आज ही के दिन प्रभु को मिला था गोवर्धन गिरधारी का नाम : वामन जी महाराज
फेस2न्यूज/चंडीगढ़
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, से. 20, चण्डीगढ़ में गोवर्धन पूजा अन्नकूट महोत्सव आयोजित किया गया। मठ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि सुबह मंगला आरती के पश्चात प्रभात फेरी का आयोजन किया गया।
भक्तों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय श्री चैतन्य गौडिया मठ के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष श्री भक्ति सौरभ आचार्य महाराज जी ने ने कहा कि जब ब्रज वासियों ने इंद्र देवता की पूजा करने से मना कर दिया तो क्रोधित होकर इंद्र देवता ने ब्रज मंडल को बारिश द्वारा पानी में डुबोने का निर्णय ले लिया, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी तर्जनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर ब्रजवासियों को पर्वत के नीचे बुला कर उनकी पानी और वर्षा से रक्षा की।
भक्तों के चेहरों पर उमंग उल्लास झलक रहा था। उन्होंने हरि नाम संकीर्तन नृत्य गान कर अपनी श्रद्धा प्रकट की और गिरिराज धरण को नतमस्तक किया। चंडीगढ़ मठ के इंचार्ज वामन जी महाराज जी ने बताया कि आज के दिन भगवान श्री गिरधारी जी के दर्शन करने से भगवान कृष्ण की भक्ति प्राप्त होती है और घर में शुभ मंगल एवं हर प्रकार की मनोकामना पूरी होती है क्योंकि आज ही के दिन प्रभु को उनकी लीला के कारण गोवर्धन गिरधारी का नाम मिला था।
आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा की थी, इसलिए गोवर्धन पूजा हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। आज के कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण चावलों से गोवर्धन पर्वत का रूप बनाया गया था। हजारों की संख्या में लोगों ने उपस्थित होकर भगवान श्री गोवर्धन धाम लीला के दर्शन किए एवं अपने श्रद्धा सुमन भेंट किए। भगवान गोवर्धन को 56 भोग के व्यंजन अर्पित किए गए व भोग आरती के पश्चात हजारों की संख्या में लोगों ने भंडारा प्रसाद ग्रहण किया।
भक्तों के चेहरों पर उमंग उल्लास झलक रहा था। उन्होंने हरि नाम संकीर्तन नृत्य गान कर अपनी श्रद्धा प्रकट की और गिरिराज धरण को नतमस्तक किया। चंडीगढ़ मठ के इंचार्ज वामन जी महाराज जी ने बताया कि आज के दिन भगवान श्री गिरधारी जी के दर्शन करने से भगवान कृष्ण की भक्ति प्राप्त होती है और घर में शुभ मंगल एवं हर प्रकार की मनोकामना पूरी होती है क्योंकि आज ही के दिन प्रभु को उनकी लीला के कारण गोवर्धन गिरधारी का नाम मिला था।
आज विशेष रूप से गौ माता का पूजन वंदना, अर्चना भी की गई। बड़ी संख्या ने भक्तों ने उपस्थित होकर नृत्य संकीर्तन का आनंद प्राप्त किया। तत्पश्चात भक्तों को भगवान को अर्पित भंडारा प्रसाद वितरित किया गया।