सदाचार मिशन की नैतिक शिक्षा और समाज को जोड़ने वाले तीर्थों का विकास आंदोलन उनके प्रिय आंदोलन की विचारधारा और समर्पण की राष्ट्र भावना, गीता ही मानव निर्माण की संजीवनी जैसे विषय भी फिल्माकन में होंगे।

4 दशक तक के साक्षी हैं फाउंडेशन चेयरमैन अरुण

नंदा जी द्वारा संस्थापित भारत सेवक समाज के महान कार्यकाल 40 वर्ष से अंतिम समय तक वे साक्षी रहे। उन्होंने इस संस्था के आधार पर कई देशों की साइकिल यात्रा की। शासन समाज व्यवस्था पर शोध करने में ख्याति हासिल की। भारतरत्न नंदा जी के परम शिष्य श्री अरुण के अनुसार भारतरत्न नंदा जी श्रमिकों समेत हर वर्ग के लिए दूरअंदेशी थे। धर्म प्राण नेता के रूप में उन्होंने देश को अनेक शानदार नीतियां दीं। उन्होंने श्रमिकों को उनके अधिकार दिलाने के वास्ते अनेक श्रम आंदोलन किए। उनके नेतृत्व में स्थापित हुई कल्याणकारी 2 दर्जन संस्थाओं का जन्म हुआ। जिसमें आजादी के बाद तीसरे दशक में मानव धर्म सम्मेलन और भारतीय संस्कृति रक्षा संस्थान सहित पीपुल्स फोरम ऑफ इंडिया यानी भारतीय लोकमंच के सम्मेलनों में पंजाब से भी गहरा वास्ता रहा। उन्होंने बताया कि नंदा जी ने अपने बरनाला में रहते मित्र बाबू रोशन लाल कपिल जी को साथ लेकर जिला संगरूर में स्थित श्री राकेश्वर धाम सहित अनेक सनातनी स्थलों पर गए।

कई संस्थाओं का किया गठन

नंदा जी ने समाज प्ररेणा के लिए स्वेच्छिक संस्थाओं का गठन भारत सेवक समाज और उसके बाद भारत साधु समाज की नीव रखी। उन्होंने मानव धर्म मिशन -श्री सनातन महावीर दल, राष्ट्रीय लोक सेना, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, भारतीय संस्कृति रक्षा संस्थान, नव जीवन संघ, भारतीय जाग्रत समाज, श्री कृष्ण आयुर्वेदिक फार्मेसी, मानव धर्म सम्मेलन संस्था, दिल्ली कुरुक्षेत्र इंदौर मुंबई देश में 2 दर्जन संस्थाएं श्रमिक व औद्योगिक क्षेत्र में भी स्थापित की।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने आजादी की लड़ाई में श्रमिकों में जोश भरने वाले नंदा एक झलक में ही हीरा परख लिया था, अर्थात एक बेहतरीन अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और वकील की डिग्री ले चुके नंदा को गांधी जी ने बिना देर किए सहयोगियों की सलाह पर उन्हें गांधी जी द्वारा स्थापित प्रसिद्ध संस्था नेशनल टेक्सटाइल यूनियन ( मजदूर महाजन संघ ) का राष्ट्रीय सचिव का पदभार सौंपा। अलबत्ता नंदा जी ने इस पद से 1922 से 1946 तक अनेक कीर्तिमान स्थापित किए। जिसमें 1926 का इंदौर में मशहूर औद्योगिक आंदोलन नंदा नेतृत्व में यादगार साबित हुआ। इसी वर्ष नंदा जी अहमदाबाद में नगरपालिका के पार्षद चुने गए और उन्हें तत्काल स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन चुन लिए गए।

नंदा जी 1937 में बीजी खैर की प्रांतीय सरकार में एक्साइज विभाग के संसदीय सचिव बनाए गए इसके बाद वे बंबई सरकार में श्रम रोजगार आवास मंत्री भी बने यहां उन्होंने गुमास्ता कानून और औद्योगिक कानून स्थापित किये। आजादी के बाद उन्होंने इंटक संस्था को जन्म दिया। देशभर में मजदूर वर्ग के लिए काम के घंटे 8, बोनस वेतन आयोग की सिफारिशों की नीतियां देने में सफल रहे।

