भाजपा नेत्री लक्ष्मीकांता चावला ने पूछा कि आखिर अपने देश में रोटी की क्या इतनी कमी है कि वे केवल डालरों के लिए जो कुछ अपने पास है वह भी मिट्टी में मिलाकर बाहर जा रहे हैं। कभी नहीं देखा होगा कि बेटा विदेश से वापस आए तो मां—बाप रो रहे हों, लेकिन यहां देखा गया है कि जब अमेरिका से वापस भेजे गए लड़के पंजाब के घरों में जाते दिखाई दिए तो हर घर में दुख का वातावरण था। कहीं पर तो माता—पिता रो रहे थे कि वे जिंदगी भर कर्ज नहीं उतार सकते।
फेस2न्यूज /अमृतसर
अमेरिका ने अवैध रूप से रहने वाले भारतीयों को वापस भेजा है। दुख की बात है कि उन्हें बेड़ियों में जकड़कर भेजा, पर अपने देश की सरकारों से, शासन प्रशासन से यह सवाल है कि उन एजेंटों पर नियंत्रण क्यों नहीं हो पा रहा, जो लोगों को धोखे से दूसरे देशों में भेजने के नाम पर लाखों रुपये ऐंठ लेते हैं। अपनी जमीन जायदाद बेचकर विदेश जाने के लिए नौजवान तैयार हो जाते हैं, पर इसमें जनता का भी दोष है।
भाजपा नेत्री लक्ष्मीकांता चावला ने पूछा कि आखिर अपने देश में रोटी की क्या इतनी कमी है कि वे केवल डालरों के लिए जो कुछ अपने पास है वह भी मिट्टी में मिलाकर बाहर जा रहे हैं। कभी नहीं देखा होगा कि बेटा विदेश से वापस आए तो मां—बाप रो रहे हों, लेकिन यहां देखा गया है कि जब अमेरिका से वापस भेजे गए लड़के पंजाब के घरों में जाते दिखाई दिए तो हर घर में दुख का वातावरण था। कहीं पर तो माता—पिता रो रहे थे कि वे जिंदगी भर कर्ज नहीं उतार सकते।
लक्ष्मीकांता चावला ने कहा, इसका एक ही समाधान है कि भारत सरकार उन एजेंटों को पकड़े, जिन्होंने इन्हें अवैध रूप से भेजा और जितना धन इनसे लिया है वे वापस इनको दिलवाए, जिससे ये फिर अपनी जिंदगी शुरू कर सकें।
हैरानगी यह है कि जिनके पास एजेंटों को देने के लिए तीस चालीस लाख रुपये हैं वे तो यहां भी आराम से काम करके रोटी कमा सकते हैं, वे क्यों विदेश की ओर भागते हैं। ड्यूटी सरकार की भी है और हमारे शिक्षा जगत की भी कि सरकार एजेंटों को कम करे और स्कूलों कालेजों में बच्चों को यह समझाया जाए कि विदेश भागने की जगह अपने देश में रहना ही उचित है।