संजय कुमार मिश्रा:
बिहार के सुशाशन का आलम ये है कि 10 मई 2024 को हुए एक बैंकिंग फ्रॉड की शिकायत खगड़िया के पुलिस अधीक्षक एवं खगड़िया के जिलाधिकारी सहित कई अन्य उच्चाधिकारियों को दी गई लेकिन आजतक उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बैंकिग फ्रॉड की लिखित सूचना स्थानीय पुलिस स्टेशन परबत्ता को भी दी गई। इसके साथ ही सभी अधिकारियों को करीब हर सप्ताह स्मरण पत्र भी ईमेल से भेजा जा रहा है लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात।
हद तो तब महसूस हुई जब शिकायतकर्ता ने अपने सूत्र से बैंक अधिकारियों के सहयोग से बैंकिंग फ्रॉड का पैसा जिस बैंक खाते में गया उस खातेदार का नाम, पता एवं फोन नंबर भी पुलिस अधिकारियों को उपलब्ध कराया, बावजूद इसके खगड़िया पुलिस एवं परबत्ता पुलिस ने उस बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश को पकड़ने एवं शिकायतकर्ता को उसका पैसा वापस दिलाने का कोई प्रयास नहीं किया। हां इस बीच बिहार के सुशासन बाबू की पुलिस ने राज्य में कई जगह नशा मुक्ति मार्च जरूर निकाले हैं। शिकायतकर्ता ने अपने सूत्र से बैंक अधिकारियों के सहयोग से बैंकिंग फ्रॉड का पैसा जिस बैंक खाते में गया उस खातेदार का नाम, पता एवं फोन नंबर भी पुलिस अधिकारियों को उपलब्ध कराया, बावजूद इसके खगड़िया पुलिस एवं परबत्ता पुलिस ने उस बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश को पकड़ने एवं शिकायतकर्ता को उसका पैसा वापस दिलाने का कोई प्रयास नहीं किया।
ज्ञात हो कि खगड़िया जिले के परबत्ता थाना क्षेत्र के अंतर्गत तेमथा राका गांव के निवासी अजय मिश्रा के साथ 10 मई को एक बैंकिंग फ्रॉड हो गया जिसमे उसके आईसीआईसीआई बैंक खाते से लगभग 50 हजार रूपए निकाल लिया गया, जिसकी सूचना तुरंत ही बैंक में एवं पुलिस के आला अधिकारियों को ईमेल से भेजी गई। बाद में एक लिखित शिकायत स्थानीय पुलिस स्टेशन परबत्ता को भी दी गई जिसमें इस बैंकिंग फ्रॉड करने वाले की पहचान कर उससे पैसे वापस दिलाने की प्रार्थना की गई। लेकिन परबत्ता पुलिस या खगड़िया पुलिस द्वारा आजतक कोई कदम नहीं उठाए गए।
कानूनन भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 468, 378 एवं 409 के तहत बैंकिग फ्रॉड के लिए प्राथमिकी दर्ज कर इस पर कार्रवाई का प्रावधान है।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार ने प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो के माध्यम से 21 दिसंबर 2022 को अपने प्रेस नोट में बैंकिग फ्रॉड पर अपराध संहिता के अलावा भारतीय सूचना तकनीक अधिनियम 2000 की धारा 66, 66सी, 66डी, 66ई, 67, 67ए, 67बी एवं अन्य कई धाराओं का जिक्र किया है जिसके तहत पुलिस कर्रवाई कर सकती है।
पुलिस की सुस्ती और नाकामी का ही परिणाम है कि आज देश में साइबर बैंकिंग फ्रॉड के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। भारतीय बैंकों में पिछले 10 सालों में 5.3 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। मनीकंट्रोल को यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक RTI के जवाब में दी है। आंकड़ों के मुताबिक प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के बैंकों में 2013-14 और 2022-23 के बीच फ्रॉड के कुल 4,62,733 मामले सामने आए हैं।
नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के डेटा की मानें तो हर रोज लगभग 7000 साइबर सम्बन्धी शिकायतें दर्ज़ की जाती है। इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेटर सेंटर (I4C) ने बताया कि ऑनलाइन स्कैम्स का एक बड़ा हिस्सा कम्बोडिया, म्यांमार ओर लाओस से आता है. 2024 के पहले चार महीने में ही अलग-अलग तरह के साइबर क्राइम के जरिए भारतीय लोगों को करीब 7061.51 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
ऐसी बात नही है कि पूरे भारत की पुलिस ही इस मामले में सुस्त है, अभी हाल ही में आगरा पुलिस ने 24 घंटे के अंदर एक सायबर अपराधी को गिरफ्तार करके जेल के अंदर पहुंचा दिया। लखनऊ पुलिस, दिल्ली पुलिस, जयपुर पुलिस एवं अन्य कई बहादुर पुलिस अफसर इसे रोकने एवं सायबर अपराधी को पकड़ने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं किसी मामले में वो जल्दी सफल हो जाते हैं तो किसी मामले में देरी भी होती है।
लेकिन खगड़िया पुलिस एवं परबत्ता पुलिस की ये सुस्ती एवं निष्क्रियता जहां एक ओर पुलिस पब्लिक रिलेशन में कमी ला रही है, पब्लिक के बीच अपनी विश्वसनीयता खो रही है और पूरे पुलिस महकमे के विश्वसनीयता पर दाग लगा रही है, वही दूसरी ओर सायबर अपराधियों पर कार्रवाई नही करके उसके हौसले बुलंद कर रही है, जो किसी भी लिहाज से सही नहीं है।
पुलिस के उच्चाधिकारी जैसे पुलिस कमिश्नर, एवं बिहार के पुलिस महानिदेशक को इस तरफ जरूर ध्यान देना चाहिए, ताकि पुलिस की कार्यशैली में सुधार किया जा सके और जनता के शिकायतों का त्वरित एवं सकारात्मक समाधान करके जनता के बीच खत्म होते विश्वास को वापस लाया जा सके।