आजादी के बाद वे 3 बार प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की सरकार में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। वे योजना मंत्री, सिंचाई ऊर्जा मंत्री, फूड मिनिस्टर तथा भारत के श्रम रोजगार मंत्री सहित 3 बार केंद्रीय गृहमंत्री सहित रेल मंत्री भी रहे।

भारतरत्न नंदा जी के परम शिष्य श्री अरुण के अनुसार नंदा जी ने भारत के गृहमंत्री के रूप में 1966 में पंजाब-हरियाणा-हिमाचल के अलग होते समय पंजाब हरियाणा के जटिल मुद्दे को राज्य सर्वेक्षण के बाद नंदा जी ने जो हल निकाला था वह पंजाब के नेताओं को सर्वमान्य हुआ था। इसलिए हरियाणा राज्य के स्वाधीन जन्म में नंदा जी का योगदान ना भुला सकने वाला योगदान माना जाता है।

गृह मंत्री पद से हटने के बाद नंदा जी ने हरियाणा में भगवान श्री कृष्ण द्वारा गीता उपदेश की पवित्र स्थली और महाभारत युद्द में उजाड़ तीर्थों के विकास के लिए 1 अगस्त 1968 को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना की। उनके नेतृत्व में 48 कोष की परिधि में आने वाले तीर्थों की विकास यात्रा का कायाकल्प कठिन तपोबल से केडीबी का मजबूत लक्ष्य सफल हुआ। नंदा जी लगातार 22 साल तक कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष रहे और यहीं से उन्होंने लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर कुरुक्षेत्र को जिला बनवाया और और केडीबी द्वारा गीता जयंती का विराट चेहरा दिया, ताकि दुनिया के लोग कुरुक्षेत्र में गीता उपदेश मर्म से परिचित हो सकें। गौरतलब हो कि कुरुक्षेत्र में बना विशाल ब्रह्मसरोवर पुरे एशिया में दुसरा नहीं है। यहीं सनहित सरोवर का विकास आज कुरुक्षेत्र की शान हैं।

भारतरत्न नंदा जी की समाधि सदाचार स्थल की देखरेख धन के अभाव मे थी

नंदा जी की समाधि सदाचार स्थल से पूर्व पीएम के कार्यकाल से जुड़े नैतिक कार्य दुनिया के सामने कैसे आएं इसपर 2006तक बहस का मुद्दा था क्योंकि केडीबी आर्थिक अभाव में खर्च उठाने में असमर्थ थी और गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन चंदे या अनुदान से परहेज रखने वाली संस्था थी इसलिए गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन की सहमति पर कुवि को देने का अनुबंध महामहिम डॉ. ए.आर. किदवई के कार्यकाल में कुरुक्षेत्र यूनिवस्टी को 30 साल के लिए लीज पर दिया गया था।

वर्ष 1947 में 'इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की स्थापना हुई और इसका श्रेय नंदाजी को मिला। मुम्बई सरकार में रहने के दौरान गुलज़ारी लाल नंदा की प्रतिभा को रेखांकित करने के बाद इन्हें कांग्रेस आलाक़मान ने दिल्ली बुला लिया। गुलज़ारी लाल नंदा केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में कैबिनेट मंत्री रहे और स्वतंत्र मंत्रालयों का कार्यभार सम्भाला। गुलजारी लाल नंदा भारत सेवक समाज संस्थापकों में ऐसे नेता थे जिन्होंने केंद्रीय मंत्री रूप में ऐसे नेता साबित हुए जिन्होंने मिलावट और भ्रष्टाचार के विरुद्ध काफी सक्रिय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने अपने मंत्रालयों में कई नीतियां दी जोकि इतिहास में प्ररेणा बन सके। 1963 -1966 में उनका गृहमंत्री के रूप संयुक्त सदाचार मिशन काफी प्ररेणा दायक रहा। उन्होंने लोकपाल के लिए रास्ता बनाने के लिए लोकायुक्त गठन के माध्यम से रास्ता देने की बेहतरीन दिशा प्रदान की। वे देश में वे 3 प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में गृहमंत्री का चर्चित इतिहास बने। जिन्होंने 2 साल में भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र देने की घोषणा लोकसभा में की थी या पद से हट जाने की घोषणा संकल्प के साथ की थी।

