ENGLISH HINDI Sunday, February 23, 2025
Follow us on
 
ताज़ा ख़बरें
मलोया थाना प्रभारी से समावेश सदस्य विंग के सदस्यों ने की विभिन्न मुददों पर चर्चा, बीट बॉक्स स्थापित करने की मांग भी उठाईडंकी के जरिए अमेरिका गए डेराबस्सी के युवक की बीच रास्ते में कंबोडिया में बिमारी से हुई मौतओम साईं क्रिकेट अकादमी ने चंडीगढ़ हॉक्स क्रिकेट अकादमी को हराकर 5वें स्वर्गीय पन्ना लाल मेमोरियल अंडर-19 क्रिकेट टूर्नामेंट में अपना लीग मैच जीत लियाठेकेदारों ने माँगा किए गए काम का भुगतान, बदले में मिली सलाखें कुल्लू की वासुकी और किन्नौर जिले की सांगला झील बदलते मौसम, जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने का नतीजाजल्द आ रही है फिल्म "प्राइड ऑफ इंडिया", ओटीटी पर वेब सिरिज़ "जागो इंडिया" की हुई लॉन्चिंग अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर की पहली वर्षगांठ पर भव्य उत्सवचण्डीगढ़ नगर निगम के निर्माण कार्यों से जुड़े ठेकेदार निगम कार्यालय के बाहर बैठे धरने पर
कविताएँ

बात शान की

February 22, 2018 03:47 PM

— रोशन


मत तोला करो
इबादत को अपने हिसाब से
उसकी रहमतों से
अक्सर तराजू टूट जाते हैं
छा जाती है चुप्पियां
गुनाह यदि खुद के हों
बात दूजे की हो तो
शोर बहुत मच जाते हैं
देख कर मुस्कराने
और
मुस्करा कर देखने में
अंतर बड़ा भारी है
शब्दों और नज़रों के
मायने बदल जाते हैं
नग्नता दो ही जगह
शुशोभित लगती है
हो अबोध बालक
या फिर जहां
महावीर पाए जाते हैं
फैशन की अंधी दौड़ में
फिर क्यूं मातृत्व शक्तियां
अर्धनग्नता में समाए जाते हैं
जो जरूरी है रिश्तों के बीच
शयनकक्ष के
दर—ओ—दिवालों के बीच
वे दृश्य
बीच बाजार यूं क्यूं
दिखाए जाते है
ये तो तय है कि
जो देते हैं वही
लौट कर आता है
फिर ये परपंच
क्यूं रचाए जाते हैं।

 
कुछ कहना है? अपनी टिप्पणी पोस्ट करें