- रोशन
वो सृजनकर्ताकब दंडित करता हैऔरकब नवाज़ता हैइसे भला कौन जानता हैजो मानता हैवो जानता नहींजो जानता वो पहचानता नहींजो पहचानता हैवो बोलता नहींदेखता है खेल सब पहचान का हैजो पहचान गया वो तर गयातुरता नहीं हैबस! इससे आगेकोई खेल नहीं है...