भारतीय पंचाग के अनुसार, पूरे वर्ष में कई ऐसे अबूझ मुहूर्त होते हैं जिन पर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। जैसे अक्षय तृतीया, वसंत पंचमी, नव संवत,विजय दशमी आदि जब विवाह, निवेश आदि किए जा सकते हैं। ऐसे ही धन तेरस पर धन का निवेश, नए जेवर या बर्तन आदि खरीदे जाते हैं। परंतु कुछ ऐसे योग भी हैं जो सदियों में बस एक बार ही आते हैं। ऐसे ही पहले 5 नवंबर, 1344 को जब गुरु- शनि एक साथ, मकर राशि में थे और गुरु-पुष्य योग बना था, ठीक वैसा ही दुर्लभ संयोग 28 तारीख को, गुरुवार के दिन भी बन रहा है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से चमत्कारिक माना जा रहा है।
इस योग से कोरोना जैसी महामारी का क्षय भी दिख रहा है:
28 अक्तूबर को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। 677 साल बाद गुरु-पुष्य योग में शनि और गुरु दोनों ही मकर राशि में विराजमान रहेंगे। ऐसे में इस शुभ संयोग में खरीदारी और निवेश का महामुहूर्त इस बार दिवाली से पहले बन रहा है।
ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है। इस बार 28 अक्टूबर, गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बन रहा है। पुष्य योग गुरुवार के दिन होने से ये गुरु पुष्य योग कहा जाएगा।
सन 1344 के बाद 28 अक्टूबर को गुरु पुष्य पर बन रहा है शनि-गुरु का दुर्लभ योग, ये नक्षत्र किसी न किसी रूप में हमारे जीवन पर असर जरूर डालते हैं। इन सभी में पुष्य नक्षत्र का विशेष स्थान है। इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र बहुत ही खास होता है।साथ ही इस दिन अमृत सिद्धि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग भी पूरे दिन रहेगा। इस दिन खरीदी गई वस्तुएं शुभफल देने वाली होती हैं। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। शनिवार को या शनि के नक्षत्र में जो भी काम किया जाता है। वह लंबे समय तक चलता है। ऐसी मान्यता है।
इस बार गुरु और शनि, शनि के स्वामित्व वाली मकर राशि में एक साथ स्थित हैं। दोनों ग्रह मार्गी रहेंगे और इन ग्रहों पर चंद्र की दृष्टि भी होगी। जिससे गजकेसरी योग भी बनेगा। चंद्र धन का कारक ग्रह है, और यह योग सभी प्रकार से मंगलकारी होगा।
गुरु पुष्य नक्षत्र पर इनसे मिलेगा लाभ:
शनि-गुरु की युति से बने गुरु पुष्य नक्षत्र में घर, जमीन, सोने-चांदी के गहने या सिक्के, टू व्हीलर या फोर व्हीलर, इलेक्ट्रानिक्स आयटम, लकड़ी या लोहे का फर्नीचर, कृषि से जुड़ा सामान, पानी या बोरिंग की मोटर, बीमा पालिसी, म्यूचल फंड या शेयर मार्केट में निवेश करने से लाभ की प्राप्ति हो सकती है।
बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और शनि गुरु का मान रखता है, साथ ही बृहस्पति और शनि के बीच कोई शत्रुता भी नहीं है। इसलिए पुष्य नक्षत्र गुरुवार को आना बहुत शुभ माना जाता है। इस योग में निवेश करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ये निवेश लंबे समय तक लाभ देने वाला हो सकता है। पुष्य नक्षत्र पर खरीदारी के साथ ही दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को नए वस्त्र, अनाज, जूते-चप्पल और धन का दान करना चाहिए। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।
गुरु पुष्य के शुभ मुहूर्त
सुबह 6:30 से 07:54 तक- शुभ
सुबह 10:41 से दोपहर 12:05- चर
दोपहर 12:05 से 01:28 – लाभ
दोपहर 01:28 से 02:52- अमृत
शाम 04:16 से 05:39- शुभ
- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्