ENGLISH HINDI Tuesday, April 01, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
ओम साईं क्रिकेट अकादमी, मोहाली और लक्ष्य क्रिकेट अकादमी, कालका ने पहले न्यूट्रिशन वैली कप क्रिकेट टूर्नामेंट में अपने लीग मैच जीतेतथास्तु चैरिटेबल पब्लिक स्कूल में सालाना वार्षिक परिणाम घोषित गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के नौकरी मेले में 50 बच्चों का चयन एमसीए बेस्ट क्रिकेट टीम, चंडीगढ़ ने अपना लीग मैच जीतानियमों को ताक पर रख कर दिया था बिहार हेल्थ सोसाइटी ने वर्क ऑर्डर, पटना हाई कोर्ट ने एग्रीमेंट किया रद्दनपुंसकता एवं बाँझपन का सबसे बड़ा कारण बनी आधुनिक जीवनशैली : डा. ऋषिकेश पाईवॉर ऑन ड्रग्स: नशे के खिलाफ अभियान में समाज का अहम योगदान: डीआईजीआश्चर्यजनक किन्तु सत्य : दो साल से फुटपाथ पर गिरी हुई होने के बावजूद ट्रैफिक लाइट निभा रही है अपना फर्ज !
कविताएँ

बच्चा हो गया हूं

May 29, 2017 10:48 PM

मैं बच्चा सा हो गया हूं

जबसे
बच्चे बड़े हो गए हैं
अपने फैंसले खुद से
करने लग गए हैं
अब करने लग गया हूं खुद से बातें
जबसे यौवन के दिन बीत गए है
उड़ रहा हूं सूखे पत्तों की मानिंद
मुसाफिर बनकर
इस सफ़र से तंग हो गया हूं
हवा के रुख में उलझकर
बेसफ़र, बेखबर सा हो गया हूं
बिन वजह जाग उठता हूं रातों को
बे—मोल हो गए जज्बातों को
अखरता है अब ये रूखापन
तन्हा सी है जिंदगी
बस! जरा थकने लग गया हूं
यूं तो की होगी हमने हजारों बातें
बातों में छिपी वो मधुर मुलाकातें
दर्द ऐसा चुभा सीने में
अब मैं लिखने भी लग गया हूं
बचपन में थे सच्चे शहंशाह
मां-बाप का साथ जब से छूटा
तब से गरीब सा जिया गया हूं
झूठी शहंशाही रास नहीं आती
फकीरी के आलम में खो गया हूं
नंगे पैर गरीब के कहीं
घायल न हो जाएं
यही सोच कर कांच के टुकड़े
उठाता जा रहा हूं
— रोशन

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें