एक्सक्लूसिव : विज्ञानिक की पुत्री एवं प्राचार्य डॉ. ए.एन. माली की पुत्रवधू डॉ. रश्मि का कहना है कि वैक्सीन पर सर्च हो रही है, वर्ष 2020 के अंत तक शुरू हो सकता है टीकाकरण।
बरनाला, अखिलेश बंसल/करन अवतार,
कोरोना ने पूरी दुनिया को घेरे में लिया हुआ है। हर देश इस पर एक टीका बनाने की कोशिश कर रहा है। कोरोना में रोगियों की बढ़ती संख्या के बावजूद वर्तमान में कोई देश निश्चित दवा या वैक्सीन तैयार नहीं कर सका है। जितनी जल्दी हो सके इस पर टीके और दवाइयां विकसित करने के लिए दुनिया भर में अनुसंधान और प्रयोग चल रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका भी दौड़ में है। अमेरिका में जीएसके द्वारा शुरू किए गए कोविड-19 वैक्सीन पर शोध विशेष मायने रखता है। कोविड-19 के लिए अमेरिका की जीएसके कंपनी में वैक्सीन पर खोज कर रही डॉ. रश्मि अमेरिका के अमलनेर में रहते प्राचार्य डॉ. ए. एन. माली की पुत्रवधू और डॉ. गिरीश माली की धर्मपत्नी हैं। जिसको लेकर अमलनेर वासी गर्व महसूस कर रहे हैं। डॉ. रश्मि का कहना है कि कोरोना वायरस से निजात दिलाने वाली वैक्सीन 2020 के अंत तक तैयार हो जाएगी।
इसी तरह से चल रहा है कोरोना वैक्सीन का काम:
संयुक्त राज्य अमेरिका में ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फार्मा एवं वैक्सीन निर्माता कंपनी है। वैक्सीन डिवीजन में काम कर रही डॉ. रश्मि दुनिया को कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए टीका विकसित करने की प्रक्रिया में प्रयासरत हैं। जो विभिन्न तरीकों के टीकों (एक वैक्सीन कोविड-19 और दूसरे पैनोरोनोवायरस) पर सर्च कर रही हैं। डॉ. रश्मि का कहना है कि उनकी टीम में कई डॉक्टर हैं जो वैक्सीन के लिए पहले जानवरों पर प्रयोग कर रहे हैं। सभी परीक्षण का विश्लेषण करने और निष्कर्ष निकालने के बाद ही वैक्सीन टीके मनुष्यों में उपयोग किए जाएंगे।
कोरोना से बचना है तो यह बरतने होंगे एतिहात:
डॉ. रश्मि का कहना है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार होने तक एवं उसके बाद भी लोगों को सामाजिक दूरी और स्वच्छता का ध्यान रखना होगा। हाथों को बार बार साफ करना होगा। बाहर से घर लौटते ही कपड़ों को धोना होगा। किसी किस्म के संक्रमण से बचने के लिए किसी के भी संपर्क में नहीं आना होगा।
दिल्ली से अमलनेर (अमेरिका) तक का सफर:-
पंजाब प्रांत के संगरूर में रहते डॉ. रश्मि की बुआ के बेटे नरेश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार) ने बताया कि बहन डॉ. रश्मि ने नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से मेडिकल बायोटैक्नोलॉजी में पीएचडी पास किया है और वह नेश्नल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में अमेरिका से पोस्ट डॉक्टरेट है। उसके विज्ञान पर 32 से अधिक शोध पत्र अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करते नरेश कुमार ने बताया कि उनकी मामीश्री (डॉ. रश्मि की माता) प्रिंसीपल हैं और मामाश्री (रश्मि के पिता) चरनदास जलाह जी विज्ञानिक/इंजीनियर थे। जो कि भारतीय औद्योगिक विकास प्राधिकरन (नेश्नल इंडस्ट्रीयल डेवेल्पमेंट कार्पोरेशन) से चीफ महाप्रबंधक पद से सेवामुक्त हुए थे। डॉ. रश्मि की बहन लंदन में शिक्षा संस्थान चला रही है। उन्होंने बताया कि पूरा परिवार डॉ. रश्मि से दिल्ली में कुछ समय पहले ही एकत्रित हुए थे।
पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करते नरेश कुमार ने बताया कि उनकी मामीश्री (डॉ. रश्मि की माता) प्रिंसीपल हैं और मामाश्री (रश्मि के पिता) चरनदास जलाह जी विज्ञानिक/इंजीनियर थे। जो कि भारतीय औद्योगिक विकास प्राधिकरन (नेश्नल इंडस्ट्रीयल डेवेल्पमेंट कार्पोरेशन) से चीफ महाप्रबंधक पद से सेवामुक्त हुए थे। डॉ. रश्मि की बहन लंदन में शिक्षा संस्थान चला रही है। उन्होंने बताया कि पूरा परिवार डॉ. रश्मि से दिल्ली में कुछ समय पहले ही एकत्रित हुए थे।
परिवार के हर सदस्य पर गर्व :
डॉ. रश्मि के ससुर डॉ. माली और पति डॉ. गिरीश अपने समय का संयम से उपयोग करते हैं। उनकी शक्ति और ऊर्जा से पूरे परिवार को ऊर्जा मिलती है। रश्मि का कहना है कि उसे अपने ससुर ए.एन. माली और पति डॉ. गिरीश पर बहुत गर्व है। जिन्होंने उसे कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में हर तरह की मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गिरीश और वह खुद दोनों एक मध्यम वर्ग की पृष्ठभूमि से संबंधित हैं। लेकिन माता-पिता और शिक्षकों के मार्गदर्शन से प्रगति पथ पर हैं। जब डॉक्टर रश्मि और गिरीश दोनों काम पर होते हैं तो उस वक्त सहकर्मी एक को (फार्मा कंपनी) और दूसरे को अनुमोदनकर्ता (एफडीए) के रूप में चिड़ाते हैं, क्यूंकि एक ही घर में ऐसी जोड़ी होना दुर्लभ है और इससे उन्हें संतुष्टि मिलती है।
सोशल मीडिया पर नहीं, कुछ कर गुजरने की सोचें हर व्यक्ति:-
डॉ. रश्मि ने विश्व की युवा वर्ग से आग्रह किया है कि वे किसी भी उम्र के हों लेकिन वह अपना मनपसंदीदा क्षेत्र चुनें। उसमें प्रवेश करने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त करें, संबंधित विशेषज्ञों से परामर्श लें, ताकि जिंदगी में पीछे मुडक़र नहीं देखना पड़े। यह वक्त बड़ा ही संकटभरा वक्त है, टिक-टॉक वहाट्स-अप जैसे शोशल मीडिया पर बैठे रहने की बजाय सभी छोटे-बड़े अपने परिवार, अपने समाज, अपने राज्य तथा अपने देश को संकट से बाहर निकालने की सोचें। अपने दोस्तों से दूरसंचार के माध्यम से बैठकें करें और अमुल्य जिंदगी में कुछ कर गुजरने की बात करें।