सरकार किसी की भी लेकिन सिर हमेशा ऊंचा

नंदा जी 1950-1951, 1952-1953 और 1960-1963 में भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर रहे। ऐसे में भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में इनका काफ़ी सहयोग पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्राप्त हुआ। नंदा जी केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में कैबिनेट मंत्री रहे और स्वतंत्र मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। भारतरत्न नंदा भारत सेवक समाज संस्थापकों में ऐसे नेता थे, जो केंद्रीय मंत्री रूप में ऐसे नेता साबित हुए जिन्होंने मिलावट और भ्रष्टाचार के विरुद्ध काफी सक्रिय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने मंत्रालयों में कई नीतियां दी जोकि इतिहास में प्ररेणा बन सके। 1963 -1966 में उनका गृहमंत्री के रूप संयुक्त सदाचार मिशन काफी प्ररेणा दायक रहा। उन्होंने लोकपाल के गठन लिए के लिए बेहतरीन दिशा प्रदान की।

सदाचार स्थल का उदघाटन

1999 में प्रधानमंत्री रहते अटल जी ने खुद सहयोगी मंत्री मंडल के गृह मंत्री आडवाणी जी व मुरलीमनोहर जोशी जी के साथ कुरुक्षेत्र आकर बंसीलाल सरकार के न्योते पर गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन की उपस्थिति में स्थापित किया था। यह समाधि सदाचार स्थल को ठीक वैसे ही रूप दिया था जैसे दिल्ली में गांधी जी का स्मृति स्थल राजघाट है। यह बंसीलाल सरकार की सोच थी कि कुरुक्षेत्र में आनेवाले दर्शनार्थी या कोई भी वी आय पी कुरुक्षेत्र के आधुनिक विकास निर्माता की समाधि उनकी अनुसार सदाचार स्थल में अवश्य आए।

महान लेखक थे नंदा जी

नंदाजी ने लेखक की भूमिका निभाते कई पुस्तकों की रचना की। जिनके नाम इस प्रकार हैं- सम आस्पेक्ट्स ऑफ़ खादी, अप्रोच टू द सेकंड फ़ाइव इयर प्लान, गुरु तेगबहादुर, संत एंड सेवियर, हिस्ट्री ऑफ़ एडजस्टमेंट इन द अहमदाबाद टेक्सटाल्स, फॉर ए मौरल रिवोल्युशन तथा सम बेसिक कंसीड्रेशन।

ऐसे अर्पित कर सकती हैं राज्य सरकारें श्रद्धांजलि

पूर्व प्रधानमंत्री रहे भारतरत्न श्री गुलज़ारीलाल नंदा जी का जन्म 4 जुलाई 1898 को सियालकोट में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। इनके पिता बुलाकी राम नंदा तथा माता श्रीमती ईश्वरदेवी नंदा था। नंदा की प्राथमिक शिक्षा सियालकोट में ही सम्पन्न हुई। इसके बाद उन्होंने लाहौर के 'फ़ोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज' तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। उन्होंने कला संकाय में स्नातकोत्तर एवं क़ानून की स्नातक उपाधि प्राप्त की। इनका विवाह 1916 में 18 वर्ष की उम्र में ही लक्ष्मी देवी के साथ हुआ। उन्होंने आखिरी स्वास 15 जनवरी 1998 को ली थी। आज उनकी पुण्यतिथि है। इस मौके पर आज कुछ खास घोषणा सरकार करे तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे।

श्री अरुण अनुसार हरियाणा में खटटर सरकार और उसके बाद नायब सिंह सैनी सरकार की भूमिका राष्ट्र पुरुषों का आदर करने में पीछे नहीं है इसलिए भी सैनी सरकार को भारतरत्न नंदा जी के महान योगदान पर राज्य में उनके योगदान पर कुछ अच्छा कदम उनके सम्मान में उठाना चाहिए इसलिए गुलज़ारीलाल नंदा फाउंडेशन की निरंतर मांग पर नंदा जी स्मृति में कोई खास पुरुस्कार घोषित करना चाहिए यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

 